जयपुर. विधानसभा में एक बार फिर मंत्रियों की गैरमौजूदगी का मुद्दा उठा. सदन में रखी जाने वाली अधिसूचना को विभाग के मंत्री की जगह दूसरे मंत्री की और से रखे जाने पर विपक्ष ने आपत्ति दर्ज कराई. विपक्ष की इस आपत्ति को विधानसभा अध्यक्ष ने भी गंभीरता से लिया और चीफ सेक्रेटरी से बात कर बैठक बुलाई है. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है बल्कि पहले भी कई बार विरोध सुर उठते रहे हैं.
ये हुआ घटना क्रम- सोमवार को सरकार की और से कई विभागों की अधिसूचना सदन की टेबल पर रखी जानी थी लेकिन आधे से ज्यादा मंत्री मौजूद नहीं थे. मंत्रियों की गैरमौजूदगी में दूसरे मंत्रियों ने सदन की टेबल पर अधिसूचना रखी. इस पर ही नेता प्रतिपक्ष गुलाबचन्द कटारिया ने आपत्ति दर्ज कराई. कहा कि मंत्री सुबह विधानसभा में आते हैं लेकिन सदन में नहीं आते, उनकी रिपोर्ट भी दूसरे साथी मंत्रियों को रखनी पड़े ये स्थति ठीक नहीं है. कटारिया ने कहा अगर वो सदन के प्रति इतनी भी जिम्मेदारी भी नहीं निभा पाए और स्वयं की जगह दूसरे जाएं तो ये बड़ी चिंता का विषय है.
अध्यक्ष ने बुलाई बैठक- विपक्ष की इस आपत्ति को विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने गंभीरता से लिया. जोशी ने मुख्य सचिव को तलब कर स्थति ठीक करने के लिए आवश्यक बैठक बुलाई. जोशी ने कहा कि ये वास्तव में गंभीर बात है कि मंत्री अपनी रिपोर्ट स्वयं भी नहीं रख रहे हैं. इसको लेकर आवश्यक बैठक बुलाई गई है. बैठक में सरकार के मंत्रियों को इस बात की हिदायत दी जाएगी की वो अपनी जिम्मेदारी को लेकर गंभीर हों.
ये मंत्री रहे Absent- विपक्ष की इस आपत्ति पर संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि ऐसा कभी-कभी हो जाता है. किसी कारण से मंत्री को बाहर जाना पड़ता है. बता दें कि सदन में सामाजिक न्याय मंत्री टीका राम जूली, ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी, श्रम राज्य मंत्री सुखराम विश्नोई , विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की मंत्री जाहिदा खान ने अपने विभाग की अधिसूचना को खुद नहीं रखा.
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पहले भी उठ चुका है अनुपस्थिति का मुद्दा- बता दें कि 16 मार्च 2022 को पिछले विधानसभा सत्र में भी विभाग की अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान मंत्रियों के गायब होने का मुद्दा सदन में गूंजा था. उस वक्त भी जब निर्दलीय विधायक और सीएम के सलाहकार संयम लोढ़ा अपनी बात कह रहे थे तो मंत्रियों की गैरमौजूदगी का मुद्दा उठाया गया था. उस समय उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए थे. राठौड़ ने कहा था कि विभाग की अनुदान मांगों पर चर्चा हो रही है लेकिन सरकार के मंत्री मौजूद नहीं है. इससे साफ़ दीखता है कि प्रदेश को सुशासन देने के लिए कितनी गंभीर है.