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Workshop on Vastu Shastra : आवासीय और व्यवसायिक परियोजनाओं में रखा जाएगा वास्तु शास्त्र का ध्यान

राजस्थान आवासन मंडल की ओर से भविष्य में बनाए जाने वाले आवासीय और व्यवसायिक (Workshop on Vastu Shastra) भवनों के निर्माण में वास्तु शास्त्र का विशेष ध्यान रखा जाएगा. इसको लेकर मंडल मुख्यालय में राज्य स्तरीय वर्कशॉप का आयोजन किया गया.

Rajasthan Housing Board Workshop
राजस्थान आवासन मंडल वर्कशॉप
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Published : Mar 14, 2023, 10:30 PM IST

राजस्थान आवासन मंडल की ओर से वर्कशॉप

जयपुर. आज हर व्यक्ति आवासीय या व्यावसायिक भवन खरीदने से पहले उसमें वास्तु के गुण-दोष की पड़ताल जरूर करता है, ताकि भविष्य में किसी तरह की नेगेटिव एनर्जी उसके जीवन पर प्रभाव न डाले. इसी को ध्यान में रखते हुए राजस्थान आवासन मंडल ने अपनी आगामी आवासीय या व्यावसायिक परियोजनाओं को वास्तु शास्त्र के अनुसार बनाने का फैसला लिया है.

आवासन आयुक्त पवन अरोड़ा ने बताया कि मंगलवार को मंडल मुख्यालय में 'वास्तु शास्त्र : आवासन एवं नियोजन में 'उपादेयता' विषय पर राज्य स्तरीय वर्कशॉप का आयोजन किया गया. इसका उद्देश्य वास्तु से जुड़ी भ्रांतियां दूर कर वैज्ञानिक और तार्किक बातों को बढ़ाना है. अरोड़ा ने कहा कि मंडल ने सदैव आमजन की मांग और बदलते समय को ध्यान में रखते हुए भवनों का निर्माण किया है. आज के दौर में आमजन की प्राथमिकता वास्तु शास्त्र के अनुसार बने भवनों को खरीदने की रहती है. ऐसे में मंडल के सभी अधिकारियों के साथ वास्तु शास्त्र पर गहन मंथन किया है, ताकि गुणवत्ता के साथ आमजन का वास्तु सम्मत आवास भी उपलब्ध कराए जा सकें.

पढ़ें. ज्योतिष शास्त्र: तुलसी के पत्ते तोड़ते समय रखें इन बातों का ध्यान, नहीं तो होगा बड़ा नुकसान!

वर्कशॉप के दौरान इंडियन काउंसिल ऑफ एस्ट्रोलॉजिकल साइंसेज के प्रोफेसर और वास्तुविद् सतीश शर्मा ने मंडल के अधिकारियों और तकनीकी इंजीनियरों को वास्तु के बारे में बताया. दिशा संबंधी वास्तु पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि दिशाएं भगवान ने नहीं, बल्कि इंसानों ने बनाई है. ऐसे में किसी खास दिशा को दोष वास्तु नहीं देता. उन्होंने कहा कि वास्तु पूरी तरह सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा पर कार्य करता है. सही मायनों में वो भवन पूरी तरह सफल होता है, जहां पंचतत्व को पर्याप्त और सही स्थान मिलता हो. वास्तुविद् ने कहा कि प्राइवेट बिल्डर्स तो वास्तु शास्त्र के अनुसार निर्माण कर लेते हैं, लेकिन सरकारी एजेंसियों का उस ओर ध्यान कम रहता है.

क्या होता है वास्तु शास्त्र ? : प्राचीन धर्म ग्रंथों में वास्तु शास्त्र का जिक्र किया गया है. वहीं, स्कंद पुराण में नगर नियोजन के तथ्यों का निर्माण, चित्रकला और मंडप का तीन अध्याय में वर्णन भी किया गया है. जानकारों की मानें तो ऋषि-मुनियों ने घर निर्माण से कोई नकारात्मक ऊर्जा मनुष्य को परेशान न करें, इसे मद्देनजर रखते हुए वास्तु शास्त्र की रचना की थी. इसमें घर के निर्माण के दौरान रखी जाने वाली सावधानियां, बेडरूम, बाथरूम, घर का रंग रोगन, पौधे, बालकनी, गेट, किचन, पूजा घर से लेकर सेफ्टी टैंक तक कहां होना चाहिए, इसकी विस्तृत जानकारी दी गई है. इसे लेकर वर्तमान समय में लोगों में मान्यता बढ़ती जा रही है.

राजस्थान आवासन मंडल की ओर से वर्कशॉप

जयपुर. आज हर व्यक्ति आवासीय या व्यावसायिक भवन खरीदने से पहले उसमें वास्तु के गुण-दोष की पड़ताल जरूर करता है, ताकि भविष्य में किसी तरह की नेगेटिव एनर्जी उसके जीवन पर प्रभाव न डाले. इसी को ध्यान में रखते हुए राजस्थान आवासन मंडल ने अपनी आगामी आवासीय या व्यावसायिक परियोजनाओं को वास्तु शास्त्र के अनुसार बनाने का फैसला लिया है.

आवासन आयुक्त पवन अरोड़ा ने बताया कि मंगलवार को मंडल मुख्यालय में 'वास्तु शास्त्र : आवासन एवं नियोजन में 'उपादेयता' विषय पर राज्य स्तरीय वर्कशॉप का आयोजन किया गया. इसका उद्देश्य वास्तु से जुड़ी भ्रांतियां दूर कर वैज्ञानिक और तार्किक बातों को बढ़ाना है. अरोड़ा ने कहा कि मंडल ने सदैव आमजन की मांग और बदलते समय को ध्यान में रखते हुए भवनों का निर्माण किया है. आज के दौर में आमजन की प्राथमिकता वास्तु शास्त्र के अनुसार बने भवनों को खरीदने की रहती है. ऐसे में मंडल के सभी अधिकारियों के साथ वास्तु शास्त्र पर गहन मंथन किया है, ताकि गुणवत्ता के साथ आमजन का वास्तु सम्मत आवास भी उपलब्ध कराए जा सकें.

पढ़ें. ज्योतिष शास्त्र: तुलसी के पत्ते तोड़ते समय रखें इन बातों का ध्यान, नहीं तो होगा बड़ा नुकसान!

वर्कशॉप के दौरान इंडियन काउंसिल ऑफ एस्ट्रोलॉजिकल साइंसेज के प्रोफेसर और वास्तुविद् सतीश शर्मा ने मंडल के अधिकारियों और तकनीकी इंजीनियरों को वास्तु के बारे में बताया. दिशा संबंधी वास्तु पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि दिशाएं भगवान ने नहीं, बल्कि इंसानों ने बनाई है. ऐसे में किसी खास दिशा को दोष वास्तु नहीं देता. उन्होंने कहा कि वास्तु पूरी तरह सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा पर कार्य करता है. सही मायनों में वो भवन पूरी तरह सफल होता है, जहां पंचतत्व को पर्याप्त और सही स्थान मिलता हो. वास्तुविद् ने कहा कि प्राइवेट बिल्डर्स तो वास्तु शास्त्र के अनुसार निर्माण कर लेते हैं, लेकिन सरकारी एजेंसियों का उस ओर ध्यान कम रहता है.

क्या होता है वास्तु शास्त्र ? : प्राचीन धर्म ग्रंथों में वास्तु शास्त्र का जिक्र किया गया है. वहीं, स्कंद पुराण में नगर नियोजन के तथ्यों का निर्माण, चित्रकला और मंडप का तीन अध्याय में वर्णन भी किया गया है. जानकारों की मानें तो ऋषि-मुनियों ने घर निर्माण से कोई नकारात्मक ऊर्जा मनुष्य को परेशान न करें, इसे मद्देनजर रखते हुए वास्तु शास्त्र की रचना की थी. इसमें घर के निर्माण के दौरान रखी जाने वाली सावधानियां, बेडरूम, बाथरूम, घर का रंग रोगन, पौधे, बालकनी, गेट, किचन, पूजा घर से लेकर सेफ्टी टैंक तक कहां होना चाहिए, इसकी विस्तृत जानकारी दी गई है. इसे लेकर वर्तमान समय में लोगों में मान्यता बढ़ती जा रही है.

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