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Rajasthan High Court : पेंशन डायरी का नवीनीकरण नहीं होने पर पुनर्भरण से इनकार, हाईकोर्ट ने दी पेंशनर को राहत

राजस्थान हाईकोर्ट ने पेंशन डायरी का नवीनीकरण नहीं होने पर मेडिकल बिल का पुनर्भरण करने से इनकार करने वाले मामले में फैसला सुनाया है. कोर्ट ने 3 महीने में पेंशन निदेशक और अन्य को इलाज का खर्च देने के आदेश दिए हैं.

Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट
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Published : Jul 22, 2023, 7:31 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पेंशन डायरी का नवीनीकरण नहीं होने पर मेडिकल बिल का पुनर्भरण करने से इनकार करने के मामले में पेंशनर को राहत दी है. अदालत ने पेंशन निदेशक और करौली कोषाधिकारी सहित अन्य को आदेश दिए हैं कि वह इलाज में खर्च 1 लाख 72 हजार 766 रुपए की राशि तीन माह में पेंशनर को अदा करें. अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि यदि तय अवधि में भुगतान नहीं किया जाता है तो फिर 9 फीसदी ब्याज सहित राशि देनी होगी. जस्टिस अनूप कुमार ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश पूरणमल शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता राज्य सरकार का रिटायर कर्मचारी है. जुलाई 2008 में याचिकाकर्ता की पत्नी की तबीयत खराब होने पर उसे निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान उसके हार्ट का पीटीसीए और स्टंट लगाया गया. इसमें करीब 1 लाख 72 हजार 766 रुपए का खर्च आया था. इस मेडिकल बिल के पुनर्भरण के लिए जब याचिकाकर्ता ने कोष कार्यालय में आवेदन किया तो यह कहते हुए क्लेम खारिज कर दिया कि उसने इलाज के बाद अपनी मेडिकल डायरी का नवीनीकरण कराया है.

पढ़ें. Rajasthan Highcourt Order: आरोप तय होने के बाद मेडिकल जांच के आधार पर नहीं रोक सकते हर्जाना राशि

मेडिकल बिल के पुनर्भरण के आदेश : याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता वर्ष 2004 में रिटायर हुआ था. वह उसी समय से मेडिकल डायरी का नवीनीकरण कराता आ रहा है. पत्नी के इलाज से फ्री होने के बाद उसने 1 अगस्त, 2008 को डायरी का नवीनीकरण भी करा लिया था. ऐसे में डायरी के नवीनीकरण के तकनीकी आधार पर उसके क्लेम को निरस्त नहीं किया जा सकता. इसके जवाब में राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता की पत्नी का 6 जुलाई, 2008 से 10 जुलाई, 2008 तक इलाज चला था. वहीं, याचिकाकर्ता ने 1 अगस्त तक डायरी का नवीनीकरण नहीं कराया था, ऐसे में उसके क्लेम को पास नहीं किया जा सकता. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने याचिकाकर्ता को मेडिकल बिल का पुनर्भरण करने के आदेश दिए हैं.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पेंशन डायरी का नवीनीकरण नहीं होने पर मेडिकल बिल का पुनर्भरण करने से इनकार करने के मामले में पेंशनर को राहत दी है. अदालत ने पेंशन निदेशक और करौली कोषाधिकारी सहित अन्य को आदेश दिए हैं कि वह इलाज में खर्च 1 लाख 72 हजार 766 रुपए की राशि तीन माह में पेंशनर को अदा करें. अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि यदि तय अवधि में भुगतान नहीं किया जाता है तो फिर 9 फीसदी ब्याज सहित राशि देनी होगी. जस्टिस अनूप कुमार ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश पूरणमल शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता राज्य सरकार का रिटायर कर्मचारी है. जुलाई 2008 में याचिकाकर्ता की पत्नी की तबीयत खराब होने पर उसे निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान उसके हार्ट का पीटीसीए और स्टंट लगाया गया. इसमें करीब 1 लाख 72 हजार 766 रुपए का खर्च आया था. इस मेडिकल बिल के पुनर्भरण के लिए जब याचिकाकर्ता ने कोष कार्यालय में आवेदन किया तो यह कहते हुए क्लेम खारिज कर दिया कि उसने इलाज के बाद अपनी मेडिकल डायरी का नवीनीकरण कराया है.

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मेडिकल बिल के पुनर्भरण के आदेश : याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता वर्ष 2004 में रिटायर हुआ था. वह उसी समय से मेडिकल डायरी का नवीनीकरण कराता आ रहा है. पत्नी के इलाज से फ्री होने के बाद उसने 1 अगस्त, 2008 को डायरी का नवीनीकरण भी करा लिया था. ऐसे में डायरी के नवीनीकरण के तकनीकी आधार पर उसके क्लेम को निरस्त नहीं किया जा सकता. इसके जवाब में राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता की पत्नी का 6 जुलाई, 2008 से 10 जुलाई, 2008 तक इलाज चला था. वहीं, याचिकाकर्ता ने 1 अगस्त तक डायरी का नवीनीकरण नहीं कराया था, ऐसे में उसके क्लेम को पास नहीं किया जा सकता. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने याचिकाकर्ता को मेडिकल बिल का पुनर्भरण करने के आदेश दिए हैं.

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