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Rajasthan Politics : विधायक दल की बैठक की मांग से राजनीतिक हलचल तेज, पशोपेश में आलाकमान

प्रदेश में विधायक दल की बैठक बुलाने की मांग के बाद फिर (Pilot camp demanding MLAs Meeting ) से शुरू हो चुकी है. बैठक बुलानी चाहिए या नहीं, इसके लेकर गहलोत और पायलट गुट के नेताओं का अपना गणित है. हालांकि आलाकमान के लिए चुनाव से कुछ महीने पहले कोई भी निर्णय लेना टेढ़ी खीर बन रहा है.

Pilot VS Gehlot
राजस्थान की राजनीति
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Published : Mar 22, 2023, 4:35 PM IST

Updated : Mar 22, 2023, 5:17 PM IST

जयपुर. राजस्थान विधानसभा सत्र पूरा होने के बाद एक बार फिर राजस्थान में पायलट कैंप के विधायकों की ओर से दोबारा विधायक दल की बैठक बुलाने की मांग शुरू हो गई है. राजस्थान में 2023 में सचिन पायलट की भूमिका क्या होगी, इसे लेकर पायलट कैंप के विधायक कांग्रेस आलाकमान से निर्णय लेने की मांग कर रहे हैं.

राजस्थान में सचिन पायलट और उनके कैंप से जुड़े विधायकों की मांग हैं कि कांग्रेस आलाकमान एक बार फिर राजस्थान में पर्यवेक्षक भेजें और विधायक दल की बैठक हो. उनकी मांग है कि कांग्रेस आलाकमान विधायकों से मुख्यमंत्री चुनने का अधिकार अपने हाथ में ले. दूसरी ओर गहलोत गुट का मानना है कि जब राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हैं और उनका बजट और जनता से जुड़ी योजनाएं शानदार हैं तो फिर विधायक दल की बैठक का मतलब क्या है?

पढ़ें. Rajasthan Politics: पायलट की मांग पर रंधावा बोले- अगर डिमांड हुई तो बुलाएंगे विधायक दल की बैठक

आलाकमान भी दुविधा में : गहलोत गुट का मानना है कि 25 सितंबर को विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी, क्योंकि उस समय राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने वाले थे. फिलहाल अब ऐसा कोई कारण नहीं है तो फिर विधायक दल की बैठक का औचित्य नहीं है. गहलोत और पायलट के बीच रेफरी की भूमिका निभा रहा कांग्रेस आलाकमान भी इस पशोपेश में है. आलाकमान नहीं चाहता कि चुनाव के 8 महीने पहले कोई ऐसा निर्णय लिया जाए, जिससे राजस्थान कांग्रेस पार्टी में उथल-पुथल हो जाए.

हालांकि प्रदेश की राजनीति में यह भी साफ है कि राजस्थान में ज्यादातर विधायक अभी गहलोत के पक्ष में हैं. ऐसे में दोबारा विधायक दल की बैठक बुलाकर भी अगर निर्णय नहीं लिया जा सका फिर से आलाकमान अपनी किरकिरी नहीं करवाना चाहता. भले ही सचिन पायलट कांग्रेस की ओर से हर राज्य में चुनाव प्रचार की अहम भूमिका में रहे हों, लेकिन हकीकत यह भी है कि जुलाई 2020 के बाद सचिन पायलट को उनके पद से हटा दिया गया था तब से अब तक वो न तो सरकार और न ही संगठन का हिस्सा बन सके.

पढ़ें. Rajasthan Politics: कांग्रेस के इन मंत्री, विधायकों की विधानसभा में अब तक नहीं बन सके हैं ब्लॉक अध्यक्ष, जानें वजह

चुनाव में सचिन की भूमिका क्या ? : अगर चुनाव में सचिन पायलट बिना पद के जाते हैं तो इससे नुकसान होने की संभावना है. इसके साथ ही यह भी अंदेशा है कि पायलट गुट के नेताओं के टिकट पर भी खतरा मंडरा सकता है. ऐसे में अब माना जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान सचिन पायलट को प्रदेश अध्यक्ष या चुनाव कैंपेन कमेटी का अध्यक्ष बना सकती है. अगर सचिन पायलट को फिर से राजस्थान कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जाता है तो फिर गोविंद डोटासरा को सरकार में उपमुख्यमंत्री जैसी बड़ी भूमिका देनी होगी. इसके लिए मंत्रिमंडल विस्तार करना होगा. ऐसे में ज्यादा संभावना इस बात की है कि सचिन पायलट को चुनाव कैंपेन कमेटी की कमान सौंपी जाए, जिससे कि टिकट बांटने में भी सचिन पायलट की भूमिका रहे.

गहलोत कैबिनेट के चौथे विस्तार की सुगबुगाहट : राजस्थान में बीते 2 दिनों से गहलोत कैबिनेट के विस्तार को लेकर चर्चाएं चल रही हैं. जानकारों का मानना है कि अब अगर कैबिनेट विस्तार होता भी है तो उसका कोई औचित्य नहीं होगा, क्योंकि राजस्थान में पांचवा और अंतिम बजट मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पेश कर चुके हैं. ऐसे में नए बनने वाले मंत्री जब तक अपने विभाग को समझेंगे तब तक चुनाव की घोषणा हो चुकी होगी. राजस्थान में अब तक ऐसा नहीं हुआ है कि चुनावी साल में और बजट पेश करने के बाद कोई मंत्रिमंडल विस्तार हुआ हो. ऐसे में मंत्रिमंडल विस्तार का भी समय निकल चुका है. अगर मंत्रिमंडल विस्तार होता भी है तो उससे किसी को कोई फायदा नहीं होगा. गुजरात चुनाव से पहले हुए मुख्यमंत्री और कैबिनेट के बदलाव को कांग्रेस ने मंत्रियों की अयोग्यता बताते हुए उस पर सवाल खड़े किए थे.

जयपुर. राजस्थान विधानसभा सत्र पूरा होने के बाद एक बार फिर राजस्थान में पायलट कैंप के विधायकों की ओर से दोबारा विधायक दल की बैठक बुलाने की मांग शुरू हो गई है. राजस्थान में 2023 में सचिन पायलट की भूमिका क्या होगी, इसे लेकर पायलट कैंप के विधायक कांग्रेस आलाकमान से निर्णय लेने की मांग कर रहे हैं.

राजस्थान में सचिन पायलट और उनके कैंप से जुड़े विधायकों की मांग हैं कि कांग्रेस आलाकमान एक बार फिर राजस्थान में पर्यवेक्षक भेजें और विधायक दल की बैठक हो. उनकी मांग है कि कांग्रेस आलाकमान विधायकों से मुख्यमंत्री चुनने का अधिकार अपने हाथ में ले. दूसरी ओर गहलोत गुट का मानना है कि जब राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हैं और उनका बजट और जनता से जुड़ी योजनाएं शानदार हैं तो फिर विधायक दल की बैठक का मतलब क्या है?

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आलाकमान भी दुविधा में : गहलोत गुट का मानना है कि 25 सितंबर को विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी, क्योंकि उस समय राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने वाले थे. फिलहाल अब ऐसा कोई कारण नहीं है तो फिर विधायक दल की बैठक का औचित्य नहीं है. गहलोत और पायलट के बीच रेफरी की भूमिका निभा रहा कांग्रेस आलाकमान भी इस पशोपेश में है. आलाकमान नहीं चाहता कि चुनाव के 8 महीने पहले कोई ऐसा निर्णय लिया जाए, जिससे राजस्थान कांग्रेस पार्टी में उथल-पुथल हो जाए.

हालांकि प्रदेश की राजनीति में यह भी साफ है कि राजस्थान में ज्यादातर विधायक अभी गहलोत के पक्ष में हैं. ऐसे में दोबारा विधायक दल की बैठक बुलाकर भी अगर निर्णय नहीं लिया जा सका फिर से आलाकमान अपनी किरकिरी नहीं करवाना चाहता. भले ही सचिन पायलट कांग्रेस की ओर से हर राज्य में चुनाव प्रचार की अहम भूमिका में रहे हों, लेकिन हकीकत यह भी है कि जुलाई 2020 के बाद सचिन पायलट को उनके पद से हटा दिया गया था तब से अब तक वो न तो सरकार और न ही संगठन का हिस्सा बन सके.

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चुनाव में सचिन की भूमिका क्या ? : अगर चुनाव में सचिन पायलट बिना पद के जाते हैं तो इससे नुकसान होने की संभावना है. इसके साथ ही यह भी अंदेशा है कि पायलट गुट के नेताओं के टिकट पर भी खतरा मंडरा सकता है. ऐसे में अब माना जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान सचिन पायलट को प्रदेश अध्यक्ष या चुनाव कैंपेन कमेटी का अध्यक्ष बना सकती है. अगर सचिन पायलट को फिर से राजस्थान कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जाता है तो फिर गोविंद डोटासरा को सरकार में उपमुख्यमंत्री जैसी बड़ी भूमिका देनी होगी. इसके लिए मंत्रिमंडल विस्तार करना होगा. ऐसे में ज्यादा संभावना इस बात की है कि सचिन पायलट को चुनाव कैंपेन कमेटी की कमान सौंपी जाए, जिससे कि टिकट बांटने में भी सचिन पायलट की भूमिका रहे.

गहलोत कैबिनेट के चौथे विस्तार की सुगबुगाहट : राजस्थान में बीते 2 दिनों से गहलोत कैबिनेट के विस्तार को लेकर चर्चाएं चल रही हैं. जानकारों का मानना है कि अब अगर कैबिनेट विस्तार होता भी है तो उसका कोई औचित्य नहीं होगा, क्योंकि राजस्थान में पांचवा और अंतिम बजट मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पेश कर चुके हैं. ऐसे में नए बनने वाले मंत्री जब तक अपने विभाग को समझेंगे तब तक चुनाव की घोषणा हो चुकी होगी. राजस्थान में अब तक ऐसा नहीं हुआ है कि चुनावी साल में और बजट पेश करने के बाद कोई मंत्रिमंडल विस्तार हुआ हो. ऐसे में मंत्रिमंडल विस्तार का भी समय निकल चुका है. अगर मंत्रिमंडल विस्तार होता भी है तो उससे किसी को कोई फायदा नहीं होगा. गुजरात चुनाव से पहले हुए मुख्यमंत्री और कैबिनेट के बदलाव को कांग्रेस ने मंत्रियों की अयोग्यता बताते हुए उस पर सवाल खड़े किए थे.

Last Updated : Mar 22, 2023, 5:17 PM IST
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