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नवरात्र का 7वां दिन महासप्तमी का, पूजन के बाद मां को लगाएं गुड़ का भोग, कष्ट होंगे दूर - jaipur latest news

नवरात्रि के सभी नौ दिन देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों को समर्पित हैं. देवी दुर्गा के हर एक रूप की एक विशेष दिन पूजा की जाती है. नवरात्रि का सातवां दिन मां दुर्गा के 7वें अवतार मां कालरात्रि को समर्पित है. ये नाम दो शब्दों के साथ बनाया गया है, काल का अर्थ है मृत्यु और रत्रि का अर्थ है अंधकार. इसलिए, कालरात्रि का अर्थ है काल या समय की मृत्यु. कहा जाता है कि मां कालरात्रि अज्ञान का नाश करती हैं और अंधकार में रोशनी लाती हैं. नवरात्र का 7वां दिन : मां कालरात्रि की आराधना से

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Published : Oct 5, 2019, 7:51 AM IST

जयपुर. आज शारदीय नवरात्र का सातवां दिन है. देवी भागवत पुराण के अनुसार, नवरात्रि के सातवें दिन मां दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की पूजा की जाती है. मां कालरात्रि सदैव अपने भक्‍तों पर कृपा करती हैं और शुभ फल देती है. इसलिए मां का एक नाम ‘शुभंकरी' भी है. मां अपने भक्‍तों के सभी तरह के भय को दूर करती हैं. कालरात्रि की कृपा पाने के लिए भक्‍तों को गंगा जल, पंचामृत, पुष्‍प, गंध, अक्षत से पूजा करनी चाहिए.

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सातवां दिन मां कालरात्रि का दिन

शास्त्रों में देवी कालरात्रि को त्रिनेत्री कहा गया है. इनके तीन नेत्र ब्रह्मांड की तरह विशाल हैं, जिनमें से बिजली की तरह किरणें प्रज्वलित हो रही हैं. इनके बाल खुले और बिखरे हुए होते हैं, जो हवा में लहरा रहे हैं. गले में बिजली की चमक जैसी माला है. इनकी नाक से आग की भयंकर ज्वालाएं निकलती रहती हैं. इनकी चार भुजाएं हैं. दाईं ओर की ऊपरी भुजा से महामाया भक्तों को वरदान दे रही हैं और नीचे की भुजा से अभय का आशीर्वाद प्रदान कर रही हैं. बाईं भुजा में मां ने तलवार और खड़ग धारण किया हुआ है.

मां का पसंदीदा भोग है गुड़

कालरात्रि को गुड़ बहुत पसंद है इसलिए महासप्‍तमी के दिन उन्‍हें इसका भोग लगाना शुभ माना जाता है. मान्‍यता है कि मां को गुड़ का भोग चढ़ाने और ब्राह्मणों को दान करने से वह प्रसन्‍न होती हैं और सभी विपदाओं का नाश करती हैं. मां कालरात्रि को लाल रंग बहुत प्रिय है.

महा सप्‍तमी के दिन कालरात्रि की पूजा इस प्रकार करें:

  • पूजा शुरू करने के लिए मां कालरात्रि के परिवार के सदस्यों, नवग्रहों, दशदिक्पाल को प्रार्थना कर आमंत्रित कर लें.
  • सबसे पहले कलश और उसमें उपस्थित देवी-देवता की पूजा करें.
  • अब हाथों में फूल लेकर कालरात्रि को प्रणाम कर उनके मंत्र का ध्यान किया जाता है.
  • इसके बाद 'देव्या यया ततमिदं जगदात्मशक्तया, निश्शेषदेवगणशक्तिसमूहमूर्त्या तामम्बिकामखिलदेवमहर्षिपूज्यां, भक्त नता: स्म विपादाधातु शुभानि सा न:' मंत्र का जाप करें
  • पूजा के बाद कालरात्रि मां को गुड़ का भोग लगाना चाहिए.
  • भोग लगाने के बाद दान करें और एक थाली ब्राह्मण के लिए भी निकाल कर रख दें.

जयपुर. आज शारदीय नवरात्र का सातवां दिन है. देवी भागवत पुराण के अनुसार, नवरात्रि के सातवें दिन मां दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की पूजा की जाती है. मां कालरात्रि सदैव अपने भक्‍तों पर कृपा करती हैं और शुभ फल देती है. इसलिए मां का एक नाम ‘शुभंकरी' भी है. मां अपने भक्‍तों के सभी तरह के भय को दूर करती हैं. कालरात्रि की कृपा पाने के लिए भक्‍तों को गंगा जल, पंचामृत, पुष्‍प, गंध, अक्षत से पूजा करनी चाहिए.

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सातवां दिन मां कालरात्रि का दिन

शास्त्रों में देवी कालरात्रि को त्रिनेत्री कहा गया है. इनके तीन नेत्र ब्रह्मांड की तरह विशाल हैं, जिनमें से बिजली की तरह किरणें प्रज्वलित हो रही हैं. इनके बाल खुले और बिखरे हुए होते हैं, जो हवा में लहरा रहे हैं. गले में बिजली की चमक जैसी माला है. इनकी नाक से आग की भयंकर ज्वालाएं निकलती रहती हैं. इनकी चार भुजाएं हैं. दाईं ओर की ऊपरी भुजा से महामाया भक्तों को वरदान दे रही हैं और नीचे की भुजा से अभय का आशीर्वाद प्रदान कर रही हैं. बाईं भुजा में मां ने तलवार और खड़ग धारण किया हुआ है.

मां का पसंदीदा भोग है गुड़

कालरात्रि को गुड़ बहुत पसंद है इसलिए महासप्‍तमी के दिन उन्‍हें इसका भोग लगाना शुभ माना जाता है. मान्‍यता है कि मां को गुड़ का भोग चढ़ाने और ब्राह्मणों को दान करने से वह प्रसन्‍न होती हैं और सभी विपदाओं का नाश करती हैं. मां कालरात्रि को लाल रंग बहुत प्रिय है.

महा सप्‍तमी के दिन कालरात्रि की पूजा इस प्रकार करें:

  • पूजा शुरू करने के लिए मां कालरात्रि के परिवार के सदस्यों, नवग्रहों, दशदिक्पाल को प्रार्थना कर आमंत्रित कर लें.
  • सबसे पहले कलश और उसमें उपस्थित देवी-देवता की पूजा करें.
  • अब हाथों में फूल लेकर कालरात्रि को प्रणाम कर उनके मंत्र का ध्यान किया जाता है.
  • इसके बाद 'देव्या यया ततमिदं जगदात्मशक्तया, निश्शेषदेवगणशक्तिसमूहमूर्त्या तामम्बिकामखिलदेवमहर्षिपूज्यां, भक्त नता: स्म विपादाधातु शुभानि सा न:' मंत्र का जाप करें
  • पूजा के बाद कालरात्रि मां को गुड़ का भोग लगाना चाहिए.
  • भोग लगाने के बाद दान करें और एक थाली ब्राह्मण के लिए भी निकाल कर रख दें.
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