जयपुर. राजस्थान विश्वविद्यालय में नई शिक्षा नीति के तहत पहली मर्तबा स्नातक में सेमेस्टर सिस्टम लागू किया गया, जिसकी पहले सेमेस्टर की परीक्षाएं 11 जनवरी से प्रस्तावित है. इस परीक्षा में राजस्थान विश्वविद्यालय के संघटक और सम्बद्ध कॉलेजों के करीब 80 हजार छात्र भाग लेंगे. हालांकि, विश्वविद्यालय की ओर से अब तक टाइम टेबल जारी नहीं किया गया है. वहीं, स्वयंपाठी छात्रों की पहले और दूसरे सेमेस्टर की परीक्षाएं एक साथ ही कराई जाएंगी.
नई शिक्षा नीति के तहत स्नातक प्रथम वर्ष में पहले सेमेस्टर के नियमित छात्रों के परीक्षा आवेदन 4 दिसंबर से 24 दिसंबर तक ऑनलाइन भरवाए गए थे. फिलहाल आवेदनों की जांच का काम चल रहा है. यदि किसी छात्र के परीक्षा आवेदन में किसी तरह की समस्या भी है तो उनके संशोधन का पोर्टल भी खोल रखा है. इस संबंध में राजस्थान विश्वविद्यालय एग्जाम कंट्रोलर राकेश राव ने बताया कि महाविद्यालय स्तर पर जांच कर छात्रों का डाटा फाइनल किया जा रहा है. इसके बाद 11 जनवरी से पहले सेमेस्टर की परीक्षाएं प्रस्तावित हैं. इसका टाइम टेबल जल्द ही विश्वविद्यालय की ऑफिशियल वेबसाइट पर प्रसारित कर दिया जाएगा. ऐच्छिक विषयों को देखते हुए जनवरी महीने में ही ये परीक्षाएं पूरी कर ली जाएंगी. परीक्षा की आखिरी तारीख के तुरंत बाद ही अगले सेमेस्टर की पढ़ाई शुरू करवा दी जाएगी, ताकि सेकंड सेमेस्टर की परीक्षाएं समय पर संपन्न हो सके.
उन्होंने स्पष्ट किया कि स्वयंपाठी छात्रों की पहले सेमेस्टर की परीक्षाएं फिलहाल नहीं होगी. हालांकि, उनके परीक्षा आवेदन भरने का दौर अभी जारी है. उनके पहले और दूसरे सेमेस्टर के परीक्षा आवेदन ऑनलाइन भरे जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि स्वयंपाठी छात्रों का पाठ्यक्रम और परीक्षा पैटर्न तो नियमित छात्रों की तरह ही रहेगा, लेकिन स्वयंपाठी छात्रों और नियमित छात्रों में सिर्फ एक अंतर है कि नियमित छात्रों के सतत मूल्यांकन के रूप में मिड टर्म एग्जाम होते हैं, जबकि स्वयंपाठी छात्रों के मिड टर्म एग्जाम नहीं होते, इसलिए उनके पेपर की वेटेज में अंतर रहेगा. नियमित छात्र जहां 80 नंबर का पेपर देगा, वहीं स्वयंपाठी छात्र के वही पेपर 100 नंबर का होगा और उनकी दोनों सेमेस्टर की परीक्षाएं अलग से अप्रैल या मई में आयोजित कराई जाएंगी. उन्होंने बताया कि स्वयंपाठी विद्यार्थी जॉब करता है और उनकी यही मांग रहती है कि उन्हें बार-बार परीक्षा के नाम पर छुट्टियां नहीं लेनी पड़े. पॉलिसी मेकिंग में इस बात का भी ध्यान रखा जाता है.