जयपुर. विधानसभा चुनाव से पहले देश के मुखिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान की सरजमीं पर पेपर लीक में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई और राजस्थान को पेपर लीक मुक्त बनाने की गारंटी दी थी. चुनाव जीतने के बाद बीजेपी सरकार ने पेपर लीक के खिलाफ एसआईटी भी गठित कर दी, लेकिन पेपर लीक और डमी कैंडिडेट्स को रोकने की असली चुनौती उन संस्थाओं के सामने हैं जो प्रतियोगिता परीक्षाएं कराती हैं. इन्हीं चुनौतियों पर पार पाने के लिए कर्मचारी चयन बोर्ड ने एक मास्टर प्लान तैयार किया है.
राजस्थान विधानसभा चुनाव के बाद आगामी दिनों में लोकसभा चुनाव होने हैं और उससे पहले नई सरकार के सामने मोदी की गारंटियों को पूरा करने की चुनौती होगी. उन्हीं में से एक गारंटी है पेपर लीक मुक्त राजस्थान बनाना. ऐसे में बीजेपी और प्रदेश का युवा बेरोजगार प्रतियोगिता परीक्षा कराने वाली संस्थाओं की ओर देख रहा है. इन्हीं में से एक राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड भी है, जो 21 जनवरी से अप्रैल तक एक दर्जन से ज्यादा प्रतियोगिता परीक्षाओं का आयोजन कराने जा रहा है. ऐसे में बोर्ड के सामने सबसे बड़ी चुनौती पेपर लीक और डमी कैंडीडेट्स को रोकने की होगी.
इस पर ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए बोर्ड के अध्यक्ष मेजर जनरल आलोक राज ने बताया कि पेपर लीक की समस्या गंभीर है. इसको काबू करना और खत्म करना प्राथमिकता है. इसके मद्देनजर बोर्ड ने कुछ ऐसे स्टेप लिए हैं, ताकि पेपर लीक की समस्या आगे की परीक्षाओं में ना दिखे. इनमें कुछ स्टेप कॉन्फिडेंशियल हैं, जिन्हें साझा नहीं जा सकता, लेकिन युवा बेरोजगारों को ये भरोसा दिला सकते हैं कि इन स्टेप्स के जरिए पेपर लीक जैसी समस्याएं नहीं आएंगी.
उन्होंने बताया कि पेपर सेट होते हैं, फिर छपते हैं, स्टोर किए जाते हैं और उसके बाद परीक्षा केंद्र तक पहुंचते हैं. इस लंबे सफर के दौरान पेपर कई बार लीक होने की वारदात होती है. उसमें कुछ पुख्ता कदम उठाए गए हैं. परीक्षा केंद्रों पर अभ्यर्थियों को एक घंटे पहले बुलाकर उनके परीक्षा कक्ष में बैठने के बाद पेपर परीक्षा केंद्र पर पहुंचने की व्यवस्था भी इसी कड़ी में शामिल है. इसके अलावा जो कमजोर कड़ियां थीं, उनको मजबूत किया गया है. चैक एंड बैलेंस लगाए गए हैं. ओएमआर शीट में भी चार के बजाय पांच विकल्प का नियम लागू किया गया है. ऐसे में अब अभ्यर्थी को नए नियमों के तहत प्रश्न के उत्तर में एक विकल्प का चयन करना अनिवार्य होगा. अभ्यर्थी ओएमआर शीट को खाली नहीं छोड़ सकेंगे. इससे पारदर्शिता भी बढ़ेगी.
वहीं, डमी अभ्यर्थियों को लेकर मेजर जनरल आलोक राज ने कहा कि किसी अभ्यर्थी ने अपना फॉर्म भरा और डमी अभ्यर्थी की फोटो लगा दी. डमी अभ्यर्थी ने परीक्षा देकर पास कर लिया और फॉर्म भरने वाला व्यक्ति ज्वाइन करना चाहता है. ऐसे डमी प्रकरण के खिलाफ जब जांच की गई तो सन्देह के आधार पर 21 अभ्यर्थी सामने आए. जिनके खिलाफ सांगानेर थाने में दो एफआईआर भी दर्ज कराई गई. इसके अलावा बोर्ड ने फैसला लिया है कि आगामी परीक्षा के फॉर्म भरते समय उन्हें आधार से लिंक किया जाएगा. इसके अलावा जब अभ्यर्थी परीक्षा केंद्र पर परीक्षा देने पहुंचेंगे, तब उनकी लाइव फोटो ली जाएगी, साथ ही बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन की जाएगी. सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे और एचएचएमडी से फ्रिस्किंग की जाएगी. साथ ही एग्जाम बाद जब अभ्यर्थी डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन या ज्वाइन करने के लिए जाते हैं तो डिजिटली उन्हें चेक किया जाएगा, ताकि डमी की समस्या को पूरी तरह खत्म किया जा सके.
आलोक राज ने बताया कि वहीं कुछ केस ऐसे भी सामने आए जिसमें दस्तावेज सत्यापन के दौरान फर्जी सर्टिफिकेट और फर्जी डिग्री अभ्यर्थियों की ओर से दर्शाई गई. ऐसी शिकायतें मिलने पर बोर्ड की ओर से गहन जांच की गई है और फिर नेशनल काउंसिल ऑफ टीचर एजुकेशन से बात हुई. उसके आधार पर पता लगा कि ऐसी करीब 12 यूनिवर्सिटीज हैं, जिन्हें बीपीएड या डीपीएड की मान्यता प्राप्त नहीं है. ऐसे सैकड़ों अभ्यर्थी जिन्होंने इन यूनिवर्सिटी से डिग्री लेकर पीटीआई 2022 की भर्ती में शामिल हुए, उनकी जांच की जा रही है और शिक्षा निदेशालय को ये रिक्वेस्ट की है कि ऐसे अभ्यर्थी जिन्होंने दस्तावेज सत्यापन में फर्जी डिग्रियां दी हैं, उन्हें रोका जाए. उन पर एक्शन लिया जा रहा है, साथ ही ऐसी यूनिवर्सिटीज पर भी कार्रवाई करने के लिए लिखा गया है और यदि जांच में आता है कि ये डिग्री यूनिवर्सिटी की बजाय दलालों के माध्यम से अभ्यर्थियों ने ली है, तो ऐसे अभ्यार्थियों की नियुक्तियां निरस्त करते हुए उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाए.
उन्होंने स्पष्ट किया कि 21 जनवरी से होने वाली प्रतियोगिता परीक्षाओं में बायोमेट्रिक और फेस स्कैन लागू करेंगे और उसके बाद जब भी डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन हो और जब अभ्यर्थी दस्तावेज सत्यापन के लिए जाए तब भी पूरा वेरिफिकेशन होगा. इसके अलावा अभ्यर्थी भी एग्जाम में पेपर क्वालिटी इंप्रूवमेंट महसूस करेंगे, क्योंकि आमतौर पर बहुत सारे अभ्यर्थी क्वेश्चन पेपर को भी कोर्ट में चैलेंज करते हैं और फिर कोर्ट केस की वजह से भर्ती और नियुक्ति अटक जाती हैं. ऐसे में कर्मचारी चयन बोर्ड की ये प्राथमिकता रहेगी की क्वालिटी ऑफ क्वेश्चन भी इंप्रूव किया जाए. उन्होंने यकीन करते हुए कहा कि आने वाले एग्जाम्स में पेपर क्वालिटी अच्छी होगी और अभ्यर्थियों को क्वेश्चन पेपर को लेकर कोर्ट में जाने का मौका नहीं मिलेगा.