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राजस्थान में रिटायर्ड और संविदा कर्मचारियों के भरोसे है पाठ्यपुतक मंडल का भविष्य...कैसे संवरेगी प्रदेश की तकदीर

प्रदेश के लाखों विद्यार्थियों को पाठ्यपुस्तकों के वितरण की जिम्मेदारी संभालने वाले राजस्थान पाठ्यपुस्तक मंडल बहुत ही खस्ताहाल में है. मंडल संविदाकर्मियों अथवा रिटायर्ड कर्मचारियों के भरोसे ही कार्यरत है.

खस्ताहाल में जूझ रहा प्रदेश का पाठ्यपुस्तक मंडल
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Published : Apr 2, 2019, 8:55 PM IST

जयपुर. प्रदेश के लाखों विद्यार्थियों को पाठ्यपुस्तकों के वितरण की जिम्मेदारी संभालने वाले राजस्थान पाठ्यपुस्तक मंडल 33 साल से कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा है. और जो कर्मचारी लगे हुए है वे या तो रिटायर्ड है या फिर संविदा पर लगे हुए है. इतना ही नहीं जो कर्मचारी कार्यरत है वे भी रिटायर्ड होने की कगार पर है.

राजस्थान पाठ्यपुस्तक मंडल में पिछले 33 सालों से भर्ती ही नहीं हुई. लगातार रिटायर्ड हो रहे कर्मचारियों के कारण आज स्थिति यह है कि मंडल में 300 स्वीकृत पदों में से 204 पद खाली पड़े हैं. महज 96 कर्मचारियों के भरोसे ही मंडल का काम चल रहा है. जिसमें से 47 पद तो चतुर्थ श्रेणी में शामिल है.

खस्ताहाल में जूझ रहा प्रदेश का पाठ्यपुस्तक मंडल

प्राथमिक और माध्यमिक दोनों पाठ्यपुस्तकों की है जिम्मेदारी
प्रदेश में 1973 में राजस्थान पाठ्यपुस्तक मंडल का गठन किया गया था और 1974 में यह विधिवत अस्तित्व में आई. इसका मुख्य उद्देश्य कक्षा 1 से 12 तक के विद्यार्थियों के लिए पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध कराना है. माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का कार्य केवल सिलेबस तैयार करना है जबकि मंडल का काम पुस्कतें छापना है.

यह है भर्तियों का हाल
भर्तियों के हालात यह है कि 1986 में अंतिम बार यहां भर्तियां की गई थी. और यदि अब भी भर्तियां नहीं की गई तो मंडल या तो संविदा कर्मचारियों के भरोसे चलेगा अथवा रिटायर्ड कर्माचरी उसका काम देखेंगे. कनिष्ठ लिपिकों के 70 में से 52 और वरिष्ठ लिपिकों के 26 में से 20 पद खाली पड़े है. कार्यालय सहायक के 29 में से 19, प्रबंधक के 20 में से 18, मुख्य प्रबंधक के 12 में से 9 सहायक लेखाधिकारी के 2 में से एक, वाहन चालक दो में से एक, कनिष्ठ लेखाकार के 4 में से एक और चतुर्थ श्रेणी के 112 में से 68 पद खाली पड़े हैं.

पाठ्यपुस्तक मंडल में अक्टूबर से पुस्तकों की छपाई का काम शुरू हो जाता है लेकिन ये सब रिटायर्ड कर्मचारियों के भरोसे चल रहा है. मंडल ने पदों पर भर्ती नहीं कि तो आने वाले समय मे मंडल का अस्तित्व खत्म हो जाएगा.

जयपुर. प्रदेश के लाखों विद्यार्थियों को पाठ्यपुस्तकों के वितरण की जिम्मेदारी संभालने वाले राजस्थान पाठ्यपुस्तक मंडल 33 साल से कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा है. और जो कर्मचारी लगे हुए है वे या तो रिटायर्ड है या फिर संविदा पर लगे हुए है. इतना ही नहीं जो कर्मचारी कार्यरत है वे भी रिटायर्ड होने की कगार पर है.

राजस्थान पाठ्यपुस्तक मंडल में पिछले 33 सालों से भर्ती ही नहीं हुई. लगातार रिटायर्ड हो रहे कर्मचारियों के कारण आज स्थिति यह है कि मंडल में 300 स्वीकृत पदों में से 204 पद खाली पड़े हैं. महज 96 कर्मचारियों के भरोसे ही मंडल का काम चल रहा है. जिसमें से 47 पद तो चतुर्थ श्रेणी में शामिल है.

खस्ताहाल में जूझ रहा प्रदेश का पाठ्यपुस्तक मंडल

प्राथमिक और माध्यमिक दोनों पाठ्यपुस्तकों की है जिम्मेदारी
प्रदेश में 1973 में राजस्थान पाठ्यपुस्तक मंडल का गठन किया गया था और 1974 में यह विधिवत अस्तित्व में आई. इसका मुख्य उद्देश्य कक्षा 1 से 12 तक के विद्यार्थियों के लिए पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध कराना है. माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का कार्य केवल सिलेबस तैयार करना है जबकि मंडल का काम पुस्कतें छापना है.

