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Special: कोरोना काल में स्कूल बंद, पशुपालन व खेती में माता-पिता का हाथ बंटा रहे बच्चे

कोरोना संक्रमण के कारण स्कूल बंद हैं. शहरों में तो ऑनलाइन क्लास चलाई जा रही है लेकिन गांव में स्कूल पूरी तरह से बंद हैं. ऐसे में गांव में बच्चे खेतों और घरों में माता-पिता का हाथ बंटाने के साथ खेती और पशुपालन के गुर सीख रहे हैं. इसके साथ ही घर पर पढ़ाई भी कर रहे हैं.

Children sharing parents' hands in animal husbandry and farming
पशुपालन व खेती में माता-पिता का हाथ बंटा रहे बच्चे
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Published : Aug 7, 2020, 9:01 PM IST

जयपुर. अनलॉक 3.0 में भी स्कूल-कॉलेज और शिक्षण संस्थानों को बंद रखा गया है. शहरों में तो बच्चों की ऑनलाइल क्लासेज शुरू हो गई है लेकिन गांवों में स्कूल पूरी तरह से बंद हैं. ऐसे में वे स्कूली शिक्षा तो नहीं प्राप्त कर पा रहे हैं लेकिन खेती और पशुपालन के गुर जरूर सीख रहे हैं. लॉकडाउन की वजह से ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे घर और खेतों पर माता-पिता के काम में हाथ बंटा रहे हैं. कुछ पारंपरिक खेती का हुनर सीख रहे हैं तो कुछ पशुपालन कर रहे हैं.

पशुपालन व खेती में माता-पिता का हाथ बंटा रहे बच्चे

लॉकडाउन में ग्रामीण इलाकों के बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह से प्रभावित है. ऐसे में स्कूलों से उनका नाता भले ही टूट गया है लेकिन घरेलू कामकाज, कृषि व पशुपालन संबंधी कार्यों के प्रति उनका रुझान बढ़ा है. खेतों में फसलों की कटाई, बुवाई और सिंचाई के काम इन दिनों बच्चे माता-पिता से सीख रहे हैं.

पशुओं और खेतों की करते हैं देखभाल

कक्षा 4 में पढ़ने वाला रवि इन दिनों खेती-बाड़ी में अपनी मां की मदद कर रहा है. सुबह ही मां के साथ वह खेतों में चला जाता है फसलों की बुवाई में उनका हाथ बंटाता है. कक्षा 8 में पढ़ने वाला रिंकू घर की भेड़ बकरियों को चराने ले जाता है. वहीं कक्षा 8 की छात्रा योगिता कपड़े धोने और खाना पकाने में मां का हाथ बंटाती है. इस साल कक्षा 10वीं की परीक्षा देकर उत्तीर्ण हुआ सूरज गाय-भैंसों को चारा डालने के साथ खेतों में भी पिता के कामकाज में हाथ बंटाता है.

यह भी पढ़ें: SPECIAL : मूंगफली और कपास की खेती ने बदली शेखावटी के किसानों की किस्मत, बढ़ा मुनाफा

पशुपालन और खेती-किसानी सीख रहे बच्चे

कोरोना संकट की वजह से लॉकडाउन ने हर तरफ आर्थिक तबाही मचाई है. इसका असर रोजमर्रा की जिंदगी पर भी पड़ा है. शहरों में काम काज कर रहे ढेरों लोग कोरोना संक्रमण के कारण गांव लौट आए और खेती व पशुपालन में उनका हाथ बंटा रहे हैं. स्कूल बंद होने की वजह से जाजोलाई की तलाई और दूसरे गांव के स्कूली छात्र भी अपने परिजनों की मदद करते हुए खेती-बाड़ी और पशु पालन का काम कर रहे हैं. परिजनों की माने तो बच्चे घर में हाथ बंटाने के साथ-साथ अब खेतों में भी उनकी मदद करने के लिए आ जाते हैं. यही नहीं भेड़-बकरियों को चराना, गाय भैसों का दूध निकालना और उनके चारे की व्यवस्था करने जैसे काम भी वे कर लेते हैं. धीरे-धीरे उन्हें खेती के बारे में काफी जानकारी भी हो गई है.

