जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अनुदानित स्कूल व कॉलेजों के राजकीय शिक्षण संस्थाओं में समायोजित हुए हजारों शिक्षाकर्मियों के पेंशन व ग्रेच्युटी सहित अन्य परिलाभ का भुगतान नहीं होने को गंभीर माना है. इसके साथ ही अदालत ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक और कॉलेज शिक्षा सचिव को दस जनवरी को हाजिर होने को कहा है.
अदालत ने दोनों अधिकारियों से शपथ पत्र पेश कर बताने को कहा है कि उनके विभाग में बकाया भुगतान के कितने प्रार्थना पत्र आए और उनमें से कितने प्रकरणों का निस्तारण किया गया. अदालत ने लंबित प्रकरणों की भी जानकारी पेश करने को कहा है. अदालत ने पूछा है कि अदालती आदेश की पालना में कितने प्रकरण निस्तारित किए गए. एक्टिंग सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश डॉ. जसवंत शर्मा सहित करीब दो दर्जन अवमानना याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि शपथ पत्र विभागीय स्तर पर दिया जाए और दोनों अधिकरी अलग-अलग शपथ पत्र पेश कर जानकारी दें.
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मामले की सुनवाई के दौरान स्कूल शिक्षा की ओर से एएजी सत्येन्द्र सिंह राघव और उच्च शिक्षा की ओर से डॉ. विभूतिभूषण शर्मा पेश हुए. अदालत ने कहा कि एक दिसंबर 2021 को भी ऐसे मामलों के लिए निर्देश दिए थे, लेकिन उसके बाद भी बडी संख्या में ये केस संबंधित अफसरों के यहां पर पेंडिंग ही चल रहे हैं. गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने अनुदानित शिक्षण संस्थाओं के सरकारी शिक्षण संस्था में समायोजित हुए शिक्षकों से जुडे़ भगवान दास के मामले में राज्य सरकार को निर्देश दिए थे कि वह इन शिक्षाकर्मियों को भी सरकारी शिक्षाकर्मियों के समान ही सेवा परिलाभ दे, लेकिन इन निर्देशों का राज्य सरकार ने पालन नहीं किया. जिसके चलते हजारों कर्मचारियों के बकाया पेंशन सहित अन्य परिलाभ के मामले पेंडिंग हो गए. इस पर इन कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में अवमानना याचिकाएं पेश की हैं.