जयपुर. शहर की सफाई व्यवस्था को लेकर नगर निगम प्रशासन ने ठोस कार्य योजना बनाई है. इन दिनों नाइट स्लीपिंग पर भी जोर दिया जा रहा है. और परकोटा सहित शहर के 40 से ज्यादा बाजारों में रात में भी सफाई की जा रही है. जल्द ये काम गलियों में भी शुरू किया जाएगा. लेकिन अधिकतम काम फिलहाल मैनुअली हो रहा है. शहर की सड़कों को साफ करने के लिए जिस मैकेनाइज्ड स्वीपिंग व्यवस्था की सालों से बात की जा रही है, वो अभी भी किराये की मशीनों के हवाले है.
अधिकतर मैनुअली हो रहा है सफाई का काम
इस सम्बंध में मोटर गैराज उपायुक्त अतुल शर्मा ने बताया कि रोड स्वीपिंग का ज्यादा काम मैनुअली हो रहा है. मैकेनाइज्ड सिस्टम के तहत शहर में कॉन्ट्रेक्ट पर 7 ट्रैक्टर ट्रेल्ड और 1 ट्रक माउंटेड कॉन्ट्रैक्ट पर सफाई का काम कर रहे हैं. ट्रैक्टर ट्रेल्ड को विभिन्न जोन को बांट रखा है. जबकि ट्रक माउंटेड बड़ी सड़कों की सफाई का कार्य करता है. हालांकि अब नगर निगम प्रशासन द्वारा राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण से उपलब्ध कराए गए फंड से दो ट्रक माउंटेड खरीदने का प्रपोजल तैयार कर भेजा गया है.
नाइट स्वीपिंग भी करवा रहा नगर निगम
ग्रेटर नगर निगम कमिश्नर दिनेश यादव ने बताया कि शहर में सुबह और रात के समय रोड स्वीपिंग का काम किया जा रहा है. विशेषकर प्रमुख बाजारों और जो बाजार सुबह जल्दी खुलते हैं वहां नाइट स्वीपिंग कराई जा रही है. इसके अलावा मुख्य मार्गों पर मैकेनाइज्ड रोड स्वीपिंग भी कराई जाती है. चूंकि सभी रोड स्वीपिंग मशीन टेंडर पर संचालित हैं, ऐसे में निगम प्रशासन ने भी भारत सरकार से स्वच्छता अभियान के तहत सहायता मांगी है.
मैकेनाइज्ड करने के लिए फंड ही नहीं
उन्होंने बताया कि जयपुर सहित दूसरे नगर निगमों के पास सफाई व्यवस्था को मैकेनाइज्ड करने के लिए फंड उपलब्ध नहीं है और कोविड-19 पीरियड में ये समस्या और बढ़ गई है. ऐसे में भारत सरकार की विभिन्न स्कीम के माध्यम से सहायता मिलने के प्रयास किए जा रहे हैं. निगम की आर्थिक स्थिति ठीक होने के साथ ही कोशिश की जाएगी कि खुद के संसाधन भी लगाएं.
निगम ने अब जाकर भले ही रोड स्वीपर मशीन खरीदने का प्रपोजल तैयार किया हो. लेकिन फिलहाल निगम हर साल तकरीबन 2.67 करोड़ रुपए रोड स्वीपर मशीन के किराए पर खर्च कर रहा है. इस राशि में अब तक निगम शायद कई मशीन खरीद कर अपने संसाधनों को बढ़ा सकता था.