जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अदालती आदेश के बावजूद शिक्षक को नई जगह पद ग्रहण करने के लिए रिलीव नहीं करने पर नाराजगी जताई है. इसके साथ ही अदालत ने प्रमुख शिक्षा सचिव को 27 सितंबर को पेश होने के आदेश दिए हैं. अदालत ने प्रमुख सचिव से पूछा है कि अदालती आदेश के पांच साल बीतने के बाद भी अब तक पालना क्यों नहीं की गई है? जस्टिस महेंद्र कुमार गोयल ने यह आदेश दीपिका की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है यदि 27 सितंबर तक अदालती आदेश की पालना कर ली जाती है तो प्रमुख सचिव को हाजिर होने की आवश्यकता नहीं है.
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता सीएल सैनी ने अदालती आदेश की पालना के लिए समय मांगा. वहीं, याचिकाकर्ता की ओर से विरोध करते हुए कहा गया कि पांच साल बाद भी विभाग आदेश की पालना नहीं कर रहा है. ऐसे में दोषी अधिकारी को तलब किया जाए. इस पर अदालत ने राज्य सरकार को अंतिम मौका देते हुए आदेश की पालना नहीं होने पर प्रमुख शिक्षा सचिव को हाजिर होने के आदेश दिए हैं.
जानबूझकर कर रहे अवमानना : अवमानना याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता शिक्षक पद पर कार्यरत है. हाईकोर्ट ने अगस्त 2018 को याचिकाकर्ता का डग, झालावाड़ से मंडावा झुंझुनू में कार्यग्रहण कराने के आदेश दिए थे. इसके बावजूद भी याचिकाकर्ता को नई जगह पद ग्रहण करने के लिए झालावाड़ से रिलीव नहीं किया गया. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता ने इस संबंध में विभाग को प्रार्थना पत्र दिया, लेकिन प्रार्थना पत्र को यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि डार्क जोन से नोन टीएसपी क्षेत्र में तबादला नहीं किया जा सकता. अवमानना याचिका में कहा गया कि अधिकारी जानबूझकर अदालती आदेश की अवमानना कर रहे हैं. ऐसे में उन्हें दंडित किया जाए.