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अपराधों को नौकरी के साथ जोड़ने की कांग्रेस की परिपाटी उचित नहीं: गुलाबचंद कटारिया

मानवाधिकार आयोग की टिप्पणी के बाद अब नेता प्रतिपक्ष ने भी सरकार पर कटाक्ष किया है. थानागाजी और टोंक प्रकरण में पीड़ितों को नौकरी देने के मामले में कटारिया ने कहा कि, अपराधों को नौकरी के साथ जोड़ने की कांग्रेस की परिपाटी उचित नहीं है. कटारिया ने जाहिर की चिंता,या तो बने कानून वरना हर घटना को लेकर खड़े होंगे आंदोलन

नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया
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Published : Jun 9, 2019, 5:45 PM IST

जयपुर. थानागाजी में दुष्कर्म पीड़िता और टोंक जिले में पुलिस कार्रवाई के दौरान मौत के मामलों में सरकारी नौकरी देने की घोषणा पर राज्य मानवाधिकार आयोग के साथ ही नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं.

गुलाबचंद कटारिया के अनुसार प्रदेश सरकार ने अपराधों को नौकरी के साथ जोड़ने की नई परिपाटी शुरू की है. यदि वह केवल दबाव के कारण शुरू हुई है तो यह उचित नहीं है. कटारिया के अनुसार या तो सरकार इस संबंध में कोई एक नीति बना दें. जिसमें दुष्कर्म पीड़िता को किसी ना किसी सरकारी नौकरी से जोड़ने का नियम हो ताकि इस प्रकार के प्रकरणों में सभी पीड़ितों को उसका समान रूप से लाभ मिल सकें, लेकिन यदि कोई आंदोलन कर रहा है और उसको दबाने के लिए सरकार द्वारा नौकरी दी जाती है तो वह सही नहीं हैं.

'अपराधों को नौकरी के साथ जोड़ने की कांग्रेस की परिपाटी उचित नहीं'

कटारिया के अनुसार हर अपराध के बाद होने वाले आंदोलन पर नौकरी की घोषणा से इस प्रकार के मामलों में आंदोलन की घटनाएं बढ़ेगी. इसलिए सरकार को इस मामले में एक स्पष्ट नीति बनाना चाहिए. आपको बता दें कि इससे पहले राज्य मानवाधिकार आयोग ने भी इन दोनों ही प्रकरणों में मुख्य सचिव से जानकारी मांगी थी कि सरकार आखिर किस नियम के तहत यह नौकरी पीड़ितों को दे रही है. यदि कोई नियम या नीति है तो उससे आयोग को अवगत कराएं. अब अपने बयान से गुलाब चंद कटारिया ने भी आयोग के उठाए सवाल का समर्थन किया है.

जयपुर. थानागाजी में दुष्कर्म पीड़िता और टोंक जिले में पुलिस कार्रवाई के दौरान मौत के मामलों में सरकारी नौकरी देने की घोषणा पर राज्य मानवाधिकार आयोग के साथ ही नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं.

गुलाबचंद कटारिया के अनुसार प्रदेश सरकार ने अपराधों को नौकरी के साथ जोड़ने की नई परिपाटी शुरू की है. यदि वह केवल दबाव के कारण शुरू हुई है तो यह उचित नहीं है. कटारिया के अनुसार या तो सरकार इस संबंध में कोई एक नीति बना दें. जिसमें दुष्कर्म पीड़िता को किसी ना किसी सरकारी नौकरी से जोड़ने का नियम हो ताकि इस प्रकार के प्रकरणों में सभी पीड़ितों को उसका समान रूप से लाभ मिल सकें, लेकिन यदि कोई आंदोलन कर रहा है और उसको दबाने के लिए सरकार द्वारा नौकरी दी जाती है तो वह सही नहीं हैं.

'अपराधों को नौकरी के साथ जोड़ने की कांग्रेस की परिपाटी उचित नहीं'

कटारिया के अनुसार हर अपराध के बाद होने वाले आंदोलन पर नौकरी की घोषणा से इस प्रकार के मामलों में आंदोलन की घटनाएं बढ़ेगी. इसलिए सरकार को इस मामले में एक स्पष्ट नीति बनाना चाहिए. आपको बता दें कि इससे पहले राज्य मानवाधिकार आयोग ने भी इन दोनों ही प्रकरणों में मुख्य सचिव से जानकारी मांगी थी कि सरकार आखिर किस नियम के तहत यह नौकरी पीड़ितों को दे रही है. यदि कोई नियम या नीति है तो उससे आयोग को अवगत कराएं. अब अपने बयान से गुलाब चंद कटारिया ने भी आयोग के उठाए सवाल का समर्थन किया है.

Intro:मानवाधिकार आयोग की टिप्पणी के बाद अब नेता प्रतिपक्ष ने किया कटाक्ष

अपराधों को नौकरी के साथ जोड़ने की परिपाटी उचित नहीं- गुलाब चंद कटारिया

थानागाजी और टोंक प्रकरण में पीड़ितों को नौकरी देने से जुड़ा मामला

कटारिया ने जाहिर की चिंता,या तो बने कानून वरना हर घटना को लेकर खड़े होंगे आंदोलन

जयपुर (इन्ट्रो एंकर)
थानागाजी में बलात्कार पीड़िता और टोंक जिले में पुलिस कार्रवाई के दौरान मौत के मामलों में सरकारी नौकरी देने की घोषणा पर राज्य मानवाधिकार आयोग के साथ ही नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं। कटारिया के अनुसार प्रदेश सरकार ने अपराधों को नौकरी के साथ जोड़ने की नई परिपाटी शुरू की है, यदि वह केवल दबाव के कारण शुरू हुई है तो यह उचित नहीं है। कटारिया के अनुसार या तो सरकार इस संबंध में कोई एक नीति बना दे जिसमें दुष्कर्म पीड़िता को किसी ना किसी सरकारी नौकरी से जोड़ने का नियम हो ताकि इस प्रकार के प्रकरणों में सभी पीड़ितों को उसका समान रूप से लाभ मिल सके लेकिन यदि कोई आंदोलन कर रहा है और उसको दबाने के लिए सरकार द्वारा नौकरी दी जाती है तो वह सही नहीं हैं। उनके अनुसार हर अपराध के बाद होने वाले आंदोलन पर नौकरी की घोषणा से इस प्रकार के मामलों में आंदोलन की घटनाएं बढ़ेगी। इसलिए सरकार को इस मामले में एक स्पष्ट नीति बनाना चाहिए। इसे पहले राज्य मानवाधिकार आयोग ने भी इन दोनों ही प्रकरणों में मुख्य सचिव से जानकारी मांगी थी कि सरकार आखिर किस नियम के तहत यह नौकरी पीड़ितों को दे रही है और यदि कोई नियम या नीति है तो उससे आयोग को अवगत कराएं। अब अपने बयान से गुलाब चंद कटारिया ने भी आयोग के उठाए सवाल का समर्थन किया है।


बाईट-गुलाबचंद कटारिया,नेता प्रतिपक्ष
(Edited vo pkg-aayog ke samarthan mai kataria)


Body:बाईट-गुलाबचंद कटारिया,नेता प्रतिपक्ष
(Edited vo pkg-aayogvko kataria ka samarthan)


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