जयपुर. वर्ष 2013-14 में चिकित्सा शिक्षा विभाग (Rajasthan Medical Education Department) ने रेजिडेंट चिकित्सकों को लेकर एक बॉन्ड नीति जारी की थी, लेकिन अब रेजिडेंट्स चिकित्सक इस बॉन्ड नीति के विरोध में उतर गए हैं. एसएमएस अस्पताल के रेजिडेंट्स मंगलवार से सुबह 9 बजे से 11 बजे 2 घंटे का कार्य बहिष्कार (Resident doctors protest against bond policy) करेंगे. इस बॉन्ड नीति के तहत पीजी होने के बाद चिकित्सक को कुछ साल सरकारी सेवा में नौकरी देनी होगी या फिर 25 लाख का बॉन्ड भरना होगा, लेकिन प्रदेशभर के रेजिडेंट चिकित्सक अब इस नीति के विरोध में उतर गए हैं.
रेजिडेंट चिकित्सकों का कहना है कि हम बॉन्ड भरने को तैयार हैं लेकिन बॉन्ड नीति अत्यंत जल्दबाजी में जारी की गई है और इसमें सुधार की जरूरत है. ऐसे में सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पतालों में रेजिडेंट चिकित्सक सुबह 9 से 11 बजे तक 2 घंटे का कार्य बहिष्कार करेंगे. हालांकि, इस दौरान आपातकालीन सेवाओं का बहिष्कार नहीं किया जाएगा, लेकिन रेजिडेंट चिकित्सकों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार उनकी मांगे नहीं मानती है तो फिर रेजिडेंट चिकित्सक आंदोलन पर उतर जाएंगे और संपूर्ण कार्य बहिष्कार पर भी जा सकते हैं.
चिकित्सकों का कहना है कि राज्य सरकार की यह बॉन्ड नीति अत्यंत जल्दबाजी, अपारदर्शिता और अपरिपक्व तरीके से लाई गई है और सरकार की ओर से बॉन्ड नीति की विज्ञप्ति निकाले जाने के बाद भी राजस्थान के सभी मेडिकल कॉलेजों में अभ्यर्थियों का बिना किसी पारदर्शी प्रक्रिया के सीनियर रेजिडेंट पदों पर नियुक्त हो जाना, भ्रष्टाचार और धांधली को प्रदर्शित करता है.
दूसरी तरफ रेजिडेंट्स पर लगाई जाने वाली बॉन्ड नीति जिसकी प्रक्रिया इस साल परीक्षा के पूर्व ही शुरू हो जानी चाहिए थी वह अब 6 महीने बाद अक्टूबर महीने में शुरू की जा रही है. इस मध्य अवधि में सभी रेजिडेंट्स को बिना पूर्व सूचना और बॉन्ड की शर्तों के विपरीत दस्तावेज प्रदान नहीं करने एवं सरकार की लेटलतीफी से सभी रेजिडेंट को लगभग 5 महीने बिना आय के आजीविका के लिए संघर्ष करना पड़ा रहा है. यह सरकार की प्रताड़ित करने वाली और दमनकारी नीति को दर्शाता है. उन्होंने मांग की कि इसके लिए राज्य सरकार रेजिडेंट्स को 5 महीने का का वेतन दें और इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर उचित कार्रवाई करके उनके पद से हटाया जाए.
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लैटरल एंट्री बंद हो- रेजिडेंट चिकित्सकों का कहना है कि सुपर स्पेशलिटी में लैटरल एंट्री बंद होनी चाहिए और जो भी लैटरल एंट्री हुई उसको पुनः उनके मूल डिपार्टमेंट में भेजा जाए. सभी रिक्त पद RPSC की ओर से एक पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से भरे जाए जिससे सभी को समान अवसर प्राप्त हो. इसके अलावा राज्य के तकरीबन 5 हजार से अधिक एमबीबीएस डॉक्टर्स चिकित्सा अधिकारी की भर्ती निकालने और पद संख्या बढ़ाने के लिए आंदोलनरत हैं. सरकार उनकी मांगों को दरकिनार कर रही है.
वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इन हजारों डॉक्टर्स की उपलब्धता को देखते हुए इस बॉन्ड नीति को तुरंत प्रभाव से रद्द किया जाए और इसे लागू करने की संभावनाओं पर पुनर्विचार किया जाए. इसके अलावा बॉन्ड नीति में in-service रेजिडेंट डॉक्टर्स को भी समान अवसर प्रदान किए जाए और नीति की विसंगतियों को दूर करने एवं बांड की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक कमेटी गठित की जाए, जिसमें रेसिडेंट डॉक्टर्स के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाए. रेजिडेंट चिकित्सकों का कहना है कि यदि सरकार हमारी मांगें नहीं मानती है तो फिर प्रदेश में एक बड़ा आंदोलन रेजिडेंट चिकित्सकों की ओर से किया जाएगा.