जयपुर. प्रदेश में छात्रसंघ चुनाव की तारीखों का भले ही ऐलान ना हुआ हो. लेकिन राजस्थान विश्वविद्यालय में छात्र संघ (स्टूडेंट इलेक्शन) की सरगर्मियां जरूर तेज हो गई हैं. यहां रोजाना छात्र नेताओं की ओर से प्रदर्शन किए जा रहे हैं. लेकिन इनमें राजस्थान विश्वविद्यालय या फिर संघटक कॉलेजों से जुड़े मुद्दे नहीं, बल्कि कैंपस से बाहर के मुद्दों पर राजनीति चमकाने की कोशिश की जा रही है. फिर चाहे महिला उत्पीड़न के मामले हो या फिर प्रदेश में पेपर लीक के. इन सबके बीच कहीं ना कहीं छात्रों के मुद्दे गौण हो गए हैं.
राजनीति की पहली सीढ़ी कहे जाने वाले छात्रसंघ चुनावों में एनएसयूआई, एबीवीपी जैसे छात्र संगठन और निर्दलीय छात्र नेता महिला अत्याचार, गैंगरेप, पेपर लीक जैसे मुद्दों को लेकर कई बार अपनी आवाज उठा चुके हैं. हालांकि उद्देश्य स्पष्ट है कि आगामी छात्र संघ चुनाव अपनी राजनीति चमकाना है. ऐसे में इन मुद्दों को भुनाते हुए छात्र संगठन और छात्र नेता अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने में लगे हुए हैं. बीते दिनों जोधपुर यूनिवर्सिटी में नाबालिग से हुए सामूहिक दुष्कर्म के खिलाफ एबीवीपी और एनएसयूआई ने विरोध प्रदर्शन किए. इन प्रदर्शनों में प्रदर्शनकारी छात्रों के साथ दावेदारी पेश करने वाले छात्र नेताओं की प्रचार सामग्री भी मौजूद थी. प्रदर्शन के दौरान छात्रों पर लाठियां भी बरसी तो भी छात्रों ने अपने नेताओं की प्रचार सामग्री का साथ नहीं छोड़ा.
खैर, ये छात्र राजनीति का एक हिस्सा है. इसी का दूसरा हिस्सा कैनोपी, पोस्टर और बैनर से अटा विश्वविद्यालय कैंपस है. जहां दावेदारी जता रहे छात्र नेताओं ने एडमिशन को लेकर हेल्प डेस्क सजाई है, तो प्रचार सामग्री पर भी जमकर खर्च किया है. कुछ ऐसी ही हालात संघटक कॉलेजों की भी है. महारानी, महाराजा, राजस्थान और कॉमर्स कॉलेज के मुख्य द्वार से लेकर कैंपस तक ऐसी सैकड़ों तस्वीरें देखने को मिल जाएंगी. हालांकि इन सबके बीच राजस्थान विश्वविद्यालय और संघटक कॉलेजों के मूल मुद्दे जो सीधे छात्रों से जुड़े हैं, वो गौण हैं.
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान एबीवीपी के छात्र नेताओं ने कहा कि प्रदेश में गहलोत सरकार की नाकामी युवाओं के सामने आ रही है. इस वजह से एबीवीपी की ओर से महिला उत्पीड़न, पेपर लीक जैसे कैंपस के बाहर के मामलों पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है. विश्वविद्यालय शिक्षा का केंद्र है. यहीं से बाहर निकलकर छात्र समाज से जुड़ता है, अपने भविष्य की इबारत लिखने के लिए आगे बढ़ता है. जब प्रतियोगिता परीक्षाएं देता है तब उन्हें पेपर लीक जैसी समस्याओं से जूझना पड़ेगा तो इस तरह के मुद्दों को उठाते हुए प्रोटेस्ट करने ही चाहिए, ताकि संदेश आगे तक जाए. वहीं एनएसयूआई की ओर से तो मणिपुर हिंसा के मुद्दे को लेकर भी प्रोटेस्ट किया गया. जिस पर उन्होंने तर्क दिया कि विश्वविद्यालय छात्रों से जुड़ा हुआ है, और छात्र समाज से जुड़ा हुआ है. इसलिए सामाजिक मुद्दों को यहां उठाया जाता है, लेकिन एनएसयूआई छात्रों से जुड़े मुद्दों पर भी पीछे नहीं है.
बहरहाल, छात्रसंघ चुनाव की तारीख अभी तय नहीं हुई है, लेकिन चुनावी सरगर्मियां जरूर तेज हो गई हैं. विश्वविद्यालय में शक्ति प्रदर्शन करते हुए दावेदारी भी पेश की जा रही है. लेकिन सिंडिकेट मीटिंग के दौरान हुए प्रोटेस्ट के अलावा अब तक हुए प्रदर्शनों में छात्रों से जुड़े मुद्दे जरूर पीछे छूट गए हैं.