जयपुर. विधानसभा स्पीकर के चुनाव को लेकर सचिन पायलट ने चौंकाने वाला खुलासा किया है. उन्होंने कहा कि हममें से कुछ लोग चाहते थे कि स्पीकर सर्वसम्मति से नहीं चुना जाकर चुनाव करवाया जाए, लेकिन जब स्पीकर के पद के लिए भाजपा से वासुदेव देवनानी का नाम सामने आया तो हमने अपना मन बदल लिया. विधानसभा में प्रो. वासुदेव देवनानी को स्पीकर चुने जाने के बाद गुरुवार को सदन में सचिन पायलट ने यह बात कही है.
सचिन पायलट ने कहा मैं आपको इस पद पर आसीन होने के लिए बधाई देना चाहता हूं. सदन में परंपरा रही है कि सर्वसम्मति से स्पीकर का चुनाव हो, लेकिन इस बार जिस गर्म माहौल में विधानसभा चुनाव हुए. उसके बाद जब स्पीकर के चुनाव की बात आई तो हममें से कुछ लोगों ने सोचा कि इस बार स्पीकर का चुनाव होगा. लेकिन फिर जब समाचार पत्रों से पता चला कि आपका नाम सामने आ सकता है. तब हम सबने मन बनाया कि अगर वासुदेव देवनानी स्पीकर बनते हैं तो चुनाव सर्वसम्मति से होगा क्योंकि आप सदन में बहुत ही सक्रिय सदस्य रहे हैं.
उम्मीद है, न्यायपूर्वक होगी रूलिंग : पायलट ने कहा कि हम सबने आपको विपक्ष के नाते, सरकार के नाते कई बार सदन में बातों को रखते देखा. आपका लंबा अनुभव रहा है, जो परिपाटी बनी हुई है, उसकी पालना पूरी तरह से करेंगे, मैं और मेरी पार्टी उम्मीद करते हैं कि आपका हर निर्णय आपकी हर रूलिंग न्यायपूर्वक होगी. अब आप दलगत राजनीति से ऊपर उठ चुके हैं. इस बड़े पद पर बैठकर आप इसको और गौरवशाली बनाएंगे, यह उम्मीद हम करते हैं. समय का आवंटन हो या रूलिंग हो. उसमें पूरी हमदर्दी के साथ हम सब विपक्ष के लोगों का पूरा ध्यान रखेंगे.
सांसदों के निलंबन पर कही यह बात : संसद से विपक्ष के सांसदों के निलंबन के मुद्दे पर सचिन पायलट ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र के इतिहास में पहली बार 141 सांसदों को निलंबित किया गया. यह गलत है, केंद्र सरकार संसद को विपक्ष से मुक्त करना चाहती है लेकिन यह संभव नहीं है. विपक्ष जब अपनी बात रखना चाहता है तो थोक के भाव सांसदों को निलंबित किया जाता है. यह लोकतंत्र के लिए सही नहीं है. सांसदों को निलंबित करना एक गलत परंपरा को स्थापित करना है.
राहुल का पुतला फूंकने पर भाजपा पर कटाक्ष : उपराष्ट्रपति की मिमिक्री करने के मामले में भाजपा विधायकों द्वारा कांग्रेस नेता राहुल गांधी और टीएमसी नेता कल्याण बनर्जी का पुतला फूंकने के सवाल पर सचिन पायलट ने कहा, पहले भाजपा जवाब दे कि आखिर क्यों सांसदों की आवाज को दबाया जा रहा है. आम जनता से जुड़े मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए भाजपा इस तरह के हथकंडे अपना रही है.