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राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा- सुसाइड रोकने के संबंध में मांगी गई जानकारी करो पेश

राजस्थान हाईकोर्ट ने स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए कहा कि कोचिंग सेंटर में पढ़ने वाले विद्टार्थियों की सुसाइड रोकने के संबंध में मांगी गई जानकारी 15 फरवरी तक पेश की जाए.

Rajasthan High Court,  High Court
राजस्थान हाईकोर्ट.
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 10, 2024, 8:56 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार सहित अन्य संबंधित पक्षकारों को कहा है कि वह कोचिंग सेंटर में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की सुसाइड रोकने के संबंध में मांगी गई जानकारी 15 फरवरी तक पेश की जाए. अदालत ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और सीबीएसई से पूछा है कि उनकी ओर से अब तक क्या आंकड़े एकत्रित किए गए हैं और सीबीएसई ने कोचिंग संस्थाओं की ओर से चलाई जा रही डमी स्कूलों पर क्या कार्रवाई की?. एक्टिंग सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए.

अदालत ने सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से कहा कि यदि महाधिवक्ता मौजूद नहीं हैं तो राज्य सरकार के अन्य वरिष्ठ वकील अदालत में पेश हों. इसके अलावा जो भी पक्षकार रिकॉर्ड पेश करना चाहे वह चार सप्ताह में पेश कर दें, अदालत प्रकरण को अंतहीन समय के लिए नहीं चला सकती. सुनवाई के दौरान कोचिंग संस्थाओं की ओर से कहा गया कि उनकी ओर से सभी जानकारी राज्य सरकार को दे दी गई है. इस पर न्यायमित्र ने विरोध दर्ज करते हुए कहा कि उन्हें अदालत के समक्ष भी जानकारी पेश करनी चाहिए.

पढ़ेंः अलग-अलग भर्तियों में नापी अलग ऊंचाई, हाईकोर्ट ने एम्स से परीक्षण के दिए आदेश

दरअसल, अदालत ने गत 12 अक्टूबर को आदेश जारी कर राज्य सरकार से विभिन्न बिंदुओं पर छह सप्ताह के भीतर जानकारी पेश करने को कहा था. राज्य सरकार को बताना है कि कोचिंग संस्थान कोचिंग समय में स्कूल चला रहे हैं और डमी स्कूलों को लेकर क्या कार्रवाई की जानी है. इसके साथ ही कोचिंग संस्थानों के टर्नओवर की जानकारी भी अदालत में पेश की जानी है. गौरतलब है कि कोचिंग संस्थानों में पढ़ने वाले कई विद्यार्थियों की ओर से सुसाइड करने को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट ने वर्ष 2016 में स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लिया था. इसके बाद अदालत ने समय-समय पर राज्य सरकार सहित अन्य पक्षकारों को सुसाइड रोकने को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए थे.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार सहित अन्य संबंधित पक्षकारों को कहा है कि वह कोचिंग सेंटर में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की सुसाइड रोकने के संबंध में मांगी गई जानकारी 15 फरवरी तक पेश की जाए. अदालत ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और सीबीएसई से पूछा है कि उनकी ओर से अब तक क्या आंकड़े एकत्रित किए गए हैं और सीबीएसई ने कोचिंग संस्थाओं की ओर से चलाई जा रही डमी स्कूलों पर क्या कार्रवाई की?. एक्टिंग सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए.

अदालत ने सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से कहा कि यदि महाधिवक्ता मौजूद नहीं हैं तो राज्य सरकार के अन्य वरिष्ठ वकील अदालत में पेश हों. इसके अलावा जो भी पक्षकार रिकॉर्ड पेश करना चाहे वह चार सप्ताह में पेश कर दें, अदालत प्रकरण को अंतहीन समय के लिए नहीं चला सकती. सुनवाई के दौरान कोचिंग संस्थाओं की ओर से कहा गया कि उनकी ओर से सभी जानकारी राज्य सरकार को दे दी गई है. इस पर न्यायमित्र ने विरोध दर्ज करते हुए कहा कि उन्हें अदालत के समक्ष भी जानकारी पेश करनी चाहिए.

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दरअसल, अदालत ने गत 12 अक्टूबर को आदेश जारी कर राज्य सरकार से विभिन्न बिंदुओं पर छह सप्ताह के भीतर जानकारी पेश करने को कहा था. राज्य सरकार को बताना है कि कोचिंग संस्थान कोचिंग समय में स्कूल चला रहे हैं और डमी स्कूलों को लेकर क्या कार्रवाई की जानी है. इसके साथ ही कोचिंग संस्थानों के टर्नओवर की जानकारी भी अदालत में पेश की जानी है. गौरतलब है कि कोचिंग संस्थानों में पढ़ने वाले कई विद्यार्थियों की ओर से सुसाइड करने को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट ने वर्ष 2016 में स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लिया था. इसके बाद अदालत ने समय-समय पर राज्य सरकार सहित अन्य पक्षकारों को सुसाइड रोकने को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए थे.

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