जयपुर. राजधानी जयपुर के सूरज मैदान में प्रदेशभर के शिक्षक इकठ्ठा हुए. यहां पहुंचे हर शिक्षक के सिर पर काली टोपी और बाजू पर काली पट्टी बंधी थी. दरअसल, राजस्थान शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) के आह्वान पर गुरुवार शिक्षक महापंचायत का आयोजन किया गया. अध्यापक (ग्रेड-3) के तबादले नहीं होने, वेतन विसंगति और पदोन्नति के लंबे समय से अटके मुद्दों को लेकर शिक्षकों ने सरकार के प्रति रोष जाहिर किया.
राजस्थान शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) के प्रदेशाध्यक्ष रमेशचंद पुष्करणा ने बताया कि शिक्षक ग्रेड-3 के तबादलों की मांग को लेकर शिक्षक पांच साल से इंतजार कर रहे हैं, लेकिन आज तक उनकी मांग पूरी नहीं हुई है. सरकार ने तबादला नीति का झुनझुना पकड़कर शिक्षकों के साथ छल किया है. इसलिए सरकार के खिलाफ आज निंदा प्रस्ताव पारित किया गया. साथ ही शिक्षकों को अध्यापन के साथ ही कई गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाया जा रहा है.
इस मुद्दे पर कई बार आपत्ति दर्ज कार्रवाई गई, लेकिन सरकार इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठा रही है. इसलिए बच्चों की पढ़ाई पर इसका असर पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि वेतन विसंगति दूर कर केंद्र के बराबर वेतन भत्ते देने की मांग लंबे समय से की जा रही है. लेकिन इसे लेकर बनी सावंत कमेटी और खेमराज कमेटी की रिपोर्ट को सरकार ने ठंडे बस्ते में डाल दिया है.
मोबाइल शिक्षक एप का भी विरोध : महापंचायत में वक्ताओं ने कहा कि शिक्षक सम्मान समारोह में 5 सितंबर को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शिक्षकों को ऑनलाइन और गैर शैक्षणिक कार्यों से मुक्त करने का वादा किया था, लेकिन उसी दिन मोबाइल शिक्षक एप लॉन्च किया गया. जिसके तहत शिक्षकों को अपनी कक्षा के छात्रों की उपस्थिति दर्ज करने के आदेश जारी किए गए हैं, जो सरकार की दोहरी नीति को दर्शाता है. आज इस महापंचायत में इस काले कानून के विरोध में प्रस्ताव पारित किया गया.
सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप : राजस्थान शिक्षक संघ के प्रदेश संयोजक संपत सिंह का कहना है कि विधानसभा से लेकर जनसभाओं तक सरकार ने शिक्षकों को लेकर कई घोषणाएं की. लेकिन घोषणाओं को पूरी आज तक नहीं किया गया है. यह सरकार वादाखिलाफी का सबूत है. इसी के चलते आज प्रदेशभर के शिक्षकों को आज यहां महापंचायत करनी पड़ी.