जयपुर. स्वास्थ्य का अधिकार कानून को लेकर निजी चिकित्सक और सरकार आमने सामने हैं. बिल के विरोध में चिकित्सक सड़कों पर उतरे. विधानसभा का घेराव करने पहुंचे डॉक्टरों के साथ पुलिस की झड़प हुई. चिकित्सकों पर हुई लाठीचार्ज का सामाजिक संगठनों ने कड़े शब्दों में निंदा की है. हालांकि, सिविल सोसायटी ने डॉक्टरों से भी अपील किया है कि वो स्वास्थ्य कर अधिकार कानून में बाधा नहीं बने.
लाठीचार्ज को निंदा: चिकित्सों की ओर से स्वास्थ्य अधिकार कानून के विरुद्ध मे रैली निकाली जा रही रैली पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया. सामाजिक संगठन ने संयुक्त बयान जारी कर डॉक्टर पर हुई लाठीचार्ज की निंदा की. सामाजिक कार्यकर्ता कविता श्रीवास्तव ने कहा कि लाठी चार्ज के वीडियो स्पष्ट रूप मे दिखाते है कि पुलिस बंदोबस्त बहुत कमजोर था, जितनी चिकित्सकों की भीड़ थी उसके मुकाबले पुलिस पर्याप्त संख्या मे नहीं थी. आश्चर्य की बात है कि महिला पुलिस बिल्कुल भी नहीं दिख रही, जिससे कि चिकित्सकों और पुलिस के बीच धक्कामुक्की मे अनेक महिला चिकित्सक भी घायल हुए.
सामाजिक कार्यकर्ता कविता श्रीवास्तव ने कहा कि पुलिस की अपूर्ण तैयारी का मंजर यह था कि प्रशासनिक अधिकारी भी नहीं दिख रहे है, न पानी कि बौछार करने वाले टेंकर भी नहीं खड़े हैं. लाठी का इस्तेमाल करने से पहले हमेशा पानी कि बौछारों से भीड़ को तीतर-बितर किया जाता है. उन्होंने कहा कि जब चिकित्सकों की ओर से रैली और प्रदर्शन तय किया गया तो पुलिस को उनके साथ बात करना था, न कि धक्का-मुक्की और लाठीचार्ज.
पढ़ें : आज विधान सभा में जनता को मिलेगा कानूनी रूप से स्वास्थ्य का अधिकार
कानून में चिकित्सक बाधा नहीं बने : सामाजिक संगठनों ने मांग किया है कि चिकित्सकों पर लाठीचार्ज करने वाले दोषी पुलिस कर्मियों पर सख्त कार्रवाई हो और आगे इस तरह का प्रदर्शनकारियों के साथ नहीं होगा. जनस्वास्थ्य अभियान की सदस्य छाया पचौली ने चिकित्सकों से अपील करते हुए कहा कि उनका हक हैं की इस प्रस्तावित कानून का विरोध करे, लेकिन जनहित मे सरकार की ओर से स्वास्थ्य की गारंटी का स्वागत होना चाहिए. क्योंकि इस कानून को लागू करने से सरकार की ओर से सेवाओं का विस्तार और उनकी गुणवत्ता पर जोर दिया जाएगा, जिससे स्वास्थ्य सेवाएं की पहुंच बेहतर होगी. उन्होंने कहा जब सरकार की ओर से चिकित्सकों की सयुक्त एक्शन समिति के नेताओं के साथ हर मुद्दे पर सहमति बनी तब अचानक से चिकित्सकों ने प्रस्तावित कानून का विरोध क्यों शुरू किया?.
चिकित्सकों के साथ झड़प : बता दें कि स्वास्थ्य के अधिकार कानून के विरोध में सोमवार को बड़ी संख्या में निजी चिकित्सकों ने विधानसभा घेराव के लिए मार्च निकाला था. इस दौरान पुलिस और डॉक्टर्स के बीच हुई झड़प में कई डॉक्टर्स को चोट आई. हालांकि, डॉक्टर्स ने साफ कर दिया कि वह तब तक विरोध करते रहेंगे, जब तक सरकार इस बिल को वापस नहीं लेती. बता दें कि मंगलवार को गहलोत सरकार विधानसभा में राइट टू हेल्थ बिल पास कराने की कोशिश करेगी.