जयपुर. सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2003 में लोहा मंडी के लिए जमीन अवाप्ति से जुडे़ मामले में दायर विशेष अनुमति याचिका को निस्तारित कर दिया है.सुनवाई के दौरान मंत्रीमंडलीय एम्पावर्ड कमेटी के तत्कालीन सदस्य शांति धारीवाल, परसादी लाल मीना, हरीश चौधरी, ममता भूपेश और अर्जुन सिंह बामनिया की ओर से उपस्थिति से छूट के लिए प्रार्थना पत्र पेश किया गया. वहीं जेडीए की ओर से कहा गया कि प्रकरण में आदेश की पालना की जा रही है. जेडीए की ओर से दी गई जानकारी को लेकर याचिकाकर्ता की ओर से सहमति जताई गई. इस पर अदालत ने एसएलपी का निस्तारण कर दिया.
एसएलपी में अधिवक्ता अभिषेक गुप्ता और आरके स्वामी ने बताया कि राज्य सरकार ने 2003 में लोहामंडी के लिए प्रार्थी की दस बीघा जमीन को अवाप्त किया था, लेकिन अवार्ड नहीं दिया गया. यह मामला हाईकोर्ट से होता हुआ सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा. इस दौरान 23 जुलाई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने पक्षकारों को नोटिस जारी कर प्रार्थी के पक्ष में स्टे दे दिया. मामला पेंडिंग रहने के दौरान राज्य सरकार की मंत्रीमंडलीय एम्पावर्ड कमेटी और जेडीए की 14 फरवरी 2021 को एक मीटिंग हुई और उसमें प्रार्थी समिति को अवाप्त करने वाली जमीन के बदले में अन्य समान जमीन देने का निर्णय लिया.
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वहीं इस संबंध में जेडीए ने शपथ पत्र भी पेश कर दिया, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने 7 अगस्त 2023 को आदेश जारी कर तीन महीने में आदेश की पालना करने के लिए कहा था. इसके बावजूद जेडीए ने पालना करने की बजाए प्रार्थी पक्ष को एक डिमांड नोटिस जारी किया. वहीं, सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग एसएलपी को भी वापस लेने के लिए कहा गया. अदालत को इसकी जानकारी देने पर अदालत ने कमेटी के सदस्यों और जेडीए अधिकारी को तलब किया था.