जयपुर. प्रदेश बीजेपी में पिछले लंबे समय से चल रही गुटबाजी को खत्म करने के लिए केंद्रीय आलाकमान लगातार कोशिश कर रहा है. इसके बावजूद अभी भी बीजेपी में गुटबाजी साफ दिखाई दे रही है. पहले सतीश पूनिया और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बीच खेमा बंदी के चलते साढ़े तीन साल से ज्यादा पूर्व मुख्यमंत्री और उनके समर्थकों ने संगठन के कार्यक्रमों से दूरी बनाए रखी थी. अब बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर उपनेता प्रतिपक्ष बनाए जाने के बाद सतीश पूनिया ने भी एकाएक संगठन के कार्यक्रमों से दूरी बना ली है. पूनिया की कार्यक्रमों से दूरी बीजेपी मुख्यालय में चर्चा का विषय बनी हुई है.
अध्यक्ष पद जाने से नाराज ! : दरअसल, बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने सतीश पूनिया का कार्यकाल पूरा होने के बाद सांसद सीपी जोशी को बीजेपी का नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया. साथ ही पूनिया को उपनेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी दी. वहीं, प्रदेश अध्यक्ष पद संभालने के साथ सीपी जोशी ने सभी को साथ लेकर चलने की दिशा में काम करते हुए एक-एक कर सभी बीजेपी के बड़े नेताओं से घर जाकर मुलाकात की. हालांकि, सीपी जोशी के अध्यक्ष बनने के बाद से संगठन की होने वाली किसी भी गतिविधि में सतीश पूनिया की गैरहाजिरी, बीजेपी में चर्चा का विषय बनी हुई है. सियासी गलियारों में चर्चा है कि सतीश पूनिया उपनेता प्रतिपक्ष के पद से संतुष्ट नहीं हैं, इसलिए उन्होंने अब संगठन से भी अपनी दूरी बनाई है.
इन कार्यक्रमों से बनाई दूरी : सीपी जोशी ने 27 मार्च को अध्यक्ष पद का कार्यभार संभाला और साथ ही आने वाले विधानसभा चुनाव में केंद्र की योजनाओं के जरिए आम जनता तक पहुंच बनाने का संदेश दिया. इसी बीच जयपुर बम ब्लास्ट मामले में हाई कोर्ट के फैसले से बीजेपी को बैठे-बिठाए चुनाव में बड़ा मुद्दा हाथ लग गया. जोशी ने जयपुर बम ब्लास्ट मामले को लेकर न केवल मौजूदा सरकार को घेरा, बल्कि आंदोलन की रूपरेखा तैयार कर ली. 1 अप्रैल को छोटी चौपड़ पर प्रदेश बीजेपी की ओर से जयपुर ब्लास्ट के पीड़ितों के साथ धरना दिया गया. इस धरने में बीजेपी एकजुट नजर आई, जो नेता पिछले साढ़े तीन से गायब थे वो भी नजर आए.
बीजेपी के स्थानीय विधायक और सांसद के साथ-साथ तमाम पूर्व विधायक और पदाधिकारी मौजूद रहे, लेकिन इस धरने में सतीश पूनिया शामिल नहीं हुए. इसके बाद बीजेपी मुख्यालय पर आने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर संभागीय बैठक आयोजित हुई. इस बैठक में भी तमाम बीजेपी के सांसद, विधायकों के साथ संगठन के पदाधिकारी और संभाग के संगठन के नेता शामिल हुए, लेकिन सतीश पूनिया शामिल नहीं हुए. इतना ही नहीं 6 अप्रैल को बीजेपी के स्थापना दिवस के कार्यक्रम तक में पूनिया शामिल नहीं हुए. वहीं, 2 दिन पहले जयपुर के रामलीला मैदान में बीजेपी की ओर से जयपुर ब्लास्ट मामले को लेकर सभा और कैंडल मार्च किया गया, इसमें भी सतीश पूनिया की गैरमौजूदगी दिखाई दी.
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गुटबाजी विधानसभा चुनाव में चुनौती : सतीश पूनिया की गैरमौजूदगी इन दिनों बीजेपी के नेताओं में चर्चा का विषय है. जिस जन आक्रोश यात्रा को अध्यक्ष रहते सतीश पूनिया ने शुरू किया था, अब वो उसमें भी शामिल नहीं हो रहे हैं. राजनीतिक गलियारों में ये चर्चा है कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद जाने और उप नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद सतीश पूनिया नाराज चल रहे हैं. उन्होंने अचानक से संगठन के कार्यक्रमों से दूरी बना ली है. वहीं, पहले पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और उनके समर्थक नेताओं की दूरी गुटबाजी साफ दिख रही थी, लेकिन इस बीच वसुंधरा खेमा साढ़े 3 साल बाद फिर से एक्टिव हो गया है.