जयपुर. राजस्थान पुलिस साइबर क्राइम से निपटने के लिए मुस्तैद है और इस पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस हरसंभव प्रयास कर रही है. लगातार बढ़ रहे साइबर अपराध की रोकथाम के लिए पिछले दिनों मेवात इलाके में पुलिस ने करीब 1.27 लाख सिम और एक लाख मोबाइल सेट को डिएक्टिवेट किया है. यह जानकारी राजस्थान पुलिस के डीजी (साइबर सुरक्षा) डॉ. रविप्रकाश मेहरड़ा ने दी है. वे मंगलवार को राजस्थान पुलिस अकादमी में आयोजित सेमिनार को संबोधित कर रहे थे. राजस्थान पुलिस दिवस के उपलक्ष्य में 'TACKLING CYBER CRIME POLICE COMMUNITY OUTREACH' विषय पर इस सेमिनार का आयोजन किया गया. इस सेमिनार को डीजीपी उमेश मिश्रा, केरल पुलिस के एडीजी मनोज अब्राहम, टैक कॉंप्रो के फाउंडर संजय साह, आईआईटी जोधपुर के प्रो. सोमित्र सनाढ्य और एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक के अंकुर त्रिपाठी ने भी संबोधित किया.
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राजस्थान पुलिस हैकाथन पोर्टल का आगाजः इस मौके पर डीजीपी उमेश मिश्रा ने राजस्थान पुलिस अकादमी सभागार में राजस्थान पुलिस हैकाथान पोर्टल का शुभारंभ किया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डीजीपी उमेश मिश्रा ने कहा कि आज जीवन का कोई भी क्षेत्र सूचना प्रौद्योगिकी और डिजीटल तकनीक से अछूता नहीं है. आज का युग एक तरह से साइबर युग है और इस दौर में साइबर अपराध के खतरों को देखते हुए डिजीटल जागरूकता बहुत जरूरी है. खास तौर पर पुलिसकर्मियों के लिए साइबर तकनीक का ज्ञान ज्यादा जरूरी है. उन्होंने पुलिसकर्मियों से सभी नई तकनीक को सीखने का आह्वान किया.
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साइबर अपराध पर लगाम लगाएगा हैकाथन पोर्टलः डीजीपी उमेश मिश्रा ने बताया कि आज देश के अन्य हिस्सों की तरह राजस्थान में भी साइबर अपराध के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. इनको ध्यान में रखते हुए पुलिस की ओर से साइबर सुरक्षा के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. राजस्थान पुलिस हैकाथन पोर्टल भी इसमें अहम भूमिका निभाएगा. उन्होंने बताया कि साइबर अपराध की शिकायत हेल्पलाइन 1930 या cybercrime.gov.in पर दर्ज करवाई जा सकती है.
प्रदेश के सभी जिलों में साइबर थानेः डीजी (साइबर सुरक्षा) डॉ. रवि प्रकाश मेहरड़ा ने बताया कि साइबर अपराधों की रोकथाम के लिए राजस्थान में व्यापक स्तर पर काम हो रहा है. प्रदेश के सभी जिलों में साइबर थानों को मंजूरी दी गई है. इसके साथ ही सेंटर फॉर साइबर सिक्योरिटी की स्थापना 50 करोड़ रुपए की लागत से होगी. साइबर सुरक्षा को लेकर चलाए जा रहे जागरुकता अभियान से युवाओं को भी जोड़ा जा रहा है.
पूरे देश में लागू हो एक प्रोटोकॉलः केरल पुलिस के एडीजी मनोज अब्राहम ने कहा कि संचार क्रांति के इस दौर में साइबर अपराध पर अंकुश लगाना और साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करना सबसे बड़ी चुनौती है. उन्होंने कहा कि आज के दौर में डेटा ही सबसे बड़ा धन है. हर क्षेत्र में इसकी उपयोगिता बढ़ती जा रही है. साइबर सुरक्षा के लिए पुलिस के साथ ही साइबर विशेषज्ञ, बैंक, व्यावसायिक संगठन, कंपनियों और विश्वविद्यालय के सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है. आज हालात यह हैं कि यूक्रेन, बांग्लादेश, इक्वाडोर सहित कई देशों के बैंकों तक को हैक किया जा चुका है. सामरिक महत्व के संस्थानों पर भी साइबर अटैक किए जा रहे हैं. इन खतरों के मद्देनजर साइबर सुरक्षा को प्राथमिकता में रखा जाना चाहिए. साइबर अपराध की चुनौती से निपटने के लिए देशभर में एक समान प्रोटोकॉल की जरूरत भी बताई.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दी जानकारीः टैक कॉन्प्रो के संस्थापक और पूर्व आईपीएस अधिकारी संजय सहाय ने साइबर अपराध की रोकथाम के लिए कर्नाटक मॉडल की जानकारी दी. उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और अन्य तकनीकों की जानकारी देते हुए इनका अपराध में रोकथाम का महत्व बताया. आईआईटी जोधपुर के प्रोफेसर सोमित्र सनाढ्य ने कहा कि सूचना तकनीक का लगातार विस्तार हो रहा है. ऐसे में बैंकों को उपभोक्ता की सुविधा के साथ ही डिजीटल सुरक्षा पर भी ध्यान देना जरूरी है. एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक के अंकुर त्रिपाठी ने आधार कार्ड और यूपीआई के दुरुपयोगों को लेकर जानकारी दी. सीआईआई राजस्थान चैप्टर के चेयरमैन अभिनव बांठिया ने कहा कि औद्योगिक क्षेत्र भी निरंतर डिजीटल परिवर्तन की ओर बढ़ रहा है. साइबर सुरक्षा को लेकर सीआईआई भी गंभीर है.