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पूर्व सैनिक को 73 साल पहले आवंटित जमीन उसके आश्रितों को क्यों नहीं दी: हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने पूर्व सैनिक को 73 साल पहले आवंटित जमीन उसके आश्रितों को नहीं दिए जाने पर जवाब तलब किया है. कोर्ट ने प्रमुख राजस्व सचिव, जिला कलेक्टर झुंझुनू व सैनिक कल्याण विभाग के निदेशक को नोटिस जारी किया है.

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Published : Mar 14, 2023, 9:20 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने आजादी से पहले द्वितीय विश्व युद्ध में भाग लेने वाले सेना मेडल से सम्मानित हुए पूर्व सैनिक को 73 साल पहले वर्ष 1950 में आवंटित जमीन उसकी मृत्यु के बाद आश्रितों को नहीं देने पर प्रमुख राजस्व सचिव, जिला कलेक्टर झुंझुनू व सैनिक कल्याण विभाग के निदेशक को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह ने यह आदेश खेतड़ी निवासी पूरण सिंह की याचिका पर दिए.

याचिका में बताया गया कि याचिकाकर्ता के पिता रघुनाथ सिंह 17 सितम्बर, 1935 को सेना में भर्ती हुए थे. उन्होंने फस्ट रेजीमेंट पंजाब में नौकरी की. इस दौरान उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध में भाग लिया और अदम्य साहस के लिए उन्हें सैन्य मैडल भी दिया गया. उसके पिता एक जुलाई 1946 को रिटायर हुए और उन्हें अवार्ड पेंशन जारी की गई. वहीं राज्य सरकार ने भी 1950 में नियमानुसार उन्हें जमीन का आवंटन किया.

पढ़ें. EX MLA की पत्नी के अतिक्रमण को नियमित करने को कोर्ट ने दिया रद्द, सड़क की चौड़ाई कम करने पर जताया आश्चर्य

याचिका में कहा गया कि रघुनाथ सिंह की वर्ष 1979 में मृत्यु होने पर अवार्ड पेंशन उनकी मां नानी बाई को जारी हुई. जबकि राज्य सरकार ने आवंटित जमीन नहीं दी. उसकी मां ने राज्य सरकार को आवंटित जमीन देने के लिए कई प्रतिवेदन दिए, लेकिन राज्य सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की. इस दौरान 8 जनवरी 2016 को उसकी मां की भी मौत हो गई, जिस पर याचिकाकर्ता ने सैनिक कल्याण विभाग सहित संबंधित विभागों को जमीन आवंटन के लिए कई प्रतिवेदन दिए, लेकिन आवंटित जमीन नहीं दी.

याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार की ओर से जमीन आवंटन करने के बाद 73 साल गुजरने के बाद भी अब तक जमीन का कब्जा नहीं दिया गया है. ऐसे में उसके दिवंगत पिता को आवंटित जमीन का कब्जा सौंपा जाए. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

(Press Note)

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने आजादी से पहले द्वितीय विश्व युद्ध में भाग लेने वाले सेना मेडल से सम्मानित हुए पूर्व सैनिक को 73 साल पहले वर्ष 1950 में आवंटित जमीन उसकी मृत्यु के बाद आश्रितों को नहीं देने पर प्रमुख राजस्व सचिव, जिला कलेक्टर झुंझुनू व सैनिक कल्याण विभाग के निदेशक को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह ने यह आदेश खेतड़ी निवासी पूरण सिंह की याचिका पर दिए.

याचिका में बताया गया कि याचिकाकर्ता के पिता रघुनाथ सिंह 17 सितम्बर, 1935 को सेना में भर्ती हुए थे. उन्होंने फस्ट रेजीमेंट पंजाब में नौकरी की. इस दौरान उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध में भाग लिया और अदम्य साहस के लिए उन्हें सैन्य मैडल भी दिया गया. उसके पिता एक जुलाई 1946 को रिटायर हुए और उन्हें अवार्ड पेंशन जारी की गई. वहीं राज्य सरकार ने भी 1950 में नियमानुसार उन्हें जमीन का आवंटन किया.

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याचिका में कहा गया कि रघुनाथ सिंह की वर्ष 1979 में मृत्यु होने पर अवार्ड पेंशन उनकी मां नानी बाई को जारी हुई. जबकि राज्य सरकार ने आवंटित जमीन नहीं दी. उसकी मां ने राज्य सरकार को आवंटित जमीन देने के लिए कई प्रतिवेदन दिए, लेकिन राज्य सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की. इस दौरान 8 जनवरी 2016 को उसकी मां की भी मौत हो गई, जिस पर याचिकाकर्ता ने सैनिक कल्याण विभाग सहित संबंधित विभागों को जमीन आवंटन के लिए कई प्रतिवेदन दिए, लेकिन आवंटित जमीन नहीं दी.

याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार की ओर से जमीन आवंटन करने के बाद 73 साल गुजरने के बाद भी अब तक जमीन का कब्जा नहीं दिया गया है. ऐसे में उसके दिवंगत पिता को आवंटित जमीन का कब्जा सौंपा जाए. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

(Press Note)

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