जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने विभिन्न वर्षों में आयोजित तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती और प्रबोधक भर्ती में चयनित शिक्षकों को परिवीक्षा काल में दिए गए परिलाभ की रिकवरी पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने शिक्षा सचिव और प्रारंभिक शिक्षा निदेशक सहित अन्य को जवाब तलब किया है. जस्टिस सुदेश बंसल ने यह आदेश परमानंद वर्मा व अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया.
याचिका में अधिवक्ता राम प्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ताओं की नियुक्ति विभिन्न वर्षों में आयोजित तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती व प्रबोधक भर्ती में निकाले गए संशोधित परिणाम में हुई थी. ऐसे में उनकी ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर कर समान भर्ती में पूर्व में चयनित अभ्यर्थी के समान वेतन व अन्य परिलाभ देने की गुहार लगाई थी. जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को वेतन परिलाभ देने को कहा था. जिसकी पालना में विभाग ने परिवीक्षा काल में उन्हें परिलाभ अदा कर दिए.
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याचिका में कहा गया कि राजस्थान सेवा नियम 1951 के तहत 13 मार्च, 2006 को जारी संशोधित अधिसूचना को राजस्थान हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया है. इस अधिसूचना में कहा गया था कि कर्मचारी को परिवीक्षा काल में फिक्स वेतन दिया जाएगा. यह अधिसूचना वर्तमान में अस्तित्व में नहीं है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट के रफी मसीह के मामले में दिए फैसले के तहत कर्मचारी को एक बार दी गई राशि को रिकवर नहीं किया जा सकता है.
याचिका में कहा गया कि शिक्षा विभाग की ओर से अब नया आदेश जारी कर उनसे इस राशि की रिकवरी की जा रही है, जो कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की ओर से पूर्व में दिए गए आदेशों के खिलाफ है. ऐसे में रिकवरी आदेश को रद्द किया जाए. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने रिकवरी पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों को जवाब तलब किया है.