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Rajasthan High Court: वन भूमि से घिरी सरकारी भूमि को क्यों नहीं किया जा रहा फॉरेस्ट लैंड घोषित - rules of declaring vacant land as forest land

राजस्थान हाईकोर्ट ने वन भूमि से घिरी सरकारी भूमि को वन संरक्षण के लिए राजस्व रिकॉर्ड में फॉरेस्ट लैंड के तौर पर दर्ज नहीं किए जाने को लेकर संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया (HC on govt land surrounded by forest land) है.

Rajasthan High Court sought reply from officials on govt land surrounded by forest land
Rajasthan High Court: वन भूमि से घिरी सरकारी भूमि को क्यों नहीं किया जा रहा फॉरेस्ट लैंड घोषित
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Published : Jan 18, 2023, 9:29 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रमुख राजस्व सचिव, झुंझुनूं कलेक्टर, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, स्थानीय डीएफओ, रेंज फोरेस्ट ऑफिसर उदयपुरवाटी और हैड ऑफ फॉरेस्ट से पूछा है कि वन भूमि से घिरी सरकारी भूमि को वन संरक्षण के लिए राजस्व रिकॉर्ड में फॉरेस्ट लैंड के तौर पर दर्ज क्यों नहीं किया जा रहा है. जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस गणेश राम मीणा की खंडपीठ ने यह आदेश फूलचंद की ओर से दायर जनहित याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता तनवीर अहमद ने अदालत को बताया कि संभागीय आयुक्त की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने 24 दिसंबर, 2021 को निर्णय लिया था कि वन भूमि से घिरी सरकारी भूमि को भी राजस्व रिकॉर्ड में फॉरेस्ट लैंड घोषित किया जाए. इसके बावजूद अब तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. जनहित याचिका में कहा गया कि वन भूमि से घिरी सिवायचक जमीन का दूसरा उपयोग होने से वहां मौजूद वन भूमि और उसमें विचरण करने वाले जीव प्रभावित होते हैं.

पढ़ें: हाईकोर्ट ने वन भूमि को चिह्नित कर राजस्व रिकॉर्ड में एंट्री करने को कहा, टाइगर रिजर्व को लेकर न्यायमित्र नियुक्त

वहीं सिवायचक जमीन का उपयोग लेने वाले भी वन्यजीवों से प्रभावित होते हैं. इसके साथ ही धीरे-धीरे वन भूमि का उन्मूलन होने लगाता है. इसलिए वन भूमि से घिरी सरकारी भूमि को भी राजस्व रिकॉर्ड में फोरेस्ट लैंड के तौर पर दर्ज किया जाए. जिससे इस भूमि को भी वन भूमि के तौर पर विकसित किया जा सके. याचिका में बताया गया कि राज्य में प्रति व्यक्ति वन क्षेत्र सिर्फ 0.06 हेक्टेयर ही है.

पढ़ें: वन्यजीवों का शिकार करने वालों और वन भूमि पर अतिक्रमण करने वालों पर होगी सख्त कार्रवाई : वन मंत्री

राज्य सरकार की वन नीति में भी प्रावधान है कि जहां भी खाली जमीन हो, वहां वृक्षारोपण किया जाना चाहिए. याचिका में कहा गया कि झुंझुनूं जिला स्थित खेतड़ी तहसील के कांकरिया गांव में स्थित करीब 40 हेक्टेयर भूमि वन भूमि से घिरी हुई है. इसके बावजूद उसे फोरेस्ट लैंड घोषित नहीं किया जा रहा है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रमुख राजस्व सचिव, झुंझुनूं कलेक्टर, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, स्थानीय डीएफओ, रेंज फोरेस्ट ऑफिसर उदयपुरवाटी और हैड ऑफ फॉरेस्ट से पूछा है कि वन भूमि से घिरी सरकारी भूमि को वन संरक्षण के लिए राजस्व रिकॉर्ड में फॉरेस्ट लैंड के तौर पर दर्ज क्यों नहीं किया जा रहा है. जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस गणेश राम मीणा की खंडपीठ ने यह आदेश फूलचंद की ओर से दायर जनहित याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता तनवीर अहमद ने अदालत को बताया कि संभागीय आयुक्त की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने 24 दिसंबर, 2021 को निर्णय लिया था कि वन भूमि से घिरी सरकारी भूमि को भी राजस्व रिकॉर्ड में फॉरेस्ट लैंड घोषित किया जाए. इसके बावजूद अब तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. जनहित याचिका में कहा गया कि वन भूमि से घिरी सिवायचक जमीन का दूसरा उपयोग होने से वहां मौजूद वन भूमि और उसमें विचरण करने वाले जीव प्रभावित होते हैं.

पढ़ें: हाईकोर्ट ने वन भूमि को चिह्नित कर राजस्व रिकॉर्ड में एंट्री करने को कहा, टाइगर रिजर्व को लेकर न्यायमित्र नियुक्त

वहीं सिवायचक जमीन का उपयोग लेने वाले भी वन्यजीवों से प्रभावित होते हैं. इसके साथ ही धीरे-धीरे वन भूमि का उन्मूलन होने लगाता है. इसलिए वन भूमि से घिरी सरकारी भूमि को भी राजस्व रिकॉर्ड में फोरेस्ट लैंड के तौर पर दर्ज किया जाए. जिससे इस भूमि को भी वन भूमि के तौर पर विकसित किया जा सके. याचिका में बताया गया कि राज्य में प्रति व्यक्ति वन क्षेत्र सिर्फ 0.06 हेक्टेयर ही है.

पढ़ें: वन्यजीवों का शिकार करने वालों और वन भूमि पर अतिक्रमण करने वालों पर होगी सख्त कार्रवाई : वन मंत्री

राज्य सरकार की वन नीति में भी प्रावधान है कि जहां भी खाली जमीन हो, वहां वृक्षारोपण किया जाना चाहिए. याचिका में कहा गया कि झुंझुनूं जिला स्थित खेतड़ी तहसील के कांकरिया गांव में स्थित करीब 40 हेक्टेयर भूमि वन भूमि से घिरी हुई है. इसके बावजूद उसे फोरेस्ट लैंड घोषित नहीं किया जा रहा है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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