जयपुर. न्यायिक अधिकारी के घर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी सुभाष मेहरा के आत्मदाह के मामले में (Self Immolation at Judge Residence in Jaipur) कर्मचारियों का बीते 18 नवंबर से चला आ रहा सामूहिक अवकाश सोमवार को भी जारी रहा. इस दौरान कर्मचारियों ने कोर्ट परिसर के बाहर आकर प्रदर्शन किया. ऑल इंडिया अधीनस्थ कर्मचारी महासंघ ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजकर घटना को लेकर 7 दिसंबर तक एफआईआर दर्ज करने की मांग की है. ऐसा नहीं होने पर कर्मचारियों ने देशव्यापी आंदोलन की चेतावनी दी है.
कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय महासचिव संजय सूरौठिया की ओर से मुख्य न्यायाधीश को भेजे (Employees of subordinate courts on mass leave) पत्र में कहा गया है कि न्यायिक कर्मचारी मुख्य न्यायाधीश के अधीन है. कोर्ट कर्मचारियों को ही न्यायपालिका से न्याय प्राप्त न हो और उन्हें आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़े तो आम जनता में भी न्यायपालिका की गरिमा के प्रति प्रतिकूल संदेश जाएगा. राजस्थान न्यायिक सेवा अधिकारी एसोसिएशन ने कर्मचारियों से अपील की है कि वे न्याय प्रशासन और पुलिस जांच पर विश्वास रखते हुए आंदोलन को समाप्त करें.
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आरजेएस एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र सिंह चौधरी की ओर से कर्मचारी नेताओं को भेजे पत्र में कहा गया है कि उन्हें अपनी बात रखने का पूरा अधिकार है, लेकिन इस दौरान मर्यादा का ध्यान रखा जाए. आंदोलन के दौरान ऐसे शब्दों का प्रयोग करने से बचा जाए, जिससे जब दुबारा साथ बैठकर काम करें तो किसी को शर्मिंदा नहीं होना पड़े. पत्र में कहा गया है कि न्यायिक अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच हमेशा से सौहार्दपूर्वक संबंध रहे हैं. लेकिन कुछ लोग कर्मचारियों के मंच का गलत फायदा उठाकर अर्मादित भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं.
ये था मामला : एनडीपीएस मामलों की विशेष कोर्ट में पदस्थापित कर्मचारी सुभाष मेहरा ने 10 नवंबर को न्यायिक अधिकारी के घर की छत पर आत्मदाह कर लिया था. न्यायिक कर्मचारियों का कहना है कि सुभाष की हत्या हुई है. इसलिए मामले की सीबीआई जांच करवाई जानी चाहिए. इसके साथ ही कर्मचारी न्यायिक अफसर को एपीओ करने, मृतक के परिजनों को 50 लाख रुपए मुआवजा सहित एक आश्रित को सरकारी नौकरी देने की मांग को लेकर बीते 18 नवंबर से सामूहिक अवकाश पर चल रहे हैं.