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बसंत पंचमी : सालों बाद बन रहा एक साथ 2 विशेष संयोग, इन बातों का रखें खास ध्यान....

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Published : Jan 29, 2020, 10:01 AM IST

हर साल माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी मनाई जाती है. इस दिन खासतौर पर मां सरस्वती की आराधना की जाती है. बसंत पंचमी के दिन को देवी सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाते हैं.

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बसंत पंचमी पर विशेष संयोग

जयपुर. इस बार बसंत पंचमी खास है. क्योंकि इस बार बसंत पंचमी पर कुमार योग और रवि योग का संयोग बना है. जो मांगलिक और शुभ कार्यों की शुरुआत करने और परिणय सूत्र में बंधने के लिए श्रेष्ठ माना जाता है.

बसंत पंचमी पर विशेष संयोग

ज्योतिषाचार्य पं. पुरुषोत्तम गौड़ के मुताबिक विद्यारंभ, यज्ञोपवीत और विवाह जैसे संस्कारों और दूसरे शुभ कार्यों के लिए श्रेष्ठ माना जाता है. बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की आराधना के साथ ही नई कार, बाइक खरीदने के लिए शुभ मुहूर्त भी है. इस दिन पीले, बसंती या सफेद वस्त्र धारण करना चाहिए. किसी अन्य रंग का रंगीन कपड़ा नहीं पहनना चाहिए. पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके पूजा की शुरुआत करनी चाहिए.

पढ़ें: आजादी 'काले पानी' से : ईटीवी भारत के कैंपेन का बड़ा असर, 650 करोड़ खर्च कर साफ होगा बुड्ढा नाला

विशेष संयोग पर रखें खास ध्यान..
मां सरस्वती को पीला वस्त्र बिछाकर उस पर स्थापित करें. रोली-मौली, केसर, हल्दी, चावल, पीले फूल, पीली मिठाई, मिश्री, दही, हलवा प्रसाद के रूप में उनके पास रखें.

• मां सरस्वती को श्वेत चंदन और पीले हुए सफेद पुष्प दाएं हाथ से अर्पण करें.

• केसर मिश्रित खीर अर्पित करना सर्वोत्तम होगा.

• मां सरस्वती के मूल मंत्र ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः का जाप हल्दी की माला से करना सर्वोत्तम होगा.


• काले नीले कपड़ों का प्रयोग पूजन भूलकर भी ना करें. शिक्षा की बाधा का योग है तो इस दिन विशेष पूजा करके उसको ठीक किया जा सकता है.


• बसंत पंचमी के दिन तीन ग्रह खुद की ही राशि में रहेंगे. मंगल वृश्चिक में,बृहस्पति धनु में और शनि मकर राशि में रहेंगे. इस दिन पीले बसंती या सफेद वस्त्र धारण करें, पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके पूजा की शुरुआत करें.

बसंत पंचमी पर सालों बाद ग्रह और नक्षत्रों की स्थिति और खास बन रही है. इस दिन तीन ग्रहों का एक दूसरे की राशि में होना अद्भुत संयोग है. जहां मंगल वृश्चिक में, बृहस्पति धनु में और शनि मकर राशि में होंगे. इस दिन किसी को भी अपशब्द बोलने से बचना चाहिए. इसके लिए गालीगलौज और झगड़े से दूर रहना चाहिए. मांस-मदिरा का भी सेवन नहीं करना चाहिए. ब्रह्मचर्य का पालन करना बेहद जरूरी है. भूल से भी बिना स्नान किए भोजन नहीं करना चाहिए.

जयपुर. इस बार बसंत पंचमी खास है. क्योंकि इस बार बसंत पंचमी पर कुमार योग और रवि योग का संयोग बना है. जो मांगलिक और शुभ कार्यों की शुरुआत करने और परिणय सूत्र में बंधने के लिए श्रेष्ठ माना जाता है.

बसंत पंचमी पर विशेष संयोग

ज्योतिषाचार्य पं. पुरुषोत्तम गौड़ के मुताबिक विद्यारंभ, यज्ञोपवीत और विवाह जैसे संस्कारों और दूसरे शुभ कार्यों के लिए श्रेष्ठ माना जाता है. बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की आराधना के साथ ही नई कार, बाइक खरीदने के लिए शुभ मुहूर्त भी है. इस दिन पीले, बसंती या सफेद वस्त्र धारण करना चाहिए. किसी अन्य रंग का रंगीन कपड़ा नहीं पहनना चाहिए. पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके पूजा की शुरुआत करनी चाहिए.

पढ़ें: आजादी 'काले पानी' से : ईटीवी भारत के कैंपेन का बड़ा असर, 650 करोड़ खर्च कर साफ होगा बुड्ढा नाला

विशेष संयोग पर रखें खास ध्यान..
मां सरस्वती को पीला वस्त्र बिछाकर उस पर स्थापित करें. रोली-मौली, केसर, हल्दी, चावल, पीले फूल, पीली मिठाई, मिश्री, दही, हलवा प्रसाद के रूप में उनके पास रखें.

