ETV Bharat / state

Rajasthan High Court: प्रतिबंधित दवाइयों के मामले में मिली जमानत रद्द करने के आदेश

राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रतिबंधित दवाइयों के (cancellation of bail granted ) मामले में आरोपी को मिली जमानत को रद्द करने के आदेश दिए हैं.

Rajasthan High Court,  Rajasthan High Court orders
राजस्थान हाईकोर्ट.
author img

By

Published : Jun 3, 2023, 6:37 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अजमेर जिले में प्रतिबंधित दवाइयों को लेकर दर्ज तीन मामलों में आरोपी श्याम सुंदर मूंदडा को वर्ष 2021 में मिली जमानत को रद्द कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने इस संबंध में एनडीपीएस कोर्ट, अजमेर के जमानत आदेश को निरस्त कर दिया है. जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश राज्य सरकार की ओर से पेश जमानत रद्द करने के प्रार्थना पत्रों को स्वीकार करते हुए दिए.

अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि वर्ष 2021 में जमानत मिलने के बाद दो अनुसंधान अधिकारियों का तबादला किया गया और एक जांच अधिकारी दिव्या मित्तल को एनडीपीएस एक्ट की धारा 59 के तहत आरोपी माना गया है. ऐसे में यह नहीं माना जा सकता कि आरोपी ने अनुसंधान में छेड़छाड़ नहीं की हो. याचिकाओं में राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता जीएस राठौड़ ने अदालत को बताया कि श्याम सुंदर मूंदडा हिमाचल और देहरादून से प्रतिबंधित दवाईयां मंगाकर सप्लाई करता था. उसने गोदाम और फर्म दूसरे लोगों के नाम से ले रखे थे. पुलिस जांच से साबित है कि मूंदडा ही प्रकरण का मास्टर माइंड था. पूरा मामला करीब बीस करोड़ रुपए की प्रतिबंधित दवाओं से जुड़ा हुआ है. एनडीपीएस कोर्ट ने श्याम सुंदर मूंदडा को वर्ष 2021 में जमानत पर रिहा किया था, जबकि समान मामले में अन्य सह आरोपियों की जमानत अर्जियां खारिज कर दी थी.

पढ़ेंः Divya Mittal NDPS Case : निलंबित एएसपी को कोर्ट से राहत, जमानत पर रिहा करने के दिए आदेश

एनडीपीएस एक्ट की धारा 37 में प्रावधान है कि यदि कोर्ट अभियोजन पक्ष से सहमत नहीं हो तो उसे इसके आधार बताने पड़ेंगे, लेकिन इस मामले में निचली अदालत ने ऐसा कोई ठोस आधार नहीं बताया है. प्रकरण की जांच अधिकारी दिव्या मित्तल को भी इस प्रकरण में रिश्वत मांगने के मामले में गिरफ्तार किया गया था. ऐसे में आरोपी को मिली जमानत को रद्द कर उसे वापस जेल भेजा जाए, जिसका विरोध करते हुए आरोपी की ओर से कहा गया कि राज्य सरकार ने जमानत मिलने के बाद उसे रद्द कराने के लिए प्रार्थना पत्र पेश किया था. इसे विशेष न्यायालय ने खारिज कर दिया था. उसके एक साल से अधिक समय बीतने के बाद जमानत रद्द करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका पेश की है. इसके अलावा याचिकाकर्ता से सीधे तौर पर किसी प्रतिबंधित दवा की रिकवरी नहीं हुई है. मामले में एनडीपीएस कोर्ट का जमानत देने का आदेश सही था. इसलिए राज्य सरकार की याचिकाओं को खारिज किया जाए. दोनों पक्षों की बहस सुनकर अदालत ने आरोपी को मिली जमानत को रद्द कर दिया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अजमेर जिले में प्रतिबंधित दवाइयों को लेकर दर्ज तीन मामलों में आरोपी श्याम सुंदर मूंदडा को वर्ष 2021 में मिली जमानत को रद्द कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने इस संबंध में एनडीपीएस कोर्ट, अजमेर के जमानत आदेश को निरस्त कर दिया है. जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश राज्य सरकार की ओर से पेश जमानत रद्द करने के प्रार्थना पत्रों को स्वीकार करते हुए दिए.

अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि वर्ष 2021 में जमानत मिलने के बाद दो अनुसंधान अधिकारियों का तबादला किया गया और एक जांच अधिकारी दिव्या मित्तल को एनडीपीएस एक्ट की धारा 59 के तहत आरोपी माना गया है. ऐसे में यह नहीं माना जा सकता कि आरोपी ने अनुसंधान में छेड़छाड़ नहीं की हो. याचिकाओं में राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता जीएस राठौड़ ने अदालत को बताया कि श्याम सुंदर मूंदडा हिमाचल और देहरादून से प्रतिबंधित दवाईयां मंगाकर सप्लाई करता था. उसने गोदाम और फर्म दूसरे लोगों के नाम से ले रखे थे. पुलिस जांच से साबित है कि मूंदडा ही प्रकरण का मास्टर माइंड था. पूरा मामला करीब बीस करोड़ रुपए की प्रतिबंधित दवाओं से जुड़ा हुआ है. एनडीपीएस कोर्ट ने श्याम सुंदर मूंदडा को वर्ष 2021 में जमानत पर रिहा किया था, जबकि समान मामले में अन्य सह आरोपियों की जमानत अर्जियां खारिज कर दी थी.

पढ़ेंः Divya Mittal NDPS Case : निलंबित एएसपी को कोर्ट से राहत, जमानत पर रिहा करने के दिए आदेश

एनडीपीएस एक्ट की धारा 37 में प्रावधान है कि यदि कोर्ट अभियोजन पक्ष से सहमत नहीं हो तो उसे इसके आधार बताने पड़ेंगे, लेकिन इस मामले में निचली अदालत ने ऐसा कोई ठोस आधार नहीं बताया है. प्रकरण की जांच अधिकारी दिव्या मित्तल को भी इस प्रकरण में रिश्वत मांगने के मामले में गिरफ्तार किया गया था. ऐसे में आरोपी को मिली जमानत को रद्द कर उसे वापस जेल भेजा जाए, जिसका विरोध करते हुए आरोपी की ओर से कहा गया कि राज्य सरकार ने जमानत मिलने के बाद उसे रद्द कराने के लिए प्रार्थना पत्र पेश किया था. इसे विशेष न्यायालय ने खारिज कर दिया था. उसके एक साल से अधिक समय बीतने के बाद जमानत रद्द करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका पेश की है. इसके अलावा याचिकाकर्ता से सीधे तौर पर किसी प्रतिबंधित दवा की रिकवरी नहीं हुई है. मामले में एनडीपीएस कोर्ट का जमानत देने का आदेश सही था. इसलिए राज्य सरकार की याचिकाओं को खारिज किया जाए. दोनों पक्षों की बहस सुनकर अदालत ने आरोपी को मिली जमानत को रद्द कर दिया है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.