जयपुर. कांग्रेस पार्टी का 85वां अधिवेशन 24 से 26 फरवरी तक नवा रायपुर (छत्तीसगढ़) में होने जा रहा है. इस अधिवेशन में एआईसीसी के सदस्य और सहवृत सदस्य (Co-Opted Members), प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य से सहवृत सदस्य, वर्तमान और निवर्तमान जिलाध्यक्ष हो को बुलाया गया है. लेकिन हालात यह है कि अब तक राजस्थान में चुनावी प्रक्रिया पूरी होने के बावजूद प्रदेश कांग्रेस के सहवृत सदस्य और जिला अध्यक्ष नहीं बन सके हैं. जबकि इसके लिए लगातार कवायद भी चल रही है. बहरहाल जिला अध्यक्षों की सूची पायलट और गहलोत के बीच चल रही रस्साकशी के चलते अभी मुश्किल लगता है.
ऐसे में इसका रास्ता निकालते हुए पार्टी ने कांग्रेस के अधिवेशन में जिला अध्यक्षों के साथ ही निवर्तमान जिला अध्यक्षों को भी न्योता दे दिया है. मतलब साफ है कि अगर जिला अध्यक्ष नहीं घोषित किए जाते हैं तो उनके स्थान पर निवर्तमान जिला अध्यक्ष शामिल हो सकते हैं, लेकिन प्रदेश कांग्रेस के सहवर्त सदस्यों को लेकर ऐसा नहीं किया जा सकता. क्योंकि अधिवेशन में इन सदस्यों की मौजूदगी होना जरूरी होती है. ऐसे में राजस्थान कांग्रेस को इन सहवर्त प्रदेश कांग्रेस के सदस्यों की घोषणा करनी ही होगी, लेकिन अधिवेशन में आज से महज 3 दिन बचे हैं और अब तक कांग्रेस नेताओं को यह पता नहीं है कि वह पीसीसी के सहवृत सदस्य मेंबर बने हैं या नहीं, और अब किसी तरीके का विवाद ना हो ऐसे में जल्दबाजी में ऐन मौके पर पीसीसी के सहवृत सदस्य घोषित किए जाने की तैयारी की जा रही है.
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फूंक-फूंककर उठाये जा रहे कदम : रविवार रात को कांग्रेस पार्टी ने एआईसीसी सदस्यों और एआईसीसी सहवर्त सदस्यों की सूची जारी की थी, जिसमें 75 एआईसीसी/सहवृत सदस्यों में से पायलट के महज 5 सदस्य थे. यही कारण है कि पायलट गेम इस बात से नाराज बताया जा रहा है और अब पीसीसी के सामने प्रदेश कांग्रेस के सहवृत सदस्यों की घोषणा किए जाने के अलावा विकल्प नहीं है, लेकिन इसमें कोई विवाद नहीं हो ऐसे में इन सदस्यों की घोषणाएं मौके पर ही की जाएंगी.
ज्यादा से ज्यादा बिना विवाद वाले 15 से 20 जिलों के अध्यक्ष की हो सकती है घोषणा : क्योंकि राजस्थान में पायलट और गहलोत के बीच संगठन में पदों को लेकर भी रस्साकशी चल रही है. ऐसे में सबसे महत्वपूर्ण पद जिलाध्यक्ष पर दोनों ही कैंप की नजर है. खुद प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा 2 दिन तक जयपुर रहकर इस पर एक्सरसाइज कर चुके हैं, लेकिन अब तक जिला अध्यक्षों की घोषणा नहीं की जा सकी है. वैसे भी अब कांग्रेस पार्टी ने निवर्तमान जिला अध्यक्षों को भी बुलावा भेज दिया है. ऐसे में अगर जिला अध्यक्ष नहीं बनते हैं तो निवर्तमान जिलाध्यक्ष उनके स्थान पर कांग्रेस के अधिवेशन में शामिल हो सकते हैं. अब लगता है कि जिलाध्यक्ष घोषित किए जाने में और देरी होगी ज्यादा से ज्यादा कुछ गैर विवादित जिलों के अध्यक्ष घोषित हो सकते हैं, लेकिन ज्यादातर जिला अध्यक्षों की लिस्ट अभी पेंडिंग ही रहेगी.
1700 जमा कराने होंगे सभी सदस्यों को अधिवेशन में शामिल होने के लिए : कांग्रेस के अधिवेशन में शामिल होने जा रहे प्रत्येक सदस्य को 1000 वार्षिक शुल्क देना होगा, जिसमें से 500 रुपये एआईसीसी को प्रतिनिधि शुल्क के तौर पर भेजे जाएंगे और कांग्रेस फंड के लिए सालाना 400 रुपये जमा होंगे. इसके साथ ही पीसीसी अपने सत्र बैज के लिए प्रत्येक पीसीसी सदस्य, एआईसीसी सदस्य से 500 रुपये जमा करेगी. वहीं, प्रत्येक पीसीसी सदस्य को कांग्रेस संदेश की सदस्यता लेनी होगी, जिसका 3 साल का 300 रुपये भुगतान करना होगा. ऐसे में सत्र में शामिल होने वाले प्रत्येक सदस्य को 1700 रुपये जमा करवाने होंगे.