जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अजमेर की दरगाह क्षेत्र और पुष्कर में बढ़ रहे नशे के कारोबार पर चिंता जताई है. इसके साथ ही अदालत ने यहां नशा सप्लाई करने वालों पर कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए. वहीं एसपी अजमेर को मामले की मॉनिटरिंग करने को कहा है.
इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह 4 सप्ताह में यहां के जेएलएन अस्पताल में क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट कम काउंसलर की नियुक्ति करें. अदालत ने स्पष्ट किया है कि इस नियुक्ति में आचार संहित आड़े नहीं आएगी. न्यायाधीश मोहम्मद रफीक को न्यायाधीश गोवर्धन बाड़दार की खंडपीठ ने यह आदेश अजमेर के किशोरों में बढ़ती नशे की प्रवृति पर लिए गए.
आपको बता दें कि सुनवाई के दौरान न्याय मित्र आशीष कुमार की ओर से कहां गया कि उन्होंने जेएलएन अस्पताल का दौरा किया था. वहां स्थित 30 बेड के नशा मुक्ति केंद्र में दो पुरुषों रोगी भर्ती मिले. यह दोनों मरीज भी शराब पीने के आदी थे. वहीं ओपीडी में करीब 300 मरीज आते हैं, लेकिन किसी को भर्ती नहीं किया जाता. न्यायमित्र ने यह भी कहा कि केंद्र में क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट नहीं होने से केंद्र का लाभ नहीं मिल पा रहा है.
वहीं दरगाह क्षेत्र और पुष्कर में खुलेआम नशे की गतिविधियां चल रही है. पुलिस ने मामले भी दर्ज किए हैं, लेकिन नशा सप्लाई किया जा रहा है. वहीं महाधिवक्ता की ओर से कहा गया कि दरगाह क्षेत्र में नशा करने वाले 32 बच्चों को पकड़ा गया है. इनमें से 16 बच्चों को उनके परिजनों को सौंपा गया है.
इस साल मादक पदार्थ तस्करी के 17 मामले दर्ज किए गए हैं. जिन्हें लेकर पुलिस आवश्यक कार्रवाई कर रही है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने दिशा-निर्देश जारी करते हुए 4 सप्ताह में पालना रिपोर्ट पेश करने के निर्देश देते हुए प्रकरण की सुनवाई 6 मई को तय की है.