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Rajasthan SDRF : आपदा में देवदूत बन रहे एसडीआरएफ के जवान, 6 सालों में 10 हजार से अधिक लोगों की बचाई जान

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Published : Oct 15, 2022, 9:37 PM IST

प्रदेश में एसडीआरएफ के जवानों को हर तरह की आपदा से निपटने के लिए सशक्त बनाया गया है. चाहे बाढ़ आए या भूकंप. कहीं दीवार ढहे या रसायन या गैस का रिसाव हो, एसडीआरएफ की टीमें सदैव तैयार हैं. इसके लिए जवानों को सख्त ट्रेनिंग से गुजारा जाता है. हर तरह की स्थिति से निपटने के सक्षम बनाया जाता है. एसडीआरएफ के गठन के 6 सालों में टीम अब तक 10 हजार से ज्यादा जानें बचा चुकी है. पढ़िए रिपोर्ट....

Rajasthan SDRF
Rajasthan SDRF

जयपुर. प्रदेश में एसडीआरएफ के गठन के (Rajasthan SDRF) बाद किसी भी तरह की प्राकृतिक आपदा में सहायता पहुंचाई जा रही है. आपदाओं से निपटने और जानों को बचाने के लिए एसडीआरएफ के जवानों को एनडीआरएफ के प्रशिक्षकों से प्रशिक्षण दिलवाया गया. चाहे बाढ़ के चलते स्थिति बिगड़े या भूकंप की स्थिति हो, हर तरह की आपदा से निपटने के लिए एसडीआरएफ के जवान पूरी तरह से परिपक्व और सदैव तैयार हैं.

एडीजी एसडीआरएफ सुष्मित बिश्वास ने बताया कि वर्ष 2013 में एसडीआरएफ का गठन होने के बाद जवानों को 2 वर्ष तक सख्त ट्रेनिंग दिलवाई गई. वर्ष 2016 से एसडीआरएफ के जवानों ने प्रदेश में हर प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं से निपटते हुए लोगों की जान बचाने का काम शुरू किया जो अनवरत जारी है. अब तक एसडीआरएफ के जवान प्रदेश में अलग-अलग तरह की आपदाओं में फंसे 10 हजार से अधिक लोगों की जान बचा चुके हैं. एसडीआरएफ का गठन होने से पहले प्रदेश में किसी भी तरह की आपदा होने पर सेना या एनडीआरफ की मदद मांगी जाती थी. लेकिन अब राजस्थान की एसडीआरएफ इतनी सशक्त हो गई है कि दूसरे राज्यों में भी आपदा होने पर उन्हें बचाव कार्य के लिए भेजा जाता है.

आपदा में देवदूत बन रहे एसडीआरएफ के जवान

आपदाओं में देवदूत साबित हो रही एसडीआरएफ : एडीजी सुष्मित बिश्वास ने बताया कि राजस्थान एसडीआरएफ की टीम हर तरह की आपदा (Rajasthan SDRF in Disaster Management) से निपटने के लिए पूरी तरह से सक्षम है. मुख्य रूप से एक्वेटिक डिजास्टर मैनेजमेंट यानी की बाढ़ राहत में बेहतर काम कर रही है. पिछले कुछ वर्षों से राजस्थान में बाढ़ प्रभावित इलाकों में फंसे हुए लोगों का बड़े पैमाने पर रेस्क्यू किया गया है. एक्वेटिक डिजास्टर मैनेजमेंट में फास्ट वाटर रेस्क्यू और डीप वाटर रेस्क्यू जैसे सेगमेंट शामिल हैं.

पढ़ें. मॉक ड्रिल: आनासागर झील में SDRF का रेस्क्यू, टापू पर फंसे 10 लोगों को निकाला बाहर

इसी तरह से जवानों को कॉलेप्स स्ट्रक्चर यानी की किसी इमारत के ढहने या मिट्टी में दबे लोगों का रेस्क्यू करने की भी विशेष ट्रेनिंग दी गई है. सीबीआरएन रेस्क्यू यानी की केमिकल, बायोलॉजिकल, रेडियोलॉजिकल एंड न्यूक्लियर डिजास्टर के दौरान किसी तरह के रसायन या गैस का रिसाव होने पर लोगों को बचाने के लिए एसडीआरएफ के जवानों को विशेष ट्रेनिंग और विशेष किस्म के उपकरण दिए गए हैं. इसके साथ ही एसडीआरएफ का प्रत्येक जवान एमएफआर यानी कि मेडिकल फर्स्ट रिस्पांडर की ट्रेनिंग से पूरी तरह प्रशिक्षित है, जो हर तरह की आपदा में फंसे हुए लोगों को मेडिकल रिलीफ पहुंचाने में भी सक्षम है.

