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SMS मेडिकल कॉलेज के छात्रों के जुनून ने बदल दी एक गांव की तस्वीर...आजादी के बाद पहली बार बिजली पहुंची - गांवों की दुर्दशा

SMS मेडिकल कॉलेज जयपुर के छात्र अश्विनी पाराशर ने अपनी एक टीम का गठन कर धौलपुर जिले के उस गांव की तस्वीर बदल दी जहां के लोगों ने कभी बिजली नहीं देखी थी. पानी व बिजली को तरस रहे इस गांव के लोगों के लिए यह टीम वरदान साबित हुई जिसने पीएम, हाईकोर्ट, और विभिन्न एनजीओ की मदद लेते हुए गांव के हालातों को बदल दिया.

आजादी के बाद पहली बार गांव में पहुंची बिजली
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Published : May 17, 2019, 1:46 PM IST

जयपुर. इस मुल्क ने आजादी के बाद बहुत तरक्की कर ली, लेकिन आज भी देश में कुछ गांव ऐसे है जो अपनी मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे है. ऐसा ही धौलपुर जिले में एक गांव राजघाट है जिसकी 2 साल पहले की तस्वीर और आज की तस्वीर में जमीन-आसमान का फर्क आ गया. और इतना सब कुछ हुआ जयपुर के सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज के छात्रों के जुनून की वजह से जिन्होंने इस बदहाल गांव को पहली बार उम्मीद की रोशनी से सरोबार कर दिया.
जब जुनून और मजबूत आत्मविश्वास हो तो हर मुश्किल काम आसान बन जाता है. ऐसा ही हौसला था एसएसएस मेडिकल कॉलेज के छात्र अश्वनी पारासर और उनकी टीम का जिन्होंने गांव में वंचित मूलभूत सुविधाओं को लाने के लिए दिन-रात एक कर दिया. आज इन्हीं के प्रयासों की बदौलत गांव की तस्वीर बदल गई है. जिन लोगों को मोबाइल चार्ज करने के लिए भी शहर जाना पड़ता था, आज उनके घर में तीन-तीन बिजली के बल्ब जल रहे हैं. जिन्हें गांव के गंदे पानी पर आश्रित रहना पड़ता था, वे आज फिल्टर पानी पी रहे हैं.

आजादी के बाद पहली बार गांव में पहुंची बिजली

राजघाट गांव आजादी के बाद भी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए तरस रहा था. हालात यह थे कि इस गांव में न पानी की पर्याप्त सुविधा थी, और ना ही बिजली. लोग चंबल का पानी पीने को मजबूर थे. कई दफा चंबल नदी में तैरकर आई लाशों के बीच लोगों को पानी पीना पड़ता था. यहीं नहीं राजघाट गांव में बिजली-पानी नहीं होने के कारण लोग इस गांव में अपनी बेटियां भी नहीं देते थे.

यूं बदली तस्वीर

ऐसे में उम्मीद की किरण बन कर आए धौलपुर के रहने वाले एक डॉक्टर अश्विनी पाराशर जो दिवाली की छुट्टियां मनाने इस गांव के लोगों के बीच आए थे. जब गांव के लोगों ने अपनी समस्या बताई तो उन्होंने परिवर्तन की ठानी. सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस कर रहे डॉ अश्विनी पाराशर ने बताया कि जब वे पहली बार इस गांव में पहुंचे तो उन्हें यह देखकर विश्वास नहीं हुआ कि आज तक इस गांव में पानी और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं लोगों तक नहीं पहुंची है. जिसके बाद उन्होंने प्रशासन से गुहार लगाई लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगी. फिर उन्होंने कोर्ट में राइट टू लाइफ की याचिका लगाई. उन्होंने एक गुजरात के एनजीओ की मदद से गांव में फिल्टर वाटर सिस्टम लगाए.

