जयपुर. राजस्थान कानून व्यवस्था को लेकर चुनौती के मामले में सरकार इंटरनेट बंद करने को प्रमुख हथियार के रूप में इस्तेमाल करती आई है. हाल ही में थर्ड ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा के दौरान भी 3 दिनों तक प्रदेश के दर्जनभर जिलों में इंटरनेट पर रोक रही. इस दौरान राजधानी जयपुर में भी नेट बंद रखा गया. सुबह 6:00 बजे से शाम 6:00 बजे के दरमियान नेट बंद होने की वजह से डिजिटल लाइफ स्टाइल पर आधारित कारोबार से लेकर जीवन शैली पर खासा असर देखा गया.
नेट बंद होने की वजह से एक तरफ ऑनलाइन पेमेंट नहीं हो सके, तो दूसरी ओर मोबाइल एप्लीकेशन के जरिए होने वाला फूड डिलीवरी सिस्टम और कैब बुकिंग भी नहीं हो सकी. यहां तक कि इस तरह के कारोबार से जुड़े लोगों का व्यवसाय 3 दिनों तक बुरी तरह से प्रभावित हुआ. वहीं ऑनलाइन क्लासेज कर निर्भर रहने वाले छात्रों को भी नेट बंदी की वजह से परेशानी का सामना करना पड़ा. सरकार ने शिक्षक भर्ती परीक्षा के दौरान किसी तरह की अनहोनी और गड़बड़ी की आशंका के बीच नेट बंदी का सहारा लिया था.
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यह वर्ग हुआ नेट बंदी से प्रभावितः तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा के दौरान नेटबंदी ने परेशानियों में इजाफा कर दिया. एक तरफ ऑनलाइन पेमेंट अटक गए तो दूसरी ओर विद्यार्थियों और आमजन को काफी दिक्कतें हुई. ऑनलाइन टैक्सी बुकिंग सेवाएं,फूड डिलीवरी चेन और खुदरा कारोबार इस नेटबंदी से प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुए. रोजमर्रा की जरूरत वाले पेट्रोल, फल-सब्जी, दूध-चाय, घरेलू सामग्री, इलेक्ट्रॉनिक्स, बेकरी, बैंकिंग, इंश्योरेंस समेत अन्य कामकाज ऑनलाइन ही होते हैं. ऐसे में राजधानी जयपुर में ही रोजाना करीब 200 करोड़ रुपए का कारोबार प्रभावित हुआ, यानी बीते 3 दिनों में 600 करोड़ से ज्यादा के व्यापार पर ऑनलाइन पेमेंट नहीं होने के कारण असर देखा गया.
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बता दें कि उदयपुर में कन्हैया लाल हत्याकांड के बाद प्रदेश भर में नोटबंदी के दौरान व्यापारियों ने मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखा था. जयपुर व्यापार महासंघ ने हवाला दिया था कि प्रदेश में रोजाना ऑनलाइन पेमेंट नहीं होने की वजह से करीब 40 हज़ार करोड़ रुपए के कारोबार पर असर पड़ता है. व्यापारियों ने सरकार से नेट बंदी के विकल्प को तलाशने की मांग की है.
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छोटे कारोबारियों पर पड़ा बड़ा असर - नकदी की कम प्रचलन के पीछे मौजूदा केंद्र सरकार के डिजिटल पेमेंट की नीति को बड़ा अहम माना जाता है. यही वजह है कि इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले लोग भी अब डिजिटल पेमेंट फैसिलिटी पर ही निर्भर हैं. ऐसे में शनिवार, रविवार और सोमवार को प्रदेश के कई हिस्सों में इंटरनेट बंद होने के कारण पेमेंट का सिस्टम गड़बड़ा गया. इससे ग्राहकों के साथ-साथ कारोबारियों को भी परेशान होना पड़ा.
जयपुर में आइसक्रीम पार्लर संचालक दारा सिंह गहलोत ने कहा कि नकदी के अभाव में उन्हें बीते 3 दिनों में ग्राहकों को वापस भेजना पड़ा. उन्होंने कहा कि इन 3 दिनों में ग्राहकी पर खासा असर हुआ, ऐसे में सरकार को उनके बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए. वहीं किराना कारोबारी लोकेश सैनी ने कहा कि नेटवर्क नहीं होने की वजह से ग्राहक ऑनलाइन पेमेंट एप्स का इस्तेमाल नहीं कर पाते.
मार्केट में बीते कुछ सालों में कैश फ्लो कम होने की वजह से डिजिटल पेमेंट की प्रमुख जरिया बन गया है. लेकिन नेट बंद होने का खामियाजा छोटे कारोबारियों को ज्यादा उठाना पड़ रहा है. इसी तरह से ठेले पर सब्जी बेचने वाले लालचंद ने कहा कि शाम को इंटरनेट चालू होने के बाद ही वे अपना ठेला बाहर निकालते हैं और इस मजबूरी के कारण उन्हें व्यापार में नुकसान उठाना पड़ रहा है.
इंटरनेट बंद होने पर डाटा सर्विस पर पड़ता है असरः- सरकारी निर्देश पर इंटरनेट व्यवस्था को स्थगित किए जाने पर आमतौर पर मोबाइल के जरिए इस्तेमाल होने वाले नेट पर असर पड़ता है. विशेषतः 2जी, 3जी, 4जी इंटरनेट मोबाइल सर्विस पर यह नियम लागू होता है. ब्रॉडबैंड और लैंडलाइन सेवाओं पर यह नेटबंदी का नियम लागू नहीं होता है. बीते 4 साल के दौरान प्रदेश भर में भर्ती परीक्षाओं के साथ-साथ संप्रदायिक तनाव की घटनाएं सांप्रदायिक दंगों और अन्य कानून व्यवस्था से जुड़े मामलों को लेकर इंटरनेट पर रोक लगाई गई थी.
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इंटरनेट को आम तौर पर मौलिक अधिकार का हिस्सा माना गया है. सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2020 में अपनी टिप्पणी में कहा था कि इंटरनेट संविधान के अनुच्छेद-19 के तहत लोगों का मौलिक अधिकार है, यानी यह जीने के हक जैसा ही जरूरी है. इसलिए इंटरनेट को अनिश्चितकाल के लिए बंद नहीं किया जा सकता है. इंटरनेट बंदी जनता पर डिजिटल इमरजेंसी थोपने जैसा है.
दिल्ली से लेकर जयपुर तक उठी आवाज - राजस्थान में रीट भर्ती परीक्षा के दौरान इंटरनेट बंद किए जाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में भी एक याचिका दायर की गई है. इसमें मौलिक अधिकारों के हनन का हवाला दिया गया है. वहीं राजस्थान विधानसभा के बजट सत्र के दौरान कांग्रेस विधायक हरीश मीणा ने भी इस मसले पर आवाज उठाई.
उन्होंने कहा कि यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध चल रहा था, इसके बावजूद वहां नेट बंद नहीं था. लेकिन हमारे यहां तो परीक्षा के दौरान इंटरनेट बंद कर दिया जाता है, ये नहीं सोचा जाता कि आमजन और व्यापार को कितनी हानि होती है. हरीश मीणा ने कहा कि नेट बंद किया जाना मुझे किसी प्रकार प्रासंगिक नहीं लगता.