जयपुर. राजधानी जयपुर भी अब देश के बड़े जैन तीर्थों में शुमार होगी. गलता गेट स्थित अरिहंत वाटिका में बना ऋषभ जिन प्रासाद शहरवासियों को समर्पित किया जा चुका (Mohanbari Arihant Vatika Jain temple in Jaipur) है. 10 साल तक चले निर्माण कार्य के बाद अब यहां रणकपुर, देलवाड़ा की शिल्पकला और भव्यता की झलक देखने को मिलेगी. मकराना के सवा लाख घन फीट सफेद मार्बल से निर्मित ये जैन मंदिर जयपुर में धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ाएगा.
राजधानीवासियों को 10 साल के इंतजार के बाद स्थापत्य और शिल्प कला की एक अद्भुत मिसाल की सौगात मिल गई है. यहां भगवान ऋषभदेव और अन्य तीर्थंकरों की मूर्तियां और चारों दादा गुरुदेव सहित कुल 29 मूर्तियों की विधि विधान से अंजनश्लाका और प्राण प्रतिष्ठा की गई है. खास बात ये है कि मुख्य सड़क से भी 200 फीट दूरी से मूल वेदी 57 इंच की मूल प्रतिमा ऋषभदेव के दर्शन किए जा सकते हैं.
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मंदिर में देशभर के जैन तीर्थों की झलक देखने को मिलेगी. 300 से ज्यादा कारीगरों ने दिन-रात लगकर मंदिर को तैयार किया है. मकराना के मुस्लिम कारीगरों के अलावा उड़ीसा के कलाकारों ने मंदिर में काम कर साम्प्रदायिक सौहार्द की झलक भी पेश की है. दादाबाड़ी में चारों दादा गुरुदेव की बड़ी मूर्तियां विराजमान करने के साथ ही चित्रों के जरिए इनकी जीवनी भी यहां बताई है. साथ ही नि:शक्तजन और बुजुर्गों के लिए लिफ्ट लगाई गई है. रैंप भी बनाया गया है. आगामी दिनों में ये जैन मंदिर धार्मिक पर्यटन का नया केंद्र बनकर उभरेगा.
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जैन मंदिर में ये है खास :
- मंदिर के मूल गंभारे में विराजमान 57 इंच ऊंचाई की करीब 800 किलो वजन की ऋषभदेव भगवान की बेदाग संगमरमर से बनी मूर्ति (Rishabh dev 800 kg and 57 feet statue in Jaipur) खास है.
- रंगमंडप में भगवान महावीर, पार्श्वनाथ, शांतिनाथ, नेमिनाथ की 31-31 इंच ऊंचाई की प्रतिमाओं के अलावा गणधर पुण्डरिक स्वामी, गणधर गौतम स्वामी की 29-29 इंच ऊंचाई की प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं.
- मंदिर में मुख्य द्वार से प्रवेश के पास बने देहरी मंदिर में 41 इंच आकार की सीमंधर स्वामी और मुनिसुव्रत स्वामी की प्रतिमाएं स्थापित की हैं.
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- मुख्य प्रवेश द्वार से पूर्व 21-21 इंच आकार की छह देवी-देवताओं की प्रतिमा, प्रवेश द्वार के दोनों ओर नाकौड़ा भैरव, घंटाकर्ण महावीर, भोमिया, चक्रेश्वरी देवी, अम्बिका देवी और पदमावति देवी की मूर्तियों को स्थापित किया गया है.
- 8 हजार गज जमीन पर बिना लोहे के इस्तेमाल के रेलवे की तर्ज पर आर्च तकनीक से हुआ काम
- मंदिर में 108 फीट ऊंचा शिखर और 54 फीट का रंग मंडप
- भारतीय संस्कृति और स्थापत्य कला का भी दिखा समावेश
- जैन म्यूजियम, स्वाध्याय भवन और लाइब्रेरी का भी निर्माण