• मां सरस्वती को श्वेत चंदन और पीले हुए सफेद पुष्प दाएं हाथ से अर्पण करें.

• केसर मिश्रित खीर अर्पित करना सर्वोत्तम होगा.

• मां सरस्वती के मूल मंत्र ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः का जाप हल्दी की माला से करना सर्वोत्तम होगा.


• काले नीले कपड़ों का प्रयोग पूजन भूलकर भी ना करें. शिक्षा की बाधा का योग है तो इस दिन विशेष पूजा करके उसको ठीक किया जा सकता है.


• बसंत पंचमी के दिन तीन ग्रह खुद की ही राशि में रहेंगे. मंगल वृश्चिक में,बृहस्पति धनु में और शनि मकर राशि में रहेंगे. इस दिन पीले बसंती या सफेद वस्त्र धारण करें, पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके पूजा की शुरुआत करें.

बसंत पंचमी पर सालों बाद ग्रह और नक्षत्रों की स्थिति और खास बन रही है. इस दिन तीन ग्रहों का एक दूसरे की राशि में होना अद्भुत संयोग है. जहां मंगल वृश्चिक में, बृहस्पति धनु में और शनि मकर राशि में होंगे. इस दिन किसी को भी अपशब्द बोलने से बचना चाहिए. इसके लिए गालीगलौज और झगड़े से दूर रहना चाहिए. मांस-मदिरा का भी सेवन नहीं करना चाहिए. ब्रह्मचर्य का पालन करना बेहद जरूरी है. भूल से भी बिना स्नान किए भोजन नहीं करना चाहिए.

Intro:जयपुर. आज बसंत पंचमी है और हर साल माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत पंचमी मनाई जाती है. इस दिन खासतौर पर मां सरस्वती की आराधना की जाती है. बसंत पंचमी के दिन को देवी सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाते हैं. इस बार बसंत पंचमी खास है. क्योंकि इस बार बसंत पंचमी पर कुमार योग और रवियोग का संयोग बना है. जो मांगलिक और शुभ कार्यो की शुरुआत करने व परिणय सूत्र में बंधने के लिए श्रेष्ठ माना जाता है.


Body:ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ के अनुसार विद्यारंभ, यज्ञोपवीत व विवाह जैसे संस्कारो और अन्य शुभ कार्यो के लिए श्रेष्ठ माना जाता है. बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की आराधना के साथ ही नई कार, बाइक आदि कार्यो के लिए शुभ मुहूर्त भी है. बसंत पंचमी पर कुमार योग और रवि योग का संयोग है जो कि मांगलिक व शुभ कार्यों के लिए शुरुआत के लिए श्रेष्ठ है. इस दिन पीले, बसंती या सफेद वस्त्र धारण करना चाहिए. वही किसी अन्य रंग का रंगीन कपड़ा नहीं पहनना चाहिए. साथ ही पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके पूजा की शुरुआत करनी चाहिए. विशेष संयोग पर रखे खासतौर पर इसका ध्यान • मां सरस्वती को पीला वस्त्र बिछाकर उस पर स्थापित करें. और रोली मोली, केसर, हल्दी, चावल, पीले फूल, पीली मिठाई, मिश्री, दही, हलवा, आदि प्रसाद के रूप में उनके पास रखें. • मां सरस्वती को श्वेत चंदन और पीले हुए सफेद पुष्प दाएं हाथ से अर्पण करें. • केसर मिश्रित खीर अर्पित करना सर्वोत्तम होगा. • मां सरस्वती के मूल मंत्र ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः का जाप हल्दी की माला से करना सर्वोत्तम होगा. • काले नीले कपड़ों का प्रयोग पूजन भूलकर भी ना करें. शिक्षा की बाधा का योग है तो इस दिन विशेष पूजा करके उसको ठीक किया जा सकता है. • बसंत पंचमी के दिन तीन ग्रह खुद की ही राशि में रहेंगे मंगल वृश्चिक में, बृहस्पति धनु में और शनि मकर राशि में रहेंगे. • इस दिन पीले बसंती या सफेद वस्त्र धारण करें, पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके पूजा की शुरुआत करें. बता दे कि बसंत पंचमी को सालों बात ग्रह और नक्षत्रों की स्थिति और खास बना रही है. इस दिन तीन ग्रहों एक दूसरे की राशि मे होना अद्भुत संयोग है. जहां मंगल वृश्चिक में, बृहस्पति धनु में और शनि मकर राशि में होंगे. इस दिन किसी को भी अपशब्द बोलने से बचना चाहिए. इसके लिए गाली गलौच व झगड़े से दूर रहना चाहिए. साथ ही मांस मदिरा का भी सेवन नहीं करना चाहिए और ब्रह्मचर्य का पालन करना बेहद जरूर है. वही भूल से भी बिना स्नान किए भोजन नहीं करना चाहिए. बाइट- पंडित पुरुषोत्तम गौड़, ज्योतिषाचार्य


Conclusion:....
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