जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य स्तरीय पैरोल कमेटी को निर्देश दिए हैं कि वह राजेंद्र मिर्धा अपहरण कांड में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे अभियुक्त हरनेक सिंह को स्थाई रूप से पैरोल पर रिहा करने के संबंध में एक माह में फैसला करें. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश सीके सोनगरा की खंडपीठ ने यह आदेश हरनेक सिंह की पैरोल याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में कहा गया कि उसने तय अवधि की सजा भुगतने के बाद राज्य स्तरीय पैरोल कमेटी के समक्ष अपनी स्थाई पैरोल की अर्जी पेश की थी, लेकिन उसे अभी तक तय नहीं किया गया. ऐसे में कमेटी को निर्देश दिया जाए कि वह पेरोल अर्जी को जल्द से जल्द तय करें. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने राज्य पेरोल कमेटी को एक माह में पैरोल अर्जी को तय करने को कहा है.
गौरतलब है कि आतंकियों ने 15 फरवरी 1995 को कांग्रेस नेता रामनिवास मिर्धा के बेटे राजेंद्र मिर्धा का सी स्कीम स्थित उनके घर से अपहरण कर लिया था. आतंकियों ने मिर्धा की रिहाई के बदले खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट के मुखिया देवेंद्र पाल सिंह भुल्लर को रिहा करने की मांग की थी. वहीं पुलिस ने कार्रवाई करते हुए मॉडल टाउन कॉलोनी के एक मकान में आतंकी नवनीत कादिया का एनकाउंटर किया था. जबकि दया सिंह लाहोरिया उसकी पत्नी सुमन सूद और हरनेक सिंह वहां से फरार हो गए थे. लाहोरिया और सुमन सूद को 3 फरवरी 1997 को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया था.
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अदालत ने मामले में लाहोरिया को आजीवन कारावास और उसकी पत्नी सुमन को 5 साल की सजा सुनाई थी. वहीं वर्ष 2004 में पंजाब पुलिस ने हरनेक सिंह को गिरफ्तार कर 26 फरवरी 2007 को राजस्थान पुलिस को सौंपा था. मामले में एडीजे कोर्ट ने 6 अक्टूबर 2017 को हरनेक सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.
हाईकोर्ट के दखल से मिला था पैरोल
अभियुक्त हरनेक सिंह को पहले भी 28 दिन का दूसरा नियमित पैरोल हाईकोर्ट के आदेश पर मिला था. गत 8 मई को हाईकोर्ट ने हरनेक सिंह को 28 दिन के विशेष पैरोल पर रिहा करने के आदेश दिए थे. इससे पहले उसे गत वर्ष 3 अगस्त से 22 अगस्त तक पहला पैरोल दिया गया था.