जयपुर. भाजपा की ओर से मंगलवार को किए गए सचिवालय के महाघेराव पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने सवाल उठाए थे. इसके जवाब में बुधवार को भाजपा मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भाजपा की राष्ट्रीय मंत्री अलका गुर्जर ने आरोप लगाया कि कांग्रेस हमेशा विभाजनकारी राजनीति करती है. इसी विभाजनकारी राजनीति की सोच और बौखलाहट डोटासरा के बयान में दिखी.
बता दें कि डोटासरा ने कहा था कि महाघेराव में पिछड़े वर्ग के नेता का मंच पर उद्बोधन नहीं हुआ. इसपर अल्का गुर्जर ने तंज कसते हुए कहा कि गोविंद डोटासरा ने नाथी के बाड़े में जाकर अपना आई टेस्ट करवाया होगा, तभी उन्हें न मैं दिखी न अशोक सैनी. मंच पर रमा चोपड़ा, सोम्या गुर्जर, निर्मल कुमावत और राजेंद्र गहलोत भी नहीं दिखे. उन्होंने कहा कि एक राष्ट्रीय पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का इतना गैर जिम्मेदाराना बयान दुर्भाग्यपूर्ण है. अलका गुर्जर ने कहा कि अगर उन्हें कोई वर्ग पसंद नहीं है तो अपनी नापसंद भाजपा पर डालने की आवश्यकता नहीं है.
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हमारे पास पीएम मोदी जैसा वैश्विक नेता, उनके पास पप्पू : कांग्रेस की राष्ट्रीय मंत्री अलका गुर्जर ने आरोप लगाया कि गोविंद डोटासरा ने बिना किसी मेहनत के बहुत सारे ऑफिसर बना दिए. वो होमवर्क करते हैं तो केवल मुख्यमंत्री के लिए करते हैं. अगर वह थोड़ा होमवर्क करते तो उन्हें सारी चीजें दिख जाती. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि या तो उनपर नाथी के बाड़े का इतना ज्यादा प्रभाव हो गया है कि उन्हें कुछ दिखता ही नहीं या फिर कल टेंपरेचर ज्यादा होने के चलते उनका मानसिक संतुलन बिगड़ गया है. उन्होंने कहा कि कल धरने में जितने लोग कुर्सियों पर बैठे थे, उतने लोग ही बाहर थे. अगर भाजपा यह कहती है कि हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लेते हैं तो हमारे पास पीएम मोदी जैसे वैश्विक नेतृत्व हैं, जिन्होंने देश का नाम विश्व में बढ़ाया है. उनके पास पप्पू हैं तो हम क्या करें ?
7 जिलों में नहीं बन रहा ओबीसी का सर्टिफिकेट : अलका गुर्जर ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने 2018 में राष्ट्रीय ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया था. राजस्थान के मुख्यमंत्री भी घोषणा पर घोषणा करते हैं, लेकिन ओबीसी के मुख्यमंत्री होने के बावजूद राजस्थान के 7 जिलों डूंगरपुर, प्रतापगढ़, उदयपुर, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, पाली और सिरोही में ओबीसी के सर्टिफिकेट नहीं बन रहे. उन्होंने राज्य सरकार से ओबीसी आयोग की रिपोर्ट के आधार पर यह मांग रखी कि इन क्षेत्रों में ओबीसी के सर्टिफिकेट बने इसके लिए सरकार काम करें.
ओबीसी को लेकर अपनी बात रखने अलका गुर्जर सामने आई, लेकिन ये सवाल खड़ा होता है कि क्या भाजपा के पास राजस्थान में अब ओबीसी के नेताओं की कमी है, जो उन्हें एमबीसी के नेता को आगे करना पड़ा. इस संबंध में जब अलका गुर्जर से सवाल हुआ तो उन्होंने कहा कि राजस्थान में भले ही 2017 बाइफर्केशन होने के बाद एमबीसी और ओबीसी अलग हों, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर हम ओबीसी में आते हैं.
जब जागो तभी सवेरा : भाजपा की राष्ट्रीय मंत्री अलका गुर्जर स्वीकार किया कि पूर्वर्ती वसुंधरा सरकार के समय भी इन सात जिलों में ओबीसी सर्टिफिकेट नहीं बन रहे थे. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार के समय भी यह सर्टिफिकेट नहीं बन रहे थे, लेकिन हम सरकार पर इस सोच के साथ दबाव बना रहे हैं कि जब जागो तभी सवेरा.