यह है भर्तियों का हाल
भर्तियों के हालात यह है कि 1986 में अंतिम बार यहां भर्तियां की गई थी. और यदि अब भी भर्तियां नहीं की गई तो मंडल या तो संविदा कर्मचारियों के भरोसे चलेगा अथवा रिटायर्ड कर्माचरी उसका काम देखेंगे. कनिष्ठ लिपिकों के 70 में से 52 और वरिष्ठ लिपिकों के 26 में से 20 पद खाली पड़े है. कार्यालय सहायक के 29 में से 19, प्रबंधक के 20 में से 18, मुख्य प्रबंधक के 12 में से 9 सहायक लेखाधिकारी के 2 में से एक, वाहन चालक दो में से एक, कनिष्ठ लेखाकार के 4 में से एक और चतुर्थ श्रेणी के 112 में से 68 पद खाली पड़े हैं.

पाठ्यपुस्तक मंडल में अक्टूबर से पुस्तकों की छपाई का काम शुरू हो जाता है लेकिन ये सब रिटायर्ड कर्मचारियों के भरोसे चल रहा है. मंडल ने पदों पर भर्ती नहीं कि तो आने वाले समय मे मंडल का अस्तित्व खत्म हो जाएगा.

Intro:जयपुर- प्रदेश के लाखों विद्यार्थियों को पाठ्यपुस्तकों के वितरण की जिम्मेदारी संभालने वाल राजस्थान पाठ्यपुस्तक मंडल 33 साल से कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा है और जो कर्मचारी लगे हुए है वे या तो रिटायर है या फिर संविदा पर लगे हुए है, इतना ही नहीं जो नियमित है वह भी आने वाले दो तीन साल में रिटायर होने की कगार पर है। देखिए यह रिपोर्ट।


Body:राजस्थान पाठ्यपुतक मंडल में पिछले 33 सालों से भर्ती ही नहीं हुई। लगातार रिटायर हो रहे कर्मचारियों के कारण आज स्थिति यह है कि मंडल में 300 स्वीकृत पदों में से 204 पद खाली पड़े हैं। महज 96 कर्मचारियों के भरोसे ही मंडल का काम चल रहा है जिसमें से 47 पद तो चतुर्थ श्रेणी में शामिल है।

प्राथमिक और माध्यमिक दोनों पाठ्यपुस्तकों की है जिम्मेदारी
प्रदेश में 1973 में राजस्थान पाठ्यपुस्तक मंडल का गठन किया गया था और 1974 में यह विधिवत अस्तित्व में आई। इसका मुख्य उद्देश्य कक्षा 1 से 12 तक के विद्यार्थियों के लिए पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध कराना है। पहले यह कक्षा 1 से 8 तक की किताबें ही छपवाता था। लेकिन सितंबर 2010 में सरकार ने एक आदेश जारी कर कक्षा 9 से 12 तक की किताबों के छपवाने की जिम्मेदारी भी इसी को दे दी। इससे पहले 9 से 12वीं तक के विद्यार्थियों की किताबों की जिम्मेदारी राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के पास थी। अब बोर्ड केवल सिलेबस तय करता है। मंडल के गठन के बाद यहां पद स्वीकृत किए गए और भर्तियां भी हुई। मंडल में अंतिम बार 1986 में भर्ती हुई थी। अब हालात यह है कि जल्दी ही भर्ती नहीं की गई तो आने वाले कुछ सालों में पूरा का पूरा मंडल ही संविदा कर्मचारियों और रिटायर कर्मचारियों के भरोसे ही संचालित होगा।

यह है भर्तियों का हाल
कनिष्ठ लिपिकों के 70 में से 52 और वरिष्ठ लिपिकों के 26 में से 20 पद खाली पड़े है। कार्यालय सहायक के 29 में से 19, प्रबंधक के 20 में से 18, मुख्य प्रबंधक के 12 में से 9 सहायक लेखाधिकारी के 2 में से एक, वाहन चालक दो में से एक, कनिष्ठ लेखाकार के 4 में से एक और चतुर्थ श्रेणी के 112 में से 68 पद खाली पड़े हैं।

इन स्वीकृत पदों पर एक भी भर्ती नहीं
लेखाधिकारी का एक, तकनीकी अधिकारी का एक, सहायक शैक्षिक अधिकारी का एक, निजी सहायक का एक, विधि सहायक का एक, पुस्तकालयाध्यक्ष का एक, सहायक सचिव के पांच, एनालिस्ट कम प्रोग्रामर का एक, प्रोग्रामर का एक, सूचना सहायक के दो पद स्वीकृत है। यह सभी पद वर्षों से खाली पड़े हैं।


Conclusion:पाठ्यपुस्तक मंडल में अक्टूबर से पुस्तकों को छपाई का काम शुरू हो जाता है लेकिन ये सब रिटायर कर्मचारियों के भरोसे चल रहा है। मंडल ने पदों पर भर्ती नहीं कि तो आने वाले समय मे मंडल का अस्तिव खत्म हो जाएगा।
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