जयपुर. राजस्थान विश्वविद्यालय के छात्रों ने इस बार एक मंत्री की बेटी की बगावत, जातिवाद और क्षेत्रवाद से ऊपर उठकर (Rajasthan University Election) मतदान किया और निर्दलीय प्रत्याशी निर्मल चौधरी के सिर पर अध्यक्ष पद का ताज सजाया. अध्यक्ष पद पर शपथ लेने के बाद ईटीवी भारत से खास बातचीत में निर्मल चौधरी ने खुलकर कहा कि उनके पिता तुल्य बड़े भाई मुकेश भाकर और सचिन पायलट को उनके संघर्ष का फल नहीं मिला. यही वजह है कि उन्होंने निर्दलीय तैयारी की. क्योंकि संगठन से क्या आशा करें, संघर्ष करके कुछ बनेंगे और उसके बाद हटा दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि छात्र हित में अब सरकार यदि बजट नहीं देगी, तो फिर इस छात्र शक्ति के साथ सरकार से भीख मांगने उतर जाएंगे.
राजस्थान विश्वविद्यालय में निर्दलीय प्रत्याशियों के जीतने का ट्रेंड बरकरार है. शनिवार को आए परिणामों में एक बार फिर छात्रों ने छात्र (Rajasthan University Election Result) संगठनों को दरकिनार करते हुए निर्दलीय प्रत्याशी निर्मल चौधरी को अपना नेता चुना. वहीं राजस्थान विश्वविद्यालय के पटेल भवन (एडम ब्लॉक) पर परंपरा का निर्वहन करते हुए जीते हुए पैनल को कुलपति ने शपथ दिलाई. शपथ ग्रहण करने के बाद ईटीवी भारत से बातचीत में नवनिर्वाचित अध्यक्ष निर्मल ने कहा कि संगठन वाले तवज्जो ही नहीं देते. कांग्रेस में ही देख लो संघर्ष करने वालों को तवज्जो कहां देते हैं, इससे अच्छा है क्यों किसी संगठन के गुलाम रहें. आजाद होकर छात्र शक्ति के लिए कार्य करें. क्योंकि चुनेगी तो छात्र शक्ति. कौन अध्यक्ष बनेगा, नहीं बनेगा ये फैसला छात्र शक्ति करेगी. कोई संगठन थोड़ी करेंगे. इसी आधार पर निर्दलीय तैयारी की थी.
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पायलट और भाकर को नहीं मिला संघर्ष का फलः निर्मल ने कहा कि सचिन पायलट हो या मुकेश भाकर दोनों को उनके संघर्ष (Rajasthan University president Nirmal Chaudhary) का फल नहीं मिला. मुकेश भाकर को तो यूथ कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष चुन कर भेजा था, और संगठन वालों ने उन्हें हटा दिया. ऐसे में हम संगठन से क्या आशा करेंगे. संघर्ष करके कुछ बनेंगे और उसके बाद हटा दिया जाएगा. इसका क्या मतलब है. इससे अच्छा है निर्दलीय छात्र शक्ति के तौर पर तैयारी करो. उन्होंने कहा कि सचिन पायलट को भी उनके संघर्ष का फायदा नहीं मिला. जब बड़े लीडर्स को संघर्ष का फायदा नहीं मिला, तो इस से अच्छा है कि आप बिना पार्टी और संगठन के ही कार्य करो. संगठन में विचारधारा भी कोई मायने नहीं रखती.
उन्होंने कहा कि संयुक्त सचिव पद पर जीती धरा कुमावत वो एसएफआई की कार्यकर्ता हुआ करती थी, और आखिरी समय में एनएसयूआई उसे ले जाती है और अपना प्रत्याशी घोषित कर देती है. ये जीत एसएफआई की हुई या एनएसयूआई की. संघर्ष करे कोई और उसका फायदा उठाए कोई और. पार्टियों की विचारधारा होनी चाहिए. उसी के आधार पर संगठन चलने चाहिए. यहां तो कब बीजेपी वाला कांग्रेस में आ जाता है और कांग्रेस वाला बीजेपी में चले जाता है, और कब एसएफआई वाला एनएसयूआई में आ जाता है पता नहीं चलता. जब तक ये आधार धरातल पर मजबूती से नहीं बदलेगा, तब तक निर्दलीय ही छात्र संघ अध्यक्ष बनेंगे.
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सरकार बजट नहीं देगी तो भीख मांगने उतर जाएंगेः निर्मल ने कहा कि मुख्यमंत्री, सांसद, विधायक यहां आकर (Student Union Election in Jaipur) चले जाते हैं. लेकिन अव्यवस्थाओं में कोई सुधार नहीं होता. ऐसे में अब सरकार यदि बजट नहीं देगी, तो फिर इस छात्र शक्ति के साथ सरकार से भीख मांगने उतर जाएंगे.
