जयपुर. पुजारियों को सुरक्षा, रियासत काल में दी गई मंदिर माफी जमीन की खातेदारी और 48 हजार 466 मंदिरों के पुजारियों को दिए जाने वाले एन्युटी को महंगाई दर से जोड़ते हुए भुगतान करने जैसी मांगों को लेकर प्रदेश के पुजारी सेवक जयपुर में जुटे. यहां विधानसभा का घेराव करने के लिए कूच करते समय पुजारी सेवकों को शहीद स्मारक पर ही पुलिस ने रोक दिया.
राजस्थान भर के विभिन्न मंदिरों के महंत, मठाधीश और पुजारी बुधवार को एक जाजम पर है. जयपुर के शहीद स्मारक पर जुटे पुजारियों ने 15 सूत्री मांगें राज्य सरकार के समक्ष रखी. पुजारी महासंघ के सदस्य और हाथोज धाम के महंत बालमुकुंदाचार्य ने बताया कि प्रदेश के पुजारियों को सरकार अनदेखा कर देती है. इसी का नतीजा है कि चारों ओर पुजारियों की हत्या हो रही है. पुजारियों की जमीनों पर कब्जा हो रहा है. पुजारी अपनी जमीन होने के बावजूद उस पर इतने नियम कायदे और पेचीदगियां है कि वो अपनी जमीन का मुआवजा तक नहीं ले सकता.
कई जगह संस्थाएं और ट्रस्ट बन गए. वो मंदिरों के मठाधीश बन कर बैठ गए. किराएदारों ने कब्जा कर लिए, वो मंदिरों की संपत्ति खाली नहीं करते हैं. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि पुजारियों को सुरक्षा भी मिले और वर्तमान स्थिति पर ध्यान भी दिया जाए. उन्होंने कहा कि देवस्थान विभाग बना रखा है, विप्र कल्याण बोर्ड बना रखा है, लेकिन पुजारियों की समस्या ज्यों की त्यों हैं. उसका निराकरण नहीं हो रहा है. पुजारी संगठन के प्रतिनिधियों के साथ बैठकर समस्याओं को सुनना चाहिए और सुरक्षा को लेकर कानून बनना चाहिए.
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पुजारियों की प्रमुख मांगे :
- रियासत काल में पुजारियों को दी गई मंदिर माफी की जमीन की खातेदारी प्रदान की जाए.
- एन्युटी को महंगाई दर से जोड़कर राज्य के 48466 सभी मंदिरों के पुजारियों को भुगतान किया जाए।
- देवस्थान विभाग मंदिर पुजारी की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता यजुर्वेद पाठ्यक्रम में 5 ईयर डिग्री और डिप्लोमा निर्धारित की जाए.
- शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में स्थित मंदिरों के पट्टे पुजारियों को दिए जाएं.
- धार्मिक स्थानों पर बिजली और पानी की निशुल्क व्यवस्था की जाए.
- पुजारी को मंदिरों के ट्रस्ट और समितियों में अनिवार्य रूप से पदाधिकारी बनाने का प्रावधान किया जाए.
- पुजारी सेवकों और कर्मकांडी ब्राह्मण हो का श्रमिक कार्ड का प्रावधान किया जाए.
- मंदिर माफी जमीन और संपत्तियों की स्पष्ट किराया नीति बनाई जाए.
- वैदिक संस्कार एवं शिक्षा बोर्ड का गठन हो.
- पुजारियों की हत्या/आत्महत्या के दोषियों को सजा और पीड़ित परिवारों को राज्य से सहायता मिले.
- संत महात्मा और पुजारियों पर हो रहे अत्याचार को रोकने के लिए कानूनी प्रावधान बने.