इसके लिए अश्विनी पाराशर ने पीएम को भी खत लिखा. पीएम से जवाब खत का जवाब आया तो अधिकारियों में खलबली मच गई. इसके बाद मामला सुर्खियों में आने लगा तो एक साथ 15 अधिकारियों ने गांव का दौरा किया. यह पहली बार था जब कोई अधिकारी गांव में पहुंचे. उन्हें लगने लगा कि अब उनकी मेहनत रंग लाने लगी है. क्राउड फंडिंग के तौर पर उन्होंने फंड इकट्ठा किया और गांव में सोलर लाइटे लगवा दी. हाईकोर्ट के नोटिस के बाद अधिकारियों की नींद खुली और 5 मई 2019 को गांव में पहली बार बिजली पहुंची. ग्रामीणों ने इस अवसर को त्यौहार के रूप में मनाया. खास बात यह रही कि अक्षय तृतीया के दिन गांव की एक बेटी की शादी थी, और यह पहली शादी थी जिसमें बिजली का भी इस्तेमाल हुआ.

लोगों की गरीबी देखकर नॉर्वे आगे आया

इस गांव के लोग काफी गरीब है और जब बिजली इस गांव तक पहुंची तो लोगों के पास कनेक्शन के लिए डिमांड ड्राफ्ट का पैसा नहीं था. ऐसे में अश्विनी पाराशर ने नॉर्वे की ऑस्लो सिटी की इंडियन नॉर्वेजियन कम्युनिटी से बात की तो उन्होंने बिजली के कनेक्शन का पैसा भेजा.

जयपुर. इस मुल्क ने आजादी के बाद बहुत तरक्की कर ली, लेकिन आज भी देश में कुछ गांव ऐसे है जो अपनी मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे है. ऐसा ही धौलपुर जिले में एक गांव राजघाट है जिसकी 2 साल पहले की तस्वीर और आज की तस्वीर में जमीन-आसमान का फर्क आ गया. और इतना सब कुछ हुआ जयपुर के सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज के छात्रों के जुनून की वजह से जिन्होंने इस बदहाल गांव को पहली बार उम्मीद की रोशनी से सरोबार कर दिया.
जब जुनून और मजबूत आत्मविश्वास हो तो हर मुश्किल काम आसान बन जाता है. ऐसा ही हौसला था एसएसएस मेडिकल कॉलेज के छात्र अश्वनी पारासर और उनकी टीम का जिन्होंने गांव में वंचित मूलभूत सुविधाओं को लाने के लिए दिन-रात एक कर दिया. आज इन्हीं के प्रयासों की बदौलत गांव की तस्वीर बदल गई है. जिन लोगों को मोबाइल चार्ज करने के लिए भी शहर जाना पड़ता था, आज उनके घर में तीन-तीन बिजली के बल्ब जल रहे हैं. जिन्हें गांव के गंदे पानी पर आश्रित रहना पड़ता था, वे आज फिल्टर पानी पी रहे हैं.

आजादी के बाद पहली बार गांव में पहुंची बिजली

राजघाट गांव आजादी के बाद भी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए तरस रहा था. हालात यह थे कि इस गांव में न पानी की पर्याप्त सुविधा थी, और ना ही बिजली. लोग चंबल का पानी पीने को मजबूर थे. कई दफा चंबल नदी में तैरकर आई लाशों के बीच लोगों को पानी पीना पड़ता था. यहीं नहीं राजघाट गांव में बिजली-पानी नहीं होने के कारण लोग इस गांव में अपनी बेटियां भी नहीं देते थे.

यूं बदली तस्वीर

ऐसे में उम्मीद की किरण बन कर आए धौलपुर के रहने वाले एक डॉक्टर अश्विनी पाराशर जो दिवाली की छुट्टियां मनाने इस गांव के लोगों के बीच आए थे. जब गांव के लोगों ने अपनी समस्या बताई तो उन्होंने परिवर्तन की ठानी. सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस कर रहे डॉ अश्विनी पाराशर ने बताया कि जब वे पहली बार इस गांव में पहुंचे तो उन्हें यह देखकर विश्वास नहीं हुआ कि आज तक इस गांव में पानी और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं लोगों तक नहीं पहुंची है. जिसके बाद उन्होंने प्रशासन से गुहार लगाई लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगी. फिर उन्होंने कोर्ट में राइट टू लाइफ की याचिका लगाई. उन्होंने एक गुजरात के एनजीओ की मदद से गांव में फिल्टर वाटर सिस्टम लगाए.

इसके लिए अश्विनी पाराशर ने पीएम को भी खत लिखा. पीएम से जवाब खत का जवाब आया तो अधिकारियों में खलबली मच गई. इसके बाद मामला सुर्खियों में आने लगा तो एक साथ 15 अधिकारियों ने गांव का दौरा किया. यह पहली बार था जब कोई अधिकारी गांव में पहुंचे. उन्हें लगने लगा कि अब उनकी मेहनत रंग लाने लगी है. क्राउड फंडिंग के तौर पर उन्होंने फंड इकट्ठा किया और गांव में सोलर लाइटे लगवा दी. हाईकोर्ट के नोटिस के बाद अधिकारियों की नींद खुली और 5 मई 2019 को गांव में पहली बार बिजली पहुंची. ग्रामीणों ने इस अवसर को त्यौहार के रूप में मनाया. खास बात यह रही कि अक्षय तृतीया के दिन गांव की एक बेटी की शादी थी, और यह पहली शादी थी जिसमें बिजली का भी इस्तेमाल हुआ.

लोगों की गरीबी देखकर नॉर्वे आगे आया

इस गांव के लोग काफी गरीब है और जब बिजली इस गांव तक पहुंची तो लोगों के पास कनेक्शन के लिए डिमांड ड्राफ्ट का पैसा नहीं था. ऐसे में अश्विनी पाराशर ने नॉर्वे की ऑस्लो सिटी की इंडियन नॉर्वेजियन कम्युनिटी से बात की तो उन्होंने बिजली के कनेक्शन का पैसा भेजा.

Intro:डे प्लान स्टोरी


एसएमएस मेडिकल कॉलेज के इन छात्रों ने बदली एक गांव की तकदीर आजादी के बाद पहली बार पहुंची बिजली

जयपुर के सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज के कुछ छात्रों ने धौलपुर के उस गांव को रोशन किया जहां आजादी के बाद भी बिजली नहीं पहुंची थी


Body:धौलपुर का एक गांव है राजघाट जो आजादी के बाद भी मूलभूत आवश्यकताओ के लिए तरस रहा था हालात यह थे कि इस गांव में न पानी थी न बिजली थी लोगों को चंबल का पानी मजबूरन पीना पड़ता था और कई दफा तो इस चंबल नदी में लाशों के बीच लोगों को पानी पीना पड़ता था...... यही नहीं राजघाट गांव में बिजली पानी नहीं होने के कारण लोग अपनी बेटियां भी नहीं देते थे ऐसे में धौलपुर के रहने वाले एक डॉक्टर अश्विनी पाराशर जब पहली बार इस गांव में पहुंचे तो उन्होंने तय किया कि वे इन लोगों को मूलभूत सुविधाएं दिलवाकर रहेंगे सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस कर रहे डॉ अश्विनी पाराशर ने बताया कि जब वे पहली बार इस गांव में पहुंचे तो उन्हें यह देखकर विश्वास नहीं हुआ कि आज तक इस गांव में पानी और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं लोगों तक नहीं पहुंची है जिसके बाद उन्होंने प्रशासन से गुहार लगाई लेकिन वहां उन्हें निराशा मिली तो उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और मामले को याचिका भी दायर की

लोग गरीब तो नॉर्वे आगे आया

दिलचस्प बात यह है कि इस गांव के लोग काफी करीब है और जब बिजली इस गांव तक पहुंची तो लोगों के पास कनेक्शन के लिए डिमांड ड्राफ्ट का पैसा नहीं था ऐसे में अश्विनी पाराशर ने नॉर्वे की ऑस्लो सिटी की इंडियन नॉर्वेजियन कम्युनिटी से बात की तो उन्होंने बिजली के कनेक्शन का पैसा भेजा यही नहीं गुजरात के एक एनआरआई ने घरों में वाटर फिल्टर भी डोनेट किए

बाईट-डॉ अश्विनी पाराशर, एसएमएस मेडिकल कॉलेज
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