वहीं एनएसयूआई से टिकट नहीं मिलने पर उपाध्यक्ष के पद पर निर्दलीय मैदान में उतर कर जीत दर्ज करने वाली अमीषा मीणा ने कहा कि एनएसयूआई से टिकट की मांग की थी. लेकिन प्रदेश अध्यक्ष अभिषेक चौधरी ने मना कर दिया. उसके बाद निर्दलीय मैदान में उतरने का फैसला लिया था. उन्होंने कहा कि अब उपाध्यक्ष पद पर जीत दर्ज कर शपथ ग्रहण कर ली है. ऐसे में छात्राओं की सुरक्षा, छात्राओं के लिए सैनिटरी पैड्स, वॉशरूम के गेट और वाटर फैसिलिटी पर काम करेंगे. इसके अलावा विश्वविद्यालय में तैयार लाइब्रेरी को शुरू कराने और रूल्स-रेगुलेशन स्ट्रांग कराने का प्रयास किया जाएगा.
वहीं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के महासचिव पद पर अरविंद जाजड़ा ने (ABVP in Rajasthan University) जीत दर्ज की. ईटीवी भारत से बातचीत में अरविंद ने एबीवीपी छात्र संगठन का धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्हें महासचिव पद के लिए काबिल समझा गया. एबीवीपी संगठन नॉमिनेशन खारिज होने पर उनके साथ खड़ा रहा, लड़ाई लड़ी और फिर छात्रों ने मत और समर्थन देकर उन्हें चुना. चूंकि ये 7वीं मर्तबा है जब अध्यक्ष पद पर एबीवीपी का कैंडिडेट नहीं चुना गया. इस पर जाजड़ा ने कहा कि टिकट देने में एबीवीपी से भी चूक हुई और हो सकता है प्रत्याशी से भी चूक हुई. लेकिन ऐसा नहीं है कि एबीवीपी छात्रों से दूर हो. क्योंकि एबीवीपी 365 दिन छात्रों के बीच में काम करती है, और अब आगामी दिनों में जो मेनिफेस्टो एबीवीपी ने जारी किया था, उस पर काम किया जाएगा.
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उधर, एसएफआई से नामांकन भरने के बाद एनएसयूआई की कैंडिडेट संयुक्त सचिव पद पर जीत दर्ज करने वाली धरा कुमावत (Rajasthan University gets New president) ने अपनी जीत का श्रेय एनएसयूआई परिवार और पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष पूजा वर्मा को दिया. उन्होंने अपनी प्राथमिकता बताते हुए कहा कि छात्र-छात्राओं की जो भी समस्याओं के सामने आएंगी. उनका प्राथमिकता पर समाधान करने का प्रयास किया जाएगा. वहीं एसएफआई से संयुक्त सचिव चुनकर आने पर समस्याओं का समाधान नहीं कर पाने के सवाल पर कहा कि इस पद की कुछ जिम्मेदारी होती हैं, फिर चाहे वो एसएफआई की हो या एनएसयूआई की. अब वो संयुक्त सचिव हैं और इन जिम्मेदारियों को पूरा करेंगी.
वहीं अपेक्स पदों के अलावा राजस्थान विश्वविद्यालय के शोध छात्रों ने रामस्वरूप ओला को अपना प्रतिनिधि चुना. ओला ने बताया कि कुल 830 वोट में से 585 वोट डाले थे, और उन्होंने 6 वोट से जीत दर्ज की. अब वो शोधार्थियों के सामने आने वाली लैब, स्कॉलरशिप और रजिस्ट्रेशन लेटर जैसी समस्याओं के लिए तत्पर होकर शोधार्थियों के साथ खड़े रहेंगे और उनका समाधान करवाएंगे.
निर्मल पुलिस पर भड़केः इससे पहले अध्यक्ष पद पर काबिज हुए निर्मल चौधरी को जीत के बाद कॉमर्स कॉलेज से यूनिवर्सिटी लाया जा रहा था. जिस पर वो पुलिसकर्मियों पर भड़क गए. निर्मल ने एसएचओ और पुलिसकर्मियों को धक्का देकर फटकारते हुए कहा कि 'आप लोगों की सुरक्षा करने की जिम्मेदारी है, मेरे ऊपर चढ़ने की जिम्मेदारी नहीं है. धक्का मुक्की करने की जरूरत नहीं है, वो अच्छे से जाएंगे. निर्मल चौधरी कहते हैं मैं राजस्थान विश्वविद्यालय का अध्यक्ष हूं. उन्होंने यह भी कहा कि वो छात्रों की सुरक्षा के लिए संघर्ष करेंगे. छात्राओं की सुरक्षा के लिए संघर्ष जारी रखेंगे. पिछले दिनों पुलिस ने उनकी बहन पर हाथ उठाया था, उसी तरह पुलिस अन्य छात्राओं पर भी हाथ उठा सकती है. ऐसे पुलिस प्रशासन के खिलाफ भी आवाज उठाएंगे.