एसडीआरएफ ट्रेनिंग का स्तर उत्तम : एडीजी सुष्मित बिश्वास ने बताया कि राजस्थान एसडीआरएफ की ट्रेनिंग (Rajasthan SDRF training) का स्तर बेहद उत्तम है. इसे दूसरी किसी भी एजेंसी के साथ कंपेयर नहीं किया जा सकता. डीप डाइविंग के लिए राजस्थान एसडीआरएफ के पास जो संसाधन मौजूद हैं उनके जरिए पानी में 35 फीट और 70 फीट तक की गहराई तक डीप डाइविंग की जा सकती है. बिना संसाधनों के इतनी गहराई तक डाइव नहीं की जा सकती. यदि जुगाड़ के साथ ऐसा किया जाता है तो यह गोताखोर और राहत पाने वाले व्यक्ति दोनों के लिए जानलेवा सिद्ध हो सकता है.

पढ़ें. Rajasthan SDRF :पानी में डूबते लोगों की जान बचाएगा वाटर ड्रोन 'लाइफ बॉय'

डीप डाइविंग के लिए एसडीआरएफ के जवानों को महाराष्ट्र के कोलाड जिला और पश्चिम बंगाल के कोलकाता में हार्ड ट्रेनिंग दी जाती है. जवानों को हुगली नदी और बंगाल की खाड़ी में डीप डाइविंग की सख्त ट्रेनिंग दी जाती है. इसके साथ ही इमारत ढहने और रसायन व गैस रिसाव के दौरान किए जाने वाले रेस्क्यू की ट्रेनिंग जवानों को एनडीआरएफ और भारत के अलग-अलग जिलों में बने हुए ट्रेनिंग सेंटर पर दी जाती है. एसडीआरएफ को सबसे लेटेस्ट और उन्नत किस्में के संसाधन मुहैया करवाए गए हैं, जिनकी ट्रेनिंग भी सभी यूनिट को दी गई है. वर्तमान में क्लाइमेट चेंज के चलते चुनौतियां पूरे संसार के सामने आ रही हैं. इसका असर राजस्थान में भी दिखाई दे रहा है, उन तमाम चुनौतियों से निपटने के लिए एसडीआरएफ के जवान पूरी तरह से तैयार व मुस्तैद हैं.

जयपुर. प्रदेश में एसडीआरएफ के गठन के (Rajasthan SDRF) बाद किसी भी तरह की प्राकृतिक आपदा में सहायता पहुंचाई जा रही है. आपदाओं से निपटने और जानों को बचाने के लिए एसडीआरएफ के जवानों को एनडीआरएफ के प्रशिक्षकों से प्रशिक्षण दिलवाया गया. चाहे बाढ़ के चलते स्थिति बिगड़े या भूकंप की स्थिति हो, हर तरह की आपदा से निपटने के लिए एसडीआरएफ के जवान पूरी तरह से परिपक्व और सदैव तैयार हैं.

एडीजी एसडीआरएफ सुष्मित बिश्वास ने बताया कि वर्ष 2013 में एसडीआरएफ का गठन होने के बाद जवानों को 2 वर्ष तक सख्त ट्रेनिंग दिलवाई गई. वर्ष 2016 से एसडीआरएफ के जवानों ने प्रदेश में हर प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं से निपटते हुए लोगों की जान बचाने का काम शुरू किया जो अनवरत जारी है. अब तक एसडीआरएफ के जवान प्रदेश में अलग-अलग तरह की आपदाओं में फंसे 10 हजार से अधिक लोगों की जान बचा चुके हैं. एसडीआरएफ का गठन होने से पहले प्रदेश में किसी भी तरह की आपदा होने पर सेना या एनडीआरफ की मदद मांगी जाती थी. लेकिन अब राजस्थान की एसडीआरएफ इतनी सशक्त हो गई है कि दूसरे राज्यों में भी आपदा होने पर उन्हें बचाव कार्य के लिए भेजा जाता है.

आपदा में देवदूत बन रहे एसडीआरएफ के जवान

आपदाओं में देवदूत साबित हो रही एसडीआरएफ : एडीजी सुष्मित बिश्वास ने बताया कि राजस्थान एसडीआरएफ की टीम हर तरह की आपदा (Rajasthan SDRF in Disaster Management) से निपटने के लिए पूरी तरह से सक्षम है. मुख्य रूप से एक्वेटिक डिजास्टर मैनेजमेंट यानी की बाढ़ राहत में बेहतर काम कर रही है. पिछले कुछ वर्षों से राजस्थान में बाढ़ प्रभावित इलाकों में फंसे हुए लोगों का बड़े पैमाने पर रेस्क्यू किया गया है. एक्वेटिक डिजास्टर मैनेजमेंट में फास्ट वाटर रेस्क्यू और डीप वाटर रेस्क्यू जैसे सेगमेंट शामिल हैं.

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इसी तरह से जवानों को कॉलेप्स स्ट्रक्चर यानी की किसी इमारत के ढहने या मिट्टी में दबे लोगों का रेस्क्यू करने की भी विशेष ट्रेनिंग दी गई है. सीबीआरएन रेस्क्यू यानी की केमिकल, बायोलॉजिकल, रेडियोलॉजिकल एंड न्यूक्लियर डिजास्टर के दौरान किसी तरह के रसायन या गैस का रिसाव होने पर लोगों को बचाने के लिए एसडीआरएफ के जवानों को विशेष ट्रेनिंग और विशेष किस्म के उपकरण दिए गए हैं. इसके साथ ही एसडीआरएफ का प्रत्येक जवान एमएफआर यानी कि मेडिकल फर्स्ट रिस्पांडर की ट्रेनिंग से पूरी तरह प्रशिक्षित है, जो हर तरह की आपदा में फंसे हुए लोगों को मेडिकल रिलीफ पहुंचाने में भी सक्षम है.

एसडीआरएफ ट्रेनिंग का स्तर उत्तम : एडीजी सुष्मित बिश्वास ने बताया कि राजस्थान एसडीआरएफ की ट्रेनिंग (Rajasthan SDRF training) का स्तर बेहद उत्तम है. इसे दूसरी किसी भी एजेंसी के साथ कंपेयर नहीं किया जा सकता. डीप डाइविंग के लिए राजस्थान एसडीआरएफ के पास जो संसाधन मौजूद हैं उनके जरिए पानी में 35 फीट और 70 फीट तक की गहराई तक डीप डाइविंग की जा सकती है. बिना संसाधनों के इतनी गहराई तक डाइव नहीं की जा सकती. यदि जुगाड़ के साथ ऐसा किया जाता है तो यह गोताखोर और राहत पाने वाले व्यक्ति दोनों के लिए जानलेवा सिद्ध हो सकता है.

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डीप डाइविंग के लिए एसडीआरएफ के जवानों को महाराष्ट्र के कोलाड जिला और पश्चिम बंगाल के कोलकाता में हार्ड ट्रेनिंग दी जाती है. जवानों को हुगली नदी और बंगाल की खाड़ी में डीप डाइविंग की सख्त ट्रेनिंग दी जाती है. इसके साथ ही इमारत ढहने और रसायन व गैस रिसाव के दौरान किए जाने वाले रेस्क्यू की ट्रेनिंग जवानों को एनडीआरएफ और भारत के अलग-अलग जिलों में बने हुए ट्रेनिंग सेंटर पर दी जाती है. एसडीआरएफ को सबसे लेटेस्ट और उन्नत किस्में के संसाधन मुहैया करवाए गए हैं, जिनकी ट्रेनिंग भी सभी यूनिट को दी गई है. वर्तमान में क्लाइमेट चेंज के चलते चुनौतियां पूरे संसार के सामने आ रही हैं. इसका असर राजस्थान में भी दिखाई दे रहा है, उन तमाम चुनौतियों से निपटने के लिए एसडीआरएफ के जवान पूरी तरह से तैयार व मुस्तैद हैं.

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