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गैंगस्टर राजू ठेहट को HC से जमानत पर रिहा करने के आदेश - राजू ठेहट को जमानत

राजस्थान हाईकोर्ट ने खंडेला इलाके में साल 2006 में हुई हत्या के मामले में बुधवार को सुनवाई की. कोर्ट ने आरोपी राजू ठेहट उर्फ राजेन्द्र को जमानत पर रिहा कर दिया है. न्यायाधीश पंकज भंडारी ने यह आदेश आरोपी की दूसरी जमानत अर्जी को स्वीकार करते हुए दिए.

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गैंगस्टर राजू ठेहट को जमानत पर रिहा करने के आदेश
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Published : Dec 23, 2020, 9:58 PM IST

जयपुर. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता पर आरोप है कि उसके पास पिस्तौल थी, जबकि मरने वाले के शरीर पर गोली लगने की इंजरी ही नहीं थी. इसके अलावा याचिकाकर्ता 21 मामलों में बरी हो चुका है. वहीं तीन मामलों में सजा पूरी हो चुकी है और फिलहाल वह पैरोल पर चल रहा है. इसके अलावा प्रकरण में छह सह आरोपियों को जमानत दी जा चुकी है.

ये भी पढ़ें: सतीश पूनिया ने सरकार को घेरा, कहा- कर्ज माफी का दावा करने वाले किसानों को मानते हैं डिफॉल्टर

इसका विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से सरकारी वकील शेर सिंह महला ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ 32 मामले दर्ज हो चुके हैं. याचिकाकर्ता जेल से गैंग चलाता है और उसके खिलाफ कोई गवाही देने की हिम्मत नहीं करता. अगर उसे जमानत दी गई तो कोई बड़ी गैंगवार भी हो सकती है. सुनवाई के दौरान प्रकरण के जांच अधिकारी और श्रीमाधोपुर थानाधिकारी दातार सिंह भी अदालत में पेश हुए थे.

राजू ठेहट के अपराध की दुनिया में आने की कहानी...

1997 में बलबीर बानूड़ा और राजू ठेहट दोस्त हुआ करते थे. दोनों शराब के धंधे से जुड़े हुए थे. 2005 में हुई एक हत्या ने दोनों दोस्तों के बीच दुश्मनी की दीवार खड़ी कर दी. शराब ठेके पर बैठने वाले सेल्समैन विजयपाल की राजू ठेहट से किसी बात पर कहासुनी हो गई.

पुलिस फाइल्स के मुताबिक-विवाद इतना बढ़ा कि राजू ने अपने साथियों के साथ मिलकर विजयपाल की हत्या कर दी. विजयपाल रिश्ते में बलबीर का साला लगता था. विजय की हत्या से दोनों दोस्तों में दुश्मनी शुरू हो गई. बलबीर ने राजू के गैंग से निकलकर अपना गिरोह बना लिया.

जयपुर. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता पर आरोप है कि उसके पास पिस्तौल थी, जबकि मरने वाले के शरीर पर गोली लगने की इंजरी ही नहीं थी. इसके अलावा याचिकाकर्ता 21 मामलों में बरी हो चुका है. वहीं तीन मामलों में सजा पूरी हो चुकी है और फिलहाल वह पैरोल पर चल रहा है. इसके अलावा प्रकरण में छह सह आरोपियों को जमानत दी जा चुकी है.

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इसका विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से सरकारी वकील शेर सिंह महला ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ 32 मामले दर्ज हो चुके हैं. याचिकाकर्ता जेल से गैंग चलाता है और उसके खिलाफ कोई गवाही देने की हिम्मत नहीं करता. अगर उसे जमानत दी गई तो कोई बड़ी गैंगवार भी हो सकती है. सुनवाई के दौरान प्रकरण के जांच अधिकारी और श्रीमाधोपुर थानाधिकारी दातार सिंह भी अदालत में पेश हुए थे.

राजू ठेहट के अपराध की दुनिया में आने की कहानी...

1997 में बलबीर बानूड़ा और राजू ठेहट दोस्त हुआ करते थे. दोनों शराब के धंधे से जुड़े हुए थे. 2005 में हुई एक हत्या ने दोनों दोस्तों के बीच दुश्मनी की दीवार खड़ी कर दी. शराब ठेके पर बैठने वाले सेल्समैन विजयपाल की राजू ठेहट से किसी बात पर कहासुनी हो गई.

पुलिस फाइल्स के मुताबिक-विवाद इतना बढ़ा कि राजू ने अपने साथियों के साथ मिलकर विजयपाल की हत्या कर दी. विजयपाल रिश्ते में बलबीर का साला लगता था. विजय की हत्या से दोनों दोस्तों में दुश्मनी शुरू हो गई. बलबीर ने राजू के गैंग से निकलकर अपना गिरोह बना लिया.

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