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क्या पायलट ने दी गहलोत को मात: राजस्थान विश्वविद्यालय के इस बार के चुनाव नतीजे शायद इतिहास के पन्नों में लंबे समय तक इसलिए याद किए जाएंगे कि इन चुनावों में जीतने वाला चेहरा भले ही निर्मल चौधरी हो, लेकिन जिताने वाले कांग्रेस विधायक, पूर्व एनएसयूआई और यूथ कांग्रेस अध्यक्ष मुकेश भाकर हैं. नतीजे ऐसा बता रहे हैं मानो मूल कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई का समर्थन कर रहे मंत्री, विधायकों पर अकेले कांग्रेस विधायक मुकेश भाकर भारी पड़े. जिन्होंने पर्दे के पीछे रहकर निर्मल चौधरी को राजस्थान विश्वविद्यालय का अध्यक्ष बना दिया.
इतना ही नहीं मुकेश भाकर को इस चुनाव में अपने ही सहयोगी और पायलट कैंप से आने वाले मंत्री मुरारी लाल मीणा की बेटी निहारिका जोरवाल को भी हराना पड़ा. मतलब साफ है कि अगर निहारिका इन चुनावों में कैंडिडेट नहीं होती, तो शायद एनएसयूआई को इतने बुरे नतीजे नहीं झेलने पड़ते. न चाहते हुए भी निहारिका ने निर्मल चौधरी की बड़ी मदद कर दी. आपको बता दें कि निर्मल चौधरी की जीत से आधा घंटा पहले ही मुकेश भाकर ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर 1300 वोटों से जीत का दावा कर दिया था.
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राजस्थान कॉलेज में चुनाव परिणाम जारी (Rajasthan College Election Result) हो गया है. अध्यक्ष पद पर लक्ष्य राज सिंह चुंडवात ने जीत हासिल की है. उपाध्यक्ष राहुल चौधरी, राहुल कुमार मीणा महासचिव चुने गए. रोहित चौधरी संयुक्त सचिव चुने गए हैं. वहीं, महारानी कॉलेज में मतगणना पूरी हो गई है. मानसी वर्मा अध्यक्ष बनीं. कपिशा उपाध्यक्ष, महासचिव पर ज्योति राठौड़, संयुक्त सचिव पर शहनाज निर्विरोध चुनी गईं.
कॉमर्स कॉलेज का छात्रसंघ चुनाव परिणाम जारी हो गया है. आदित्य शर्मा अध्यक्ष चुने गए हैं. महासचिव पद पर विशेष चंदोलिया, उपाध्यक्ष पद पर आशीष महावर और संयुक्त सचिव पद पर विजय शर्मा जीते हैं.
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5 ईयर लॉ कॉलेज का परिणाम जारी- 5 ईयर लॉ कॉलेज में अध्यक्ष पद पर अभय चौधरी, जनरल सेक्रेटरी पर अंकित जिंदल, वाइस प्रेसिडेंट पर मनजीत चौहान और ज्वाइंट सेक्रेट्री पर तनु डिडेल ने जीत दर्ज की है. वहीं, लॉ कॉलेज मॉर्निंग में हिमांशु जैफ 67 वोट से विजयी हुए हैं.
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जयपुर के जगद्गुरु रामानंदाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय के छात्रसंघ चुनाव परिणाम जारी हो गए हैं. अध्यक्ष पद पर निर्दलीय पंकज कुमावत, उपाध्यक्ष पद पर निर्दलीय दिव्यांशु सिंह, महासचिव पद पर निर्दलीय मनोज सेन और संयुक्त सचिव पर एबीवीपी के प्रदीप भदाला जीते.
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जयपुर के राजकीय महाराजा आचार्य संस्कृत महाविद्यालय में चारों पदों पर एबीवीपी ने जीत हासिल की है. किरण प्रजापत अध्यक्ष, सलोनी शर्मा उपाध्यक्ष, मीना कुमावत संयुक्त सचिव और संजय शर्मा ने महासचिव पद पर जीत हासिल की है.