यह भी पढ़ें: Special : स्मार्टफोन की जद में युवा और बच्चे...दिमाग में 'दानव' का बढ़ रहा खतरा

खेती में भी अवसर, आधुनिक कृषि कर बना सकते हैं भविष्य

शिक्षाविदों की माने तो कोरोना की वजह से कई सेक्टर मजबूत हुए हैं. उनमें छात्रों को जॉब अपॉर्चुनिटी भी मिलेगी. युवा भी खेती से जुड़े विकल्पों पर विचार कर रहे हैं. खेती के मशीनीकरण, सप्लाई चैन मैनेजमेंट, प्रोसेसिंग, मछली पालन, डेयरी क्षेत्र में छात्रों के लिए रोजगार के अवसर खुलेंगे. ऐसे में गांव में रहने वाले स्कूली छात्र यदि पशुपालन और खेती बाड़ी का कार्य सीख रहे हैं तो इसका भी उन्हें लाभ मिलेगा.

जयपुर. अनलॉक 3.0 में भी स्कूल-कॉलेज और शिक्षण संस्थानों को बंद रखा गया है. शहरों में तो बच्चों की ऑनलाइल क्लासेज शुरू हो गई है लेकिन गांवों में स्कूल पूरी तरह से बंद हैं. ऐसे में वे स्कूली शिक्षा तो नहीं प्राप्त कर पा रहे हैं लेकिन खेती और पशुपालन के गुर जरूर सीख रहे हैं. लॉकडाउन की वजह से ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे घर और खेतों पर माता-पिता के काम में हाथ बंटा रहे हैं. कुछ पारंपरिक खेती का हुनर सीख रहे हैं तो कुछ पशुपालन कर रहे हैं.

पशुपालन व खेती में माता-पिता का हाथ बंटा रहे बच्चे

लॉकडाउन में ग्रामीण इलाकों के बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह से प्रभावित है. ऐसे में स्कूलों से उनका नाता भले ही टूट गया है लेकिन घरेलू कामकाज, कृषि व पशुपालन संबंधी कार्यों के प्रति उनका रुझान बढ़ा है. खेतों में फसलों की कटाई, बुवाई और सिंचाई के काम इन दिनों बच्चे माता-पिता से सीख रहे हैं.

पशुओं और खेतों की करते हैं देखभाल

कक्षा 4 में पढ़ने वाला रवि इन दिनों खेती-बाड़ी में अपनी मां की मदद कर रहा है. सुबह ही मां के साथ वह खेतों में चला जाता है फसलों की बुवाई में उनका हाथ बंटाता है. कक्षा 8 में पढ़ने वाला रिंकू घर की भेड़ बकरियों को चराने ले जाता है. वहीं कक्षा 8 की छात्रा योगिता कपड़े धोने और खाना पकाने में मां का हाथ बंटाती है. इस साल कक्षा 10वीं की परीक्षा देकर उत्तीर्ण हुआ सूरज गाय-भैंसों को चारा डालने के साथ खेतों में भी पिता के कामकाज में हाथ बंटाता है.

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पशुपालन और खेती-किसानी सीख रहे बच्चे

कोरोना संकट की वजह से लॉकडाउन ने हर तरफ आर्थिक तबाही मचाई है. इसका असर रोजमर्रा की जिंदगी पर भी पड़ा है. शहरों में काम काज कर रहे ढेरों लोग कोरोना संक्रमण के कारण गांव लौट आए और खेती व पशुपालन में उनका हाथ बंटा रहे हैं. स्कूल बंद होने की वजह से जाजोलाई की तलाई और दूसरे गांव के स्कूली छात्र भी अपने परिजनों की मदद करते हुए खेती-बाड़ी और पशु पालन का काम कर रहे हैं. परिजनों की माने तो बच्चे घर में हाथ बंटाने के साथ-साथ अब खेतों में भी उनकी मदद करने के लिए आ जाते हैं. यही नहीं भेड़-बकरियों को चराना, गाय भैसों का दूध निकालना और उनके चारे की व्यवस्था करने जैसे काम भी वे कर लेते हैं. धीरे-धीरे उन्हें खेती के बारे में काफी जानकारी भी हो गई है.

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खेती में भी अवसर, आधुनिक कृषि कर बना सकते हैं भविष्य

शिक्षाविदों की माने तो कोरोना की वजह से कई सेक्टर मजबूत हुए हैं. उनमें छात्रों को जॉब अपॉर्चुनिटी भी मिलेगी. युवा भी खेती से जुड़े विकल्पों पर विचार कर रहे हैं. खेती के मशीनीकरण, सप्लाई चैन मैनेजमेंट, प्रोसेसिंग, मछली पालन, डेयरी क्षेत्र में छात्रों के लिए रोजगार के अवसर खुलेंगे. ऐसे में गांव में रहने वाले स्कूली छात्र यदि पशुपालन और खेती बाड़ी का कार्य सीख रहे हैं तो इसका भी उन्हें लाभ मिलेगा.

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