जयपुर. राजधानी के वैशाली नगर पुलिस थाने में दुष्कर्म पीड़िता के आत्मदाह करने के मामले ने तूल पकड़ लिया है. एक तरफ जहां वैशाली नगर सीआई और सीईओ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की जा रही है तो वहीं पुलिस कमिश्नर आनंद श्रीवास्तव के मीडिया में दिए बयान की भी आलोचना हो रही है. लेकिन, इस मामले में राजस्थान सरकार के 2 कैबिनेट मंत्रियों ने विरोधाभासी बयान दिए हैं. इतना गंभीर प्रकरण होने के बाद भी इस मामले में कैबिनेट मंत्री शांति धारीवाल ने विधानसभा में मीडिया से बात करते हुए चौंकाने वाला बयान देते हुए यह तो माना कि इस मामले में पीड़िता के साथ पुलिस थाने में ही गलत व्यवहार हुआ था और पुलिस की जांच में चूक हुई है.
इसी के चलते सीआई को सस्पेंड किया जाएगा. लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में सवाल यह भी है कि संबंध आपसी सहमति के थे या नहीं. क्योंकि पुलिस की जांच में सामने आया है कि 4 साल से दोनों के बीच रिश्ता था. पीड़िता और आरोपी उदयपुर, नैनीताल सहित कई जगह पर साथ घूमने गए थे. अगर, दुष्कर्म जैसी कोई बात होती तो पीड़िता पहले इसकी शिकायत दर्ज भी करवा सकती थी.
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उन्होंने कहा कि पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट में भी इंजरी जैसी कोई जानकारी सामने नहीं आई है. मामले में पुलिस कमिश्नर की ओर से दिए गए बयान को लेकर मंत्री शांति धारीवाल ने कुछ कहने से इनकार कर दिया. धारीवाल ने कहा कि सीआई को सस्पेंड किया जाएगा और इस मामले को सीआईडी सीबी में एडिशनल एसपी स्तर के अधिकारी को जांच सौंपी गई है. वहीं उन्होंने कहा कि अगर इस मामले में थाने के अन्य अधिकारियों की भी गलती सामने आती है तो उन पर भी कार्रवाई होगी.
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वहीं मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास बोले कि एक ओर मुख्यमंत्री ने पुलिस थानों में स्वागत कक्ष बनाने की घोषणा की तो दूसरी ओर पुलिस पीड़ितों के साथ ऐसा व्यवहार कर रही है, जो बर्दाश्त के काबिल नहीं है. उन्होंने कहा कि दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई होगी.
मंत्री खाचरियावास ने इस मामले में पुलिस की ओर से दिए गए बयान पर कड़ा एतराज जताया. खाचरियावास ने कहा कि प्रकरण में जांच पूरी हुए बिना पुलिस फैसला सुनाने वाली कौन होती है. यह मामला कोर्ट पर छोड़ दिया जाना चाहिए. अगर मामले में महिला के आरोप सही नहीं होते तो पुलिस एफआर लगा देती, लेकिन किसी भी प्रकरण में जांच पूरी हुए बिना क्लीन चिट देने वाली पुलिस कौन होती है. पुलिस को इस तरह से बयान नहीं देने चाहिए थे. खाचरियावास ने कहा कि थाने में पीड़िता के साथ सही व्यवहार नहीं हुआ. इसी वजह से उसे आत्मदाह जैसा कदम उठाना पड़ा.
भाजपा बोली - राजस्थान में कानून व्यवस्था चौपट, थानों में यह हाल कि पीड़ितों को आत्मदाह करना पड़ रहा है
वहीं इस मामले पर भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधा गया. भाजपा विधायक अशोक लाहोटी ने कहा कि राजस्थान में मुख्यमंत्री के पास गृह विभाग का भी जिम्मा है, लेकिन राजस्थान में कानून व्यवस्था चौपट हो चुकी है. जयपुर में इस तरह अपने आप में यह पहला मामला आया है. जिसमें महिला को पुलिस थाने में आत्मदाह करने के लिए मजबूर होना पड़ा. वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को दिल्ली जाने से ही फुर्सत नहीं है और कानून व्यवस्था के नाम पर पोपा बाई का राज बन चुका है.