जयपुर. राजस्थान कांग्रेस की सह प्रभारी बनाई गई अमृता धवन गुरुवार को पहली बार नियुक्ति मिलने के बाद जयपुर पहुंचीं. वह राजस्थान की सह प्रभारी बनीं हैं, ऐसे में गहलोत और पायलट के बीच चल रहे विवाद को लेकर चर्चा नहीं हो, यह संभव नहीं है. लेकिन इस विवाद को लेकर अमृता धवन ने साफ किया कि कांग्रेस पार्टी में डिफरेंस ऑफ ओपिनियन होते हैं और होने भी चाहिए.
उन्होंने कहा कि जिस तरह से परिवार में भी सभी सदस्यों के ओपिनियन समान नहीं होते, उसी तरह पार्टी में भी नहीं होते. अब हमें सहप्रभारी बनाया गया है तो हम सबसे मिलेंगे भी और अगर किसी की पीड़ा हो तो वह हमें बता भी सकता है. अमृता धवन ने कहा कि वैसे भी कांग्रेस पार्टी भाजपा की तरह नहीं है, जहां किसी ने कुछ बोल दिया तो बस तलवारों से ही काटा जाएगा. कांग्रेस में सबकी सुनवाई होती है.
कांग्रेस में महिलाओं को राजनीति में आगे लाना केवल नारा या 'आप' की तरह सजावट का काम नहीं, बल्कि करके दिखाया गया काम है. महिला को विनेबल को नहीं मानने वाले यह जान लें कि कांग्रेस का कार्यकर्ता होना ही विनेबिलिटी की गारंटी है. अमृता धवन क्योंकि दिल्ली में महिला कांग्रेस की अध्यक्ष भी रही हैं, तो ऐसे में महिलाओं को टिकट ज्यादा देने को लेकर भी बात हुई. महिलाओं को राजनीति में आगे लाने पर अमृता धवन ने साफ कर दिया कि लड़की हूं, लड़ सकती हूं, प्रियंका गांधी का यह नारा कांग्रेस में केवल नारा नहीं है, बल्कि उत्तर प्रदेश में उन्होंने यह प्रत्यक्ष करके दिखाया है.
उन्होंने कहा कि राजस्थान में हमारी बहुत से बहनों ने चुनाव लड़ा और राजस्थान अपने आप में एक वाइब्रेंट स्टेट है. हमारी कई महिला साथी यहां काम कर रही हैं और उनका भविष्य भी अच्छा है. हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने उन नेताओं को भी जवाब दिया जो महिलाओं के साथ विनेबिलिटी फैक्टर को नहीं जोड़ते हैं. उन्होंने कहा कि विनेबिलिटी तो कांग्रेस का कार्यकर्ता होता है और वह जिसके साथ है वह खुद ही चुनाव जीत जाता है. अमृता धवन ने कहा कि कांग्रेस पार्टी महिलाओं को आगे रखती है, वह आम आदमी पार्टी की तरह नहीं है जो 8 साल में दिल्ली में एक भी महिला मंत्री नहीं बना सकी और जब सत्येंद्र जैन और मनीष सिसोदिया जेल गए तो डेकोरेशन के लिए उन्होंने महिला मंत्री बना दी.
आम आदमी पार्टी दिल्ली तक सीमित : दरअसल, दिल्ली में कांग्रेस पार्टी को सत्ता से बेदखल करने वाली आम आदमी पार्टी है. ऐसे में अमृता धवन जो खुद आम आदमी पार्टी से दिल्ली में दो-दो हाथ करती रही हैं और अब राजस्थान में भी आम आदमी पार्टी अपना अस्तित्व बनाने का प्रयास कर रही है. इसलिए 'आप' से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी अब दिल्ली तक सीमित रहेगी, क्योंकि एक समय था जब उन्होंने लोगों को भ्रष्टाचार के मुद्दों पर भ्रमित किया और आज 8 साल में एक भी भ्रष्टाचार का मुद्दा नहीं निकाल पाए.
राजनीतिक जीत के लिए उन्होंने आरोप और छींटाकशी की, लेकिन आज भी दिल्ली में वही नूरा कुश्ती चल रही है. दिल्ली में जिस तरीके से शराब नीति को लेकर बड़ा स्कैम सामने आया है, उसके बाद दिल्ली सरकार एक्सपोज हो गई है. उसके पास आधार नहीं बचा और वह दूसरे प्रदेशों में सब्सिडी कैसे दे सकती है जब उन्होंने दिल्ली में सब्सिडी बंद कर दी. मतलब साफ है कि आम आदमी पार्टी का मॉडल शॉर्टकट मॉडल है जो लंबा चलने वाला या विकासशील मॉडल नहीं है. कांग्रेस पार्टी राजस्थान में काम के दम पर चुनाव लड़ रही है, जिसमें उनके मुकाबले में कोई पार्टी नहीं खड़ी है.