जयपुर: कई संगठनों द्वारा दिए गए इस ज्ञापन में कहा गया है कि जिस प्रकार कोटा में विभिन्न कोचिंग संस्थानों में पढ़ रहे उत्तर प्रदेश के छात्रों को उनके घर भिजवाने की व्यवस्था उत्तर प्रदेश सरकार, केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा अनुमति देकर की गई है. सभी राज्यों के मजदूरों को छोड़ दिया गया है यह बहुत ही भेदभावपूर्ण है और गरीबों के साथ भद्दा मजाक किया गया है. प्रवासी मजदूर विभिन्न राज्यों में फंसे हुए हैं और कोटा के अलावा भी अन्य कई जिलों में छात्र है उन सभी को भी उनके घर तक पहुचाया जाये.
ज्ञापन में मांग की गई है राज्य सरकार केन्द्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखें और उसमें गरीब और अमीर का भेदभाव केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार कर रही है जिसे बंध किया जाये. प्रदेश के लाखों प्रवासी मजदूर घर जाना चाहते हैं. इनमें से सिर्फ जयपुर में ही कुछ 4.5 लाख होंगे जो सीतापुरा, नाहरी का नाका, विश्वकर्मा औद्योगिक क्षेत्र आदि व अनेक कच्ची बस्ती में रह रहे हैं. ज्ञापन में कहा गया है कि सरकारी आंकड़े कहते हैं की 18,000 मजदूर तो वो हैं जो प्रदेश के विभिन्न शेल्टर होम में 30 मार्च से रह रहे हैं. अधिकांश प्रवासी मजदूर घर जाने के लिए बहुत ही व्याकुल हैं क्योंकि लॉकडाउन में उन्हें घर से दूर बन्दियों जैसा जीवन जीना पड़ रहा है.
दरगाह में दो सप्ताह से फंसे हुए हैं लोग:
सरकार द्वारा दिया जा रहा पका पकाया भोजन रोजाना की जरुरत पूरी नहीं कर सकता. सूखा राशन भी बहुत कम लोगों तक ही पहुंच पा रहा है. सूखे राशन की मात्रा भी बहुत कम है. इसी प्रकार का एक बड़ा समूह जिसमें चार हजार से अधिक जायरीन हैं जो अजमेर में ख्वाज़ा साहब की दरगाह की ज़ियारत करने आये थे. अचानक घोषित लॉकडाउन तथा बस व ट्रेन सुविधा बन्द हो जाने के कारण दरगाह क्षेत्र में विगत दो सप्ताह से भी अधिक समय से फंसे हुए हैं.
देश के अलग-अलग राज्यों की है जायरीन:
ये ज़ायरीन उत्तरदेश, बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र आदि राज्यों से आए हुए हैं. इन सभी का पूर्ण विवरण मोबाइल फ़ोन नंबर सहित दरगाह कमिटी द्वारा बनाया गया है व जिला कलेक्टर को दिया गया है. ये ज़ायरीन दरगाह क्षेत्र में स्थित होटल, गेस्ट हाउस या खादिमो के घर पर रह रहे हैं. इनमें से अधिकांश के पास धनराशि समाप्त हो गयी है और वे दानदाताओ के सहारे जीवन यापन कर रहे हैं. इतने दिन बीत जाने के बाद उनके पास होटल आदि का किराया चुकाने की क्षमता भी नही है और ना ही जिनके घरों में रह रहे हैं. अब वहां और लम्बा रह सकते हैं क्योंकि इस वक्त कोई भी किसी और का आर्थिक बोझा लेने की क्षमता नहीं रखता.
स्पेशल ट्रेन की मांग:
ज्ञापन में कहा गया है कि, इनकी विकट परिस्थितियों को देखते हुए अब जब लॉकडाउन 3 मई तक बढ़ा दिया गया है और ये तब तक जारी रहेगा. इसको मद्देनज़र रखते हुए इन लोगों को अपने घर भेजा जाना जरुरी है. इस सम्बन्ध में प्रधानमन्त्री और रेलमंत्री से वार्ता कर जो मजदूर घर जाना चाहते हैं और जो जायरीन फंसे हुए हैं उनके लिए सम्पूर्ण स्वास्थ्य जांच व सोशल दूरी की प्रक्रिया अपनाते हुए स्पेशल ट्रेन चलवाकर उन्हें घर भिजवाने की व्यवस्था कराए.
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ज्ञापन देने में पीयूसीएल राजस्थान - कविता श्रीवास्तव, अनंत भटनागर, भंवर लाल कुमावत, एन ए पी एम राजस्थान - अखिल चौधरी, सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज, राजस्थान, कोमल श्रीवास्तव, हेमंत मोहनपुरिया, बाबूलाल व नविन महिच, निर्माण एवं जनरल मजदूर यूनियन, हरिकेश बुगालिया , मजदूर किसान शक्ति संगठन - निखिल डे , राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन - मुकेश गोस्वामी, सूचना का अधिकार मंच-कमल टांक, भारत ज्ञान विज्ञानं समिति - अनिल, हेल्पिंग हैंड्स जयपुर - नईम रब्बानी, डॉ. राशिद हुसैन, नुरुल अबसार, वकार अहमद, मो. नाजिमुद्दीन , पिंक सिटी हज एंड एजुकेशन वेलफेयर सोसाइटी - अब्दुल सलाम जोहर के नाम शामिल हैं.