जयपुर. कांग्रेस के सियासी घटनाक्रम पर उपनेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया ने सीएम गहलोत को निशाने पर लिया है. पूनिया ने कहा कि कांग्रेस ने समय के साथ अपने आपको नहीं बदला, इसलिए वो सत्ता से बहार होती जा रही है. कांग्रेस में सबकुछ ठीक-ठाक आज भी नहीं है. कांग्रेस का आलाकमान और लीडरशिप कमजोर है, जिसका नतीजा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने खुद को कांग्रेस आलाकमान से बड़ा कर लिया.
पूनिया का आरोप है कि जब भी कोई अफसर (दिल्ली से) आता है तो कभी उनको कोविड तो कभी बीमार या फिर दूसरा इंसिडेंट खड़ा हो जाता है. पूनिया ने कहा कि अशोक गहलोत को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद का ऑफर होता है और वो राजस्थान छोड़ना नहीं चाहते. इसलिए 80 विधायकों के इस्तीफे करवा देते हैं. इतना ही नहीं दिल्ली से कोई भी अफसर आता है तो उनको कभी भी कोविड तो कभी बीमार हो जाते हैं.
गहलोत आलाकमान से बड़ेः उपनेता प्रतिपक्ष और भाजपा पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि कांग्रेस सरकार में अंतर्कलह और खींचतान चल रही है, सबकुछ सामान्य नहीं है. कांग्रेस देशभर में सत्ता से बाहर हुई, इसका बड़ा कारण है कांग्रेस ने समय के हिसाब से अपने आप में बदलाव नहीं किया. कांग्रेस का आलाकमान कमजोर हुआ, कांग्रेस की लीडरशिप कमजोर हुई, उसी का नतीजा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने खुद को कांग्रेस आलाकमान से बड़ा कर लिया है. अशोक गहलोत को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद का ऑफर होता है. कोई भी परिपक्व राजनेता उस असाइनमेंट को स्वीकार कर लेता, लेकिन राजस्थान में ऐसा क्या था कि अशोक गहलोत इस पराकाष्ठा तक चले गए कि 80 विधायकों ने इस्तीफे पेश कर दिए. इसका मतलब कांग्रेस में अभी भी सबकुछ ठीक नहीं है.
कभी बीमार तो कभी दूसरा इंसिडेंट : पूनिया ने कांग्रेस में चल रहे सियासी घटनाक्रम को लेकर सीधे तो कुछ नहीं कहा, लेकिन पिछले दिनों सीएम गहलोत के पैर के अंगूठे में आई चोट की इशारा करते हुए कि कांग्रेस में सबकुछ ठीक-ठाक नहीं है. पार्टी अंतर्कलह से गुजर रही है. सीएम गहलोत अपने आप में इतने बड़े हो गए हैं कि गाहे-बगाहे कोई अवसर आता है तो दूसरा इंसिडेंट खड़ा हो जाता है. पूनिया ने गहलोत की बीमारी पर जल्द स्वस्थ होने की कामना की, लेकिन उन्होंने कहा कि कांग्रेस राजनैतिक तौर पर पूरी तरह बीमार है. उस बीमारी का बड़ा कारण अशोक गहलोत हैं. उन्होंने कांग्रेस के आलाकमान को इतना दबाव में ले लिया है कि वह निर्णय लेने से डरता है.
ढाई-ढ़ाई साल पैकज : सतीश पूनिया ने कहा कि हमारे पास जानकारी थी कि इनमें ढाई-ढाई साल का पैकेज था, लेकिन कुछ नहीं हुआ. नई पीढ़ी को नजर अंदाज किया, इसलिए कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं है. हमारी चिंता यह नहीं है कि कांग्रेस में क्या चल रहा है और यह हमारा विषय भी नहीं है, लेकिन पौने 5 सालों में कांग्रेस के इस झगड़े की वजह से जो प्रदेश हाल हुआ उसका खामियाजा आम जनता को उठाना पड़ा है. प्रदेश की कानून-व्यवस्था चरमराई, किसान कर्ज के बोझ तले दबता चला गया. दलितों पर अत्याचार हुए. इसलिए बीजेपी को इस पूरे मामले में अपने बयान देने पड़े. प्रदेश की जनता ने जिस पार्टी को वोट देकर सत्ता में बिठाया, वहां सिर्फ और सिर्फ कुर्सी की लड़ाई ही चलती रही.
सीएम गहलोत की पेपर लीक घोषणा पर नेता प्रतिपक्ष ने उठाए सवाल : पेपर लीक कानून को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की घोषणा पर नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने सवाल उठाए हैं. राठौड़ ने मंगलवार को ट्वीट करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री सबसे पहले यह बताएं कि नये कानून के तहत अब तक कितने पेपर लीक के आरोपियों को आपने पकड़ा और सजा दिलवाई है ? कितने आरोपियों की संपत्ति जब्त की और किन-किन संस्थाओं की मान्यता रद्द की है ?
नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने ट्वीट करते हुए कहा कि पेपर लीक राजस्थान में रवायत बन चुकी है. मौजूदा सरकार के दौर में एक के बाद एक पर्चे सामने आने का रिकॉर्ड बन चुका है. ऐसे में सरकार की कवायद आधी अधूरी नजर आती है. अब तक की कार्रवाई के दौरान सरकार को यह जाहिर करना चाहिए कि किन-किन आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की गई और सरकार ने क्या एक्शन लिया था. राठौड़ ने कहा कि जब चुनाव की आचार संहिता लगने में 3 माहिए का वक्त बचा है तो युवाओं की याद आ रही है. ये युवा सब समझ रहा है और इस झूठी सरकार की विदाई करने को तैयार बैठा है.