जयपुर. एसपीवी (Special Purpose Vehicle) पर एक्सपर्ट्स हायर कर सकते हैं, इसे लेकर फ्रीडम दी गई है. जयपुर में आकर लोग काम करने से मना भी नहीं करेंगे. ये कहना है स्मार्ट सिटीज मिशन के डायरेक्टर कुणाल कुमार का. सोमवार को जयपुर में सांसद रामचरण बोहरा के साथ स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट का दौरा करने पहुंचे थे. मिशन के डायरेक्टर ने यहां एरिया मैनेजमेंट प्लान मेें कमी बताते (Smart City Project in Jaipur) हुए कहा, 'जब तक यहां एक्सपर्ट और संबंधित एजेंसियां एक साथ नहीं बैठेंगे, तब तक कोई भी प्रोजेक्ट बेहतर नहीं बनेगा.
स्मार्ट सिटीज मिशन के डायरेक्टर का बयान: इस संबंध में कुणाल कुमार ने कहा, 'साल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्मार्ट सिटी मिशन को लॉन्च किया, जिसका मकसद यही है कि शहरों की व्यवस्था और व्यवस्था को चलाने का जो सिस्टम है उसमें सुधार हो सके. यहां गणगौरी अस्पताल के एक्सटेंशन, चौगान स्टेडियम और यहां की पार्किंग प्रोजेक्ट को देखा ये काम अभी प्रगति पर है.'
उन्होंने कहा कि जयपुर जैसी जगह में अच्छे एक्सपर्ट्स की जरूरत है. यहां ट्रैफिक प्लान, एरिया मैनेजमेंट प्लान बने. ताकि लोगों को सुविधा हो. यहां पार्किंग की व्यवस्था, आवागमन, साफ सफाई बेहतर करने के लिए नियोजन की आवश्यकता है. यहां पर मार्केट, हॉस्पिटल, स्पोर्ट्स सभी एक ही एरिया में विकसित हो रहा है, ऐसे में एरिया मैनेजमेंट प्लान बनाना पड़ता है. जिसे ट्रैफिक एक्सपर्ट्स, ट्रैफिक प्लानर, ट्रैफिक पुलिस, स्मार्ट सिटी म्युनिसिपल कॉरपोरेशन, जिला कलेक्टर सभी को मिलकर बनाना होगा.
सांसद रामचरण बोहरा ने क्या कहा जानिए: इस दौरान सांसद रामचरण बोहरा ने कहा, 'साल 2015 से जयपुर में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का काम चल रहा है, लेकिन आपसी समन्वय और बैठकों के अभाव में ये समस्याएं आ रही हैं. पहले ये मिशन महज 5 साल के लिए प्रोजेक्ट किया गया था. आज स्मार्ट सिटी मिशन को 7 साल हो गए हैं, लेकिन आज भी जयपुर वही है, जहां पहले दिन था. यहां हॉस्पिटल का एक्सटेंशन प्रोजेक्ट देखा, जिसमें आने-जाने की सुविधा, पार्किंग और सबसे महत्वपूर्ण टाइम बाउंड मैनर में प्रोजेक्ट पूरा होना चाहिए.' उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी में सामंजस्य की कमी है. इसी वजह से ये देरी से चल रहा है. 3 साल पहले जो निर्देश दिए गए थे, उन्हें फॉलो नहीं किया गया. सांसद रामचरण बोहरा ने कुणाल कुमार के हवाले से कहा, 'अगर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के काम पूरे नहीं होते हैं, एक या दो क्वार्टर मिशन को एक्सटेंड किया जा सकता है.
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स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पर 790 करोड़ रुपए खर्च: राजधानी में स्मार्ट सिटी के तहत 1,000 करोड़ रुपए से 133 प्रोजेक्ट तैयार होने थे, लेकिन 7 साल बीत जाने के बाद और करीब 790 करोड़ रुपए खर्च होने के बाद भी शहर की सूरत बदली नहीं है. माना जा रहा है कि इसी वजह से जयपुर स्मार्ट सिटी रैंकिंग में 17वें पायदान पर है. जबकि राजस्थान का ही उदयपुर 5वें और कोटा 11वें नंबर पर काबिज होते हुए राजधानी से आगे हैं. चूंकि स्मार्ट सिटी मिशन की मियाद जून 2023 में खत्म हो जाएगी. ऐसे में अगले साढ़े 5 महीने में करीब 51 प्रोजेक्ट्स पूरा करने की चुनौती होगी.