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SPECIAL : राजस्थान का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 7.2 अंक बढ़ा...आमजन पर महंगाई की मार

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Published : Dec 14, 2020, 11:09 PM IST

राजस्थान का जनरल उपभोक्ता मूल्य सूचकांक वर्ष 2019 की तुलना में इस वर्ष बढ़ा है. बीते साल के मुकाबले इस साल अक्टूबर में यह बढ़ोतरी 7.2 अंक की दर्ज की गई है. राजस्थान का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक देश के सूचकांक से 2.4 फीसदी नीचे रहा है. ये आंकड़े आमजन को कैसे प्रभावित करते हैं. जानिए इस खास रिपोर्ट में...

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राजस्थान का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक

जयपुर. कोरोना काल और लॉकडाउन के कारण देश और दुनिया की तरह ही राजस्थान की अर्थव्यवस्था भी नकारात्मक रूप से प्रभावित हुई है. लॉकडाउन के समय उद्योग-धंधे बंद होने के कारण एकबारगी पूरा बाजार ठप हो गया था. हालांकि अब बाजार में उठाव के संकेत मिल रहे हैं. मुद्रा स्फीति में बढ़ोतरी और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के बढ़े हुए आंकडों ने अर्थशास्त्र के जानकारों के साथ ही आमजन की भी चिंता बढ़ा दी है.

राजस्थान का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 7.2 अंक बढ़ा, महंगाई बढ़ी

सूचकांक बढ़ना मतलब महंगाई बढ़ना

राजस्थान का बढ़ा हुआ उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का आंकड़ा बता रहा है कि कोरोना काल में महंगाई की मार से आमजन कितना त्रस्त हुआ है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस साल अक्टूबर माह में राजस्थान में ग्रामीण क्षेत्र का सामान्य उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 156.2 तक पहुंच गया है. जबकि शहरी इलाके में यह आंकड़ा 155.5 अंक पर है. हालांकि, प्रदेश का संयुक्त उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 156 है. जबकि साल 2019 में ग्रामीण राजस्थान का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 149.7 था. शहरी राजस्थान में यह आंकड़ा 147.3 था. संयुक्त रूप से बीते साल यह आंकड़ा 148.8 अंक पर था. इस तरह देखा जाए तो प्रदेश के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में बीते साल की तुलना में इस साल अक्टूबर के महीने में 7.2 अंक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

पढ़ें- मल्टी स्टोरी रेजिडेंशियल बिल्डिंग में CCTV लगाना अनिवार्य, नहीं लगाने पर होगी कार्रवाई

देश का सूचकांक भी बढ़ा

इसी तरह देश के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में बीते साल की तुलना में इस साल 11.2 अंक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. ग्रामीण भारत में इस साल अक्टूबर महीने में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 159.7 अंक पर पहुंच गया है. जबकि शहरी इलाकों में यह आंकड़ा 156.8 अंक पर पहुंच गया है. देश का औसत उपभोक्ता मूल्य सूचकांक इस महीने में 158.4 अंक रहा है. हालांकि, पिछले साल अक्टूबर महीने में यह आंकड़ा 147.2 अंक था. बीते साल ग्रामीण भारत में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 148.3 और शहरी भारत में यह आंकड़ा 146 अंक पर रहा था.

कोरोना काल में महंगाई बढ़ी, लेकिन नियंत्रित

चार्टेड अकाउंटेंट अर्पित मित्तल इसे सरल शब्दों में बताते हैं कि एक उपभोक्ता आमतौर पर सामान और सेवाओं के बदले जो मूल्य चुकाता है. वही उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का निर्धारण करता है. यह आंकड़ा जैसे-जैसे बढ़ता जाता है वैसे ही यह पता चलता है कि महंगाई की मार जनता को कितना परेशान कर रही है. कोरोना काल में महंगाई बढ़ी हुई दर ने आमजन को कितना प्रभावित किया है इसका अंदाजा हमें मुद्रा स्फीति की दर से भी पता चलता है. वर्तमान में मुद्रा स्फीति की दर 7.61 फीसदी है. जबकि पिछले महीने यह दर 7.27 फीसदी थी.

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उपभोक्ता मूल्य सूचकांक बढ़ना मतलब महंगाई का बढ़ना

पढ़ें - जयपुर: कृषि कानूनों के खिलाफ विभिन्न संगठनों ने निकाली रैली, राष्ट्रपति के नाम दिया ज्ञापन

लॉकडाउन में सप्लाई नहीं रुकने से महंगाई काबू में

सीए अर्पित मित्तल बताते हैं कि कोरोना काल की शुरुआत में हुए लॉकडाउन में सब कुछ रुक सा गया था. लेकिन इस अवधि में भी खाने-पीने की वस्तुओं की मांग और सप्लाई का सिलसिला थमा नहीं था. उत्पाद और मैन्यूफैक्चरिंग का क्षेत्र इस अवधि में पूरा ठप पड़ा था. इसलिए इन क्षेत्रों में गिरावट दर्ज की गई है. हालांकि, अब हालात सामान्य होने की तरफ लौट रहे हैं और धीरे-धीरे सब कुछ नॉर्मल होने लगेगा. उनका कहना है कि देश और प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 का उतना असर नहीं दिखा है। जितना अनुमान जताया गया था.

सीए मित्तल बताते हैं कि देश की तुलना में राज्यों का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक ज्यादा या कम होना भौगोलिक परिस्थितियों के साथ ही कई अन्य हालातों पर भी निर्भर करता है. राज्यों में देखें तो यह आंकड़ा कई शहरों का भी अलग-अलग होगा. यह मुख्य रूप से मांग और सप्लाई पर होने वाले खर्च पर निर्भर करता है। इसके साथ ही पेट्रोलियम पदार्थों के दाम भी इसे प्रभावित करते हैं.

कोरोना से उपजी सुस्ती ने बाजार को पहुंचाया नुकसान

हालांकि, कोरोना काल में आई मंदी और अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती ने व्यापार और उद्योग जगत को खासा नुकसान पहुंचाया है. फोर्टी के अध्यक्ष अरुण अग्रवाल का कहना है कि काम धंधे चौपट हुए हैं. केंद्र सरकार ने कई योजनाएं निकाली, लेकिन उनका सीधा फायदा नहीं मिला है. राजस्थान टूरिस्ट हब है लेकिन बीते कई महीनों से टूरिस्ट नहीं आ रहे हैं. ज्वैलरी एक्सपोर्ट का क्षेत्र भी ठप पड़ा है. व्यापारियों के रूपए फंसे पड़े हैं. कोरोना काल में व्यापारियों पर दोहरी मार पड़ी है. एक तरफ ग्राहक नहीं आ रहे हैं तो दूसरी तरफ उधारी की वसूली नहीं हो पा रही है. उनका कहना है कि फिलहाल, अर्थव्यवस्था की गाड़ी पटरी पर नहीं लौटी है.

पढ़ें - कोविड-19 संक्रमण के दौरान ह्रदय से जुड़े रोगियों को विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत

सावों और दिवाली से उठा बाजार, फिर नाइट कर्फ्यू की मार

विश्वकर्मा इंडस्ट्री एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष जगदीश सोमानी बताते हैं कि दीपावली और शादी के कारण बाजार में उठाव दिखा. लेकिन अब कोरोना संकट के कारण वापस नाईट कर्फ्यू लग रहा है. इससे दिक्कत आ रही है. लोगों का रुझान ऑनलाइन खरीदारी की तरफ बढ़ने से दुकानों और शोरूम पर ग्राहकी घटी है. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि एक तरफ मुद्रा स्फीति और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आंकड़े बताते हैं कि राजस्थान की आम जनता महंगाई का दंश झेल रही है. वहीं, बाजार में अभी भी सुधार की दरकार है.

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक : प्रदेश और देश की स्थिति

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वर्ष 2020 में राजस्थान में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक, राजस्थान. अक्टूबर 2020
ग्रामीण- 156.2
शहरी- 155.5
संयुक्त- 156

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वर्ष 2019 में राजस्थान में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक, राजस्थान. अक्टूबर 2019ग्रामीण- 149.7शहरी- 147.3संयुक्त- 148

जबकि देश में अक्टूबर 2020 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक ग्रामीण इलाकों में 159.7, शहरी इलाकों में 156.8 और संयुक्त तौर पर 158.4 अंक रहा है. पिछले साल अक्टूबर में यह ग्रामीण इलाकों में 148.3, शहरी इलाकों में 146 और संयुक्त तौर पर 147.2 अंक था. कुल मिलाकर आंकड़े यही दिखाते हैं कि पिछले साल की तुलना में इस साल महंगाई में बढ़ोतरी हुई है और बाजार ठप हुआ है. लेकिन अर्थव्यवस्था के जानकारों का कहना है कि जल्द ही हालात सुधरने की उम्मीद है.

जयपुर. कोरोना काल और लॉकडाउन के कारण देश और दुनिया की तरह ही राजस्थान की अर्थव्यवस्था भी नकारात्मक रूप से प्रभावित हुई है. लॉकडाउन के समय उद्योग-धंधे बंद होने के कारण एकबारगी पूरा बाजार ठप हो गया था. हालांकि अब बाजार में उठाव के संकेत मिल रहे हैं. मुद्रा स्फीति में बढ़ोतरी और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के बढ़े हुए आंकडों ने अर्थशास्त्र के जानकारों के साथ ही आमजन की भी चिंता बढ़ा दी है.

राजस्थान का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 7.2 अंक बढ़ा, महंगाई बढ़ी

सूचकांक बढ़ना मतलब महंगाई बढ़ना

राजस्थान का बढ़ा हुआ उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का आंकड़ा बता रहा है कि कोरोना काल में महंगाई की मार से आमजन कितना त्रस्त हुआ है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस साल अक्टूबर माह में राजस्थान में ग्रामीण क्षेत्र का सामान्य उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 156.2 तक पहुंच गया है. जबकि शहरी इलाके में यह आंकड़ा 155.5 अंक पर है. हालांकि, प्रदेश का संयुक्त उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 156 है. जबकि साल 2019 में ग्रामीण राजस्थान का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 149.7 था. शहरी राजस्थान में यह आंकड़ा 147.3 था. संयुक्त रूप से बीते साल यह आंकड़ा 148.8 अंक पर था. इस तरह देखा जाए तो प्रदेश के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में बीते साल की तुलना में इस साल अक्टूबर के महीने में 7.2 अंक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

पढ़ें- मल्टी स्टोरी रेजिडेंशियल बिल्डिंग में CCTV लगाना अनिवार्य, नहीं लगाने पर होगी कार्रवाई

देश का सूचकांक भी बढ़ा

इसी तरह देश के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में बीते साल की तुलना में इस साल 11.2 अंक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. ग्रामीण भारत में इस साल अक्टूबर महीने में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 159.7 अंक पर पहुंच गया है. जबकि शहरी इलाकों में यह आंकड़ा 156.8 अंक पर पहुंच गया है. देश का औसत उपभोक्ता मूल्य सूचकांक इस महीने में 158.4 अंक रहा है. हालांकि, पिछले साल अक्टूबर महीने में यह आंकड़ा 147.2 अंक था. बीते साल ग्रामीण भारत में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 148.3 और शहरी भारत में यह आंकड़ा 146 अंक पर रहा था.

कोरोना काल में महंगाई बढ़ी, लेकिन नियंत्रित

चार्टेड अकाउंटेंट अर्पित मित्तल इसे सरल शब्दों में बताते हैं कि एक उपभोक्ता आमतौर पर सामान और सेवाओं के बदले जो मूल्य चुकाता है. वही उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का निर्धारण करता है. यह आंकड़ा जैसे-जैसे बढ़ता जाता है वैसे ही यह पता चलता है कि महंगाई की मार जनता को कितना परेशान कर रही है. कोरोना काल में महंगाई बढ़ी हुई दर ने आमजन को कितना प्रभावित किया है इसका अंदाजा हमें मुद्रा स्फीति की दर से भी पता चलता है. वर्तमान में मुद्रा स्फीति की दर 7.61 फीसदी है. जबकि पिछले महीने यह दर 7.27 फीसदी थी.

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उपभोक्ता मूल्य सूचकांक बढ़ना मतलब महंगाई का बढ़ना

पढ़ें - जयपुर: कृषि कानूनों के खिलाफ विभिन्न संगठनों ने निकाली रैली, राष्ट्रपति के नाम दिया ज्ञापन

लॉकडाउन में सप्लाई नहीं रुकने से महंगाई काबू में

सीए अर्पित मित्तल बताते हैं कि कोरोना काल की शुरुआत में हुए लॉकडाउन में सब कुछ रुक सा गया था. लेकिन इस अवधि में भी खाने-पीने की वस्तुओं की मांग और सप्लाई का सिलसिला थमा नहीं था. उत्पाद और मैन्यूफैक्चरिंग का क्षेत्र इस अवधि में पूरा ठप पड़ा था. इसलिए इन क्षेत्रों में गिरावट दर्ज की गई है. हालांकि, अब हालात सामान्य होने की तरफ लौट रहे हैं और धीरे-धीरे सब कुछ नॉर्मल होने लगेगा. उनका कहना है कि देश और प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 का उतना असर नहीं दिखा है। जितना अनुमान जताया गया था.

सीए मित्तल बताते हैं कि देश की तुलना में राज्यों का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक ज्यादा या कम होना भौगोलिक परिस्थितियों के साथ ही कई अन्य हालातों पर भी निर्भर करता है. राज्यों में देखें तो यह आंकड़ा कई शहरों का भी अलग-अलग होगा. यह मुख्य रूप से मांग और सप्लाई पर होने वाले खर्च पर निर्भर करता है। इसके साथ ही पेट्रोलियम पदार्थों के दाम भी इसे प्रभावित करते हैं.

कोरोना से उपजी सुस्ती ने बाजार को पहुंचाया नुकसान

हालांकि, कोरोना काल में आई मंदी और अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती ने व्यापार और उद्योग जगत को खासा नुकसान पहुंचाया है. फोर्टी के अध्यक्ष अरुण अग्रवाल का कहना है कि काम धंधे चौपट हुए हैं. केंद्र सरकार ने कई योजनाएं निकाली, लेकिन उनका सीधा फायदा नहीं मिला है. राजस्थान टूरिस्ट हब है लेकिन बीते कई महीनों से टूरिस्ट नहीं आ रहे हैं. ज्वैलरी एक्सपोर्ट का क्षेत्र भी ठप पड़ा है. व्यापारियों के रूपए फंसे पड़े हैं. कोरोना काल में व्यापारियों पर दोहरी मार पड़ी है. एक तरफ ग्राहक नहीं आ रहे हैं तो दूसरी तरफ उधारी की वसूली नहीं हो पा रही है. उनका कहना है कि फिलहाल, अर्थव्यवस्था की गाड़ी पटरी पर नहीं लौटी है.

पढ़ें - कोविड-19 संक्रमण के दौरान ह्रदय से जुड़े रोगियों को विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत

सावों और दिवाली से उठा बाजार, फिर नाइट कर्फ्यू की मार

विश्वकर्मा इंडस्ट्री एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष जगदीश सोमानी बताते हैं कि दीपावली और शादी के कारण बाजार में उठाव दिखा. लेकिन अब कोरोना संकट के कारण वापस नाईट कर्फ्यू लग रहा है. इससे दिक्कत आ रही है. लोगों का रुझान ऑनलाइन खरीदारी की तरफ बढ़ने से दुकानों और शोरूम पर ग्राहकी घटी है. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि एक तरफ मुद्रा स्फीति और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आंकड़े बताते हैं कि राजस्थान की आम जनता महंगाई का दंश झेल रही है. वहीं, बाजार में अभी भी सुधार की दरकार है.

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक : प्रदेश और देश की स्थिति

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वर्ष 2020 में राजस्थान में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक, राजस्थान. अक्टूबर 2020
ग्रामीण- 156.2
शहरी- 155.5
संयुक्त- 156

Rajasthan's consumer price index, राजस्थान अर्थव्यवस्था 2020, राजस्थान उपभोक्ता मूल्य सूचकांक, Economic situation of Rajasthan Corona period,  Inflation in Rajasthan Corona period,  Consumer price index in india
वर्ष 2019 में राजस्थान में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक, राजस्थान. अक्टूबर 2019ग्रामीण- 149.7शहरी- 147.3संयुक्त- 148

जबकि देश में अक्टूबर 2020 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक ग्रामीण इलाकों में 159.7, शहरी इलाकों में 156.8 और संयुक्त तौर पर 158.4 अंक रहा है. पिछले साल अक्टूबर में यह ग्रामीण इलाकों में 148.3, शहरी इलाकों में 146 और संयुक्त तौर पर 147.2 अंक था. कुल मिलाकर आंकड़े यही दिखाते हैं कि पिछले साल की तुलना में इस साल महंगाई में बढ़ोतरी हुई है और बाजार ठप हुआ है. लेकिन अर्थव्यवस्था के जानकारों का कहना है कि जल्द ही हालात सुधरने की उम्मीद है.

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