जयपुर. राइट टू हेल्थ बिल को लेकर निजी अस्पतालों में हड़ताल जारी है. इस बीच सवाई मानसिंह मेडिकल हॉस्पिटल के रेजिडेंट चिकित्सकों ने भी निजी अस्पतालों को समर्थन देते हुए कार्य बहिष्कार कर दिया है. रेजिडेंट चिकित्सकों के कार्य बहिष्कार के बाद सरकारी अस्पतालों में व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं, हालांकि अस्पताल प्रशासन की ओर से वैकल्पिक व्यवस्थाएं की गई हैं.
सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज के रेजिडेंट चिकित्सकों ने निजी अस्पतालों की हड़ताल को समर्थन दिया है. जयपुर एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स के अध्यक्ष डॉ नीरज डामोर का कहना है कि निजी अस्पतालों के चिकित्सक राइट टू हेल्थ बिल की खामियों को लेकर अपना विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका आरोप है कि सरकार की ओर से कोई भी सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है. जिसके बाद राजस्थान के सभी निजी चिकित्सकों ने अपनी सेवाएं अनिश्चित काल के लिए बंद कर दी है. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस की ओर से किए गए लाठीचार्ज को दबाने कि सरकार कोशिश कर रही है, ऐसे में रेजिडेंट चिकित्सक निजी अस्पतालों के इस आंदोलन में शामिल हो रहे हैं. हालांकि, रेजिडेंट चिकित्सकों का कहना है कि यदि सरकार चिकित्सकों से वार्ता करने को तैयार होती है और उनकी मांगें सुनी जाती है तो यह हड़ताल खत्म हो सकती है.
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सीनियर रेजिडेंट चिकित्सकों को नोटिस जारीः डॉक्टर नीरज डामोर का कहना है कि राज्य सरकार की ओर से प्रदेश में चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना लागू की गई है, लगभग सभी अस्पताल निःशुल्क इलाज इस योजना के तहत मरीजों को उपलब्ध करवा रहे हैं. ऐसे में राइट टू हेल्थ बिल की आवश्यकता नहीं थी, लेकिन फिर भी सरकार ने यह बिल चिकित्सकों पर थोप दिया. उनका आरोप है कि बिल में कुछ संशोधन को लेकर एक वार्ता सरकार के साथ हुई, लेकिन चिकित्सकों की ओर से दिए गए बिंदुओं को बिल में शामिल नहीं किया गया.
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राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में रेजिडेंट चिकित्सकों के साथ-साथ एसएमएस मेडिकल कॉलेज की सीनियर फैकल्टी और सीनियर रेजिडेंट भी शामिल हो गए थे. लेकिन, अब सीनियर फैकल्टी काम पर लौट चुकी है, जबकि सीनियर रेजिडेंट चिकित्सकों को लेकर मेडिकल कॉलेज प्रशासन की ओर से एक नोटिस जारी किया गया है. इसमें मेडिकल कॉलेज में सीनियर रेजिडेंट चिकित्सकों को काम पर लौटने की चेतावनी दी है. साथ ही कहा है कि यदि सीनियर रेजिडेंट काम पर नहीं लौटते हैं तो उन पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी.