जयपुर. विज्ञान, मानविकी और स्वास्थ्य के क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग और मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी के बीच मंगलवार को एक एमओयू हुआ. आपसी अनुभव साझा होने से प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में कार्यरत डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ को वैश्विक पहचान मिलेगी. इसके साथ ही कैपेसिटी बिल्टअप होगी.
चिकित्सा शिक्षा विभाग और मैनचेस्टर विश्वविद्यालय (यूके) के बीच हुए एमओयू के दौरान प्रमुख शासन सचिव चिकित्सा शिक्षा टी.रविकांत, अतिरिक्त निदेशक चिकित्सा शिक्षा विभाग रेणु खण्डेलवाल, मैनचेस्टर विश्वविद्यालय के अन्तर्राष्ट्रीय वाईस-डीन प्रोफेसर कीथ ब्रेनन, मानसिक स्वास्थ्य अनुसंधान केन्द्र के डॉ. विमल कुमार शर्मा, विभाग के आयुक्त शिवप्रसाद नकाते और प्रोफेसर कैथरीन रोबिनसन मौजूद रहे. इस संबंध में टी. रविकांत ने बताया कि अनुसंधान साझेदारी विकसित करने के उद्देश्य से ये एमओयू साईन किया गया है.
इससे अकादमिक गतिविधियों और अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा. साथ ही चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित होंगे. आपसी अनुभव साझा होने से मेडिकल कॉलेजों में कार्यरत डॉक्टर्स और नर्सिंग स्टाफ की कैपेसिटी बढ़ेगी. इस दौरान उन्होंने बताया कि राजस्थान पहला राज्य हैं जहां प्रत्येक जिले में मेडिकल कॉलेज और नर्सिंग कॉलेज खोले जा रहे हैं. इसके साथ ही अपने नागरिकों को स्वास्थ्य का अधिकार देने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य बन गया है. इन अनुसंधान के परिणामों से आमजन को भी फायदा मिलेगा. इस दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए राजमेस मेडिकल कॉलेजों के प्रिंसिपल भी जुड़े। जिन्होंने इस पहल का स्वागत किया.
पढ़ें Special : बारां में बनेगा वर्ल्ड रिकॉर्ड ! एक दूजे के होंगे 2200 जोड़े, 2000 बीघा में बना पांडाल
बता दें कि सरकारी स्तर पर नए डॉक्टर तैयार करने में राजस्थान देश में दूसरे पायदान पर है. प्रदेश के सभी 33 जिलों में मेडिकल कॉलेज शुरू होने के बाद ये आंकड़ा और बढ़ जाएगा. मैनचेस्टर विश्वविद्यालय के साथ हुए एमओयू से नई तकनीक सीखने में मेडिकल कॉलेजों में अध्ययनरत भविष्य के डॉक्टरों को भी फायदा मिलेगा.