जयपुर. प्रदेश भर में हरित क्षेत्र, वन क्षेत्र, पिछले कई सालों से प्रदेश को हराभरा बनाने के लिए वृक्ष रोपण में बढ़ोत्तरी की जा रही है. प्रदेश पानी की किल्लत के लिए भी जाना जाता है. प्रदेश को हराभरा बनाने के लिए सरकार की ओर से लगातार प्रयास किए जाते रहे हैं. योजनाए चलती रही है. प्रदेश में वनों की हरियाली बढ़ाने के लिए वन विभाग की ओर से हर साल लक्ष्य भी निर्धारित किया जाता है. ताकि ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाए जा सके. लेकिन हर साल करोड़ों पौधे लगाने के बाद भी आखिर क्यू मरूभूमि अभी भी तपती नजर आती है. और अगर ऐसा है तो हर साल प्रदेश में करोड़ों की संख्या में लगाए जाने वाले पौधे क्यों नहीं दिखते. हमने इसकी पड़ताल ली.
प्रदेश में वन विभाग हर साल लाखों की संख्या में पौधारोपण करता है. अगर पिछले 5 सालों की बात की जाए तो वन विभाग अब तक प्रदेश के कोने-कोने पर करोड़ों पौधे लगा चुका है..ऐसे में जितने पौधे वन विभाग ने लगाए हैं उतने ही पौधे अगर जीवित रहते तो याकिनन राजस्थान की धरती हरियाली से अछूती नहीं रहती. वन विभाग हर साल कितने पौधे लगाता है उनमें आधे से ज्यादा पौधे देख रेख के अभाव में ही नष्ट हो जाते हैं. अब अगर साल 2019 की बात की जाए तो वन विभाग ने 64 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है.. वर्ष 2018 में 96 लाख पौधे लगाए गए थे. वर्ष 2017 में 1 करोड़ 44 लाख पौधे लगाए गए थे. वर्ष 2016 में 2 करोड़ 37 लाख पौधे लगाए गए थे. 2015 में 2 करोड़ 50 लाख पौधे लगाए गए थे.
इन 5 सालों में वन विभाग की ओर 7 करोड़ 91 लाख पौधे लगाए जा चुके हैं. अब सवाल उठता है कि करोड़ों की संख्या में लगाए गए पौधे आखिर गए कहां. जब मौके पर वास्तविक रिपोर्ट सामने आई तो मालूम चला कि वन विभाग द्वारा लगाए गए पौधों में से आधे पौधे तो नष्ट हो गए. बाकी बचे पौधों में से भी अधिकतर सार संभाल के अभाव में विकसित नहीं हो पाए. इसके अलावा प्रतिवर्ष मानसून के शुरू होते ही वन विभाग की ओर से लोगों को भी पौधे वितरण किये जाते हैं. राजस्थान में इस वर्ष करीब 85 लाख पौधे वितरित करने का लक्ष्य रखा गया है.
वन विभाग की ओर से नर्सरियों में मानसून से पहले ही पौधे तैयार किए जाते हैं. और बारिश आते ही पौधे लगाने का काम शुरू कर दिया जाता है. वन विभाग हर साल पौधे तो लगा रहा है लेकिन लक्ष्यों के मुताबिक परिणाम नहीं मिल रहे हैं. सार संभाल के अभाव में ज्यादातर पौधे नष्ट हो जाते हैं. जितने पौधे हर साल रोपे जाते हैं उनमें से आधे पौधे सूख जाते हैं या पशु खा जाते हैं. ऐसे में पनपा को जरूरत है कि पौधों की नियमित देखरेख हो ताकि वृक्षारोपण के अच्छे परिणाम मिल सके. वन विभाग के अधिकारियों की मानें तो हर साल लगाए जाने वाले पौधों में से 15 से 20 प्रतिशत पौधे नष्ट हो जाते हैं. वहीं पर्यावरणविद् के मुताबिक आधे से ज्यादा पौधे हर साल नष्ट होते हैं. कुछ पहलू समझने के लिए हमने पर्यावरणविद् सूरज सोनी से बात की.
सूरज सोनी कहते हैं कि वन विभाग का पौधे लगाने का अभियान केवल कागजों में ही पूरा होता है. वन विभाग की नर्सरियो में पहले से ही पौधे देरी से तैयार होते हैं. इसके बाद लोगों को मानसून के समय पौधे नहीं मिल पाते हैं. यही वजह है कि जिससे वृक्षारोपण में भी देरी हो जाती है, और वन विभाग की ओर से पौधारोपण करने के बाद भी उनकी सुरक्षा के इंतजाम नहीं हो पाते है. तो क्या ऐसे में नहीं लगता की कि केवल पौधे लगाने का लक्ष्य ही निर्धारित नहीं होना चाहिए. बल्कि उनकी सार संभाल करने की जवाबदेही भी तय होनी चाहिए. और जिम्मेदारों पर कार्रवाई भी होनी चाहिए ताकि पौधों के विकास के साथ लक्ष्यों के अनुरूप पौधे बड़े वृक्षो के रूप में पनप सकें.