जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने गंगापुर सिटी नगर परिषद में वित्तीय अनियमितताओं की जांच कराने और जांच अधिकारी बदलने के स्वायत्त शासन विभाग के गत पांच जनवरी को जारी आदेश पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने गंगापुर सिटी विधायक रामकेश मीणा, स्वायत्त शासन सचिव और डीएलबी सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. जस्टिस इंद्रजीत सिंह की एकलपीठ ने यह आदेश गंगापुर सिटी नगर परिषद के चेयरमैन शिवरतन अग्रवाल की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में अधिवक्ता विमल चौधरी और अधिवक्ता योगेश टेलर ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता गंगापुर सिटी नगर परिषद का निर्वाचित चेयरमैन है. उसने सफाई, अतिक्रमण, सीवरेज के रखरखाव, बिजली, पट्टा वितरण और भ्रष्टाचार सहित वित्तीय अनियमितताओं को लेकर आयुक्त, कलेक्टर और डीएलबी सचिव को कई बार शिकायत दी, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता की ओर से कमिश्नर व कर्मचारियों के खिलाफ की गई शिकायतों के चलते स्थानीय विधायक रामकेश मीणा ने याचिकाकर्ता के खिलाफ मंत्री को शिकायती पत्र भेजा.
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इस शिकायत के आधार पर डीएलबी ने गत 4 जनवरी को डीएलबी, भरतपुर के उप निदेशक को जांच अधिकारी नियुक्त कर दिया. वहीं अगले ही दिन जांच अधिकारी बदल कर मामले को जांच के लिए एसडीओ गंगापुर सिटी को भेज दिया. याचिका में कहा गया कि एसडीओ, तहसीलदार सहित अन्य अधिकारी व कर्मचारी विधायक रामकेश मीणा के प्रभाव में हैं. याचिकाकर्ता जांच कराने को तैयार हैं, लेकिन उसे एमएलए मीणा के प्रभाव में कार्य कर रहे नगर परिषद के आयुक्त और एसडीओ पर विश्वास नहीं है. याचिकाकर्ता डीएलबी के सहायक निदेशक सतर्कता को जांच अधिकारी बदलने के लिए भी पत्र लिख चुके हैं. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने पांच जनवरी के जांच कराने और जांच अधिकारी बदलने के आदेश पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.