जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने न्यायिक अधिकारियों की सुरक्षा से जुड़े मुद्दे पर स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लिया (suo moto cognizance by court) है. इसके साथ ही अदालत ने मामले को स्वप्रेरित याचिका के तौर पर दर्ज करते हुए मुख्य सचिव, गृह सचिव और डीजीपी को पक्षकार बनाया है.
अदालत ने न्यायिक रजिस्ट्रार को आदेश की कॉपी भेजते हुए कहा है कि प्रकरण को उचित खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने के लिए मामले को सीजे के समक्ष रखा जाए. जस्टिस बीरेन्द्र कुमार ने यह आदेश बुधवार को दिए. अदालत ने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्र कार्यप्रणाली के लिए न्यायिक अधिकारियों की सुरक्षा जरूरी है और इस मुद्दे पर कोर्ट मूक दर्शक बनकर नहीं रह सकता है.
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गौरतलब है कि न्यायिक अधिकारियों के आवास के लिए बनाए गए न्याय शिखा अपार्टमेंट में सुरक्षा के उचित इंतजाम नहीं हैं. यहां न्यायिक अधिकारियों के करीब ढाई दर्जन से अधिक आवास हैं. इसके अलावा आसपास के क्षेत्र में हाईकोर्ट जजों सहित 100 से अधिक न्यायिक अधिकारी निवास करते हैं. हाल ही में न्याय शिक्षा अपार्टमेंट में न्यायिक अधिकारी के आवास पर चोरी हुई थी. अपार्टमेंट में आगे की तरफ एक और पीछे की तरफ दो प्रवेश द्वार हैं. इसके अलावा कोई भी व्यक्ति दीवार फांदकर कहीं से भी आ सकता है. न्यायिक अधिकारी संघ की ओर से करीब एक साल पूर्व मुख्य सचिव को न्यायिक अधिकारियों की सुरक्षा को लेकर पत्र भी लिखा